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Rajneetik Vichardharayen TYBA - Ranchi University, N.P.U: राजनीतिक विचारधाराएँ बी.ए. तृतीय वर्ष - राँची यूनिवर्सिटी, एन.पी.यू.

by Dr S. C. Sinhal

राजनीतिक विचारधाराएँ यह पुस्तक राँची विश्वविद्यालय तथा विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के बी.ए. तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों के लिए नवीन पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गयी है। इसमें नवीन परीक्षा प्रणाली को भी दृष्टि में रखकर प्रश्नों को स्थान दिया गया है। पुस्तक के लिखते समय यह प्रयास किया गया है कि यह पुस्तक विद्यार्थियों के लिए सरल और पूर्णरूपेण उपयोगी बन सके और यह पुस्तक अपने उद्देश्य में सफल होगी।

Bhartiya Shasan avom Rajneeti - M.A.,P.S.C.- Ranchi University, N.P.U

by S. C. Sinhal

Bhartiya Shasan avom Rajneeti text book for M.A.,P.S.C. According to the Latest Syllabus based on University Grants Commission (U.G.C.) from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.

Jharakhand Ka Itihaas B.A. Sem-I - Ranchi University, N.P.U

by Satrughan Pandey

Jharakhand Ka Itihaas Text book for B.A. Sem-I of Ranchi and Nilambar Pitambar University in hindi.

Itihas Paper III and Paper IV BA (Hons) Sem-II -Ranchi University, N.P.U

by A. K. Mittal

Itihas Paper III and Paper IV text book According to the Latest Syllabus based on Choice Based Credit System (CBCS) for B.A (Hons.) Sem-II from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.

Bhugol B.A (Hons.) Sem-I -Ranchi University, N.P.U

by Chaturbhuj Mamoria Ratan Joshi

Bhugol textbook for B.A (Hons.) Sem-I from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in Hindi.

Bharat Ka Itihas B.A (Hons.) Sem-I Ranchi University, N.P.U

by A. K. Mittal

Bharat Ka Itihas text book for B.A (Hons.) Sem-I from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.

Jaiv Bhugol B.A (Hons.) Sixth Semester - Ranchi University, N.P.U: जैव भूगोल बी.ए. (ऑनर्स) सेमेस्टर VI - राँची यूनिवर्सिटी, एन.पी.यू.

by Dr Santosh Kumar Dangi

डॉ. सन्तोष कुमार दांगी द्वारा लिखित 'जैव-भूगोल' झारखण्ड स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय के बी. ए. सेमेस्टर-III, कोल्हान विश्वविद्यालय के बी. ए. सेमेस्टर VI और राँची विश्वविद्यालय के बी. ए. सेमेस्टर VI-DSE-4 के पाठ्यक्रम के अनुरूप लिखी गई पुस्तक है। जैव-भूगोल में जैविक तत्वों की विस्तृत विवेचना की गई है। जैसे-जैव भूगोल की परिभाषा, महत्व, जलचक्र, पारिस्थितिकी तन्त्र, ऊर्जा प्रवाह, पादप प्राणियों का विसरण, जीवोम, राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य, जैव-विविधता, मिट्टी निर्माण, बंजर भूमि का विकास तथा प्रबन्ध इत्यादि को इस पुस्तक में स्थान दिया गया है। विनोबा भावे विश्वविद्यालय के अतिरिक्त झारखण्ड के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के लिए यह पुस्तक अति उपयोगी होगी।

Dark Horse Ek Ankahi Dastan: डार्क हॉर्स एक अनकही दास्ताँ

by Nilotpal Mrinal

‘डार्क हॉर्स’ का कथानक मात्र एक कल्पना न होकर सिविल सेवा की तैयारी कर रहे छात्रों में से हर एक की आत्मकथा है, जिसमें तैयारी से जुदा हर एक पहलू चाहे कोचिंग हो या अखबार या टिफिन का डिब्बा या नेहरु विहार, गाँधी विहार, सब कुछ अपने को बेबाक तरीके से हमारे सपने की पृष्ठभूमि में खोलकर रख देता है। यह उपन्यास उनकी जुबानी है जो यह जानना चाहते हैं कि ‘सफलता कैसे पाएँ' और कहानी है उनकी जो ‘सफलता' पा ही लेते हैं। ‘अँधेरी घाटियों से गुजर कर उजाले के शिखर तक'।

Na Bairi Na Koi Begana: न बैरी न कोई बैगाना

by Surender Mohan Pathak

अब हाज़िर है जिसका आप सबको रहा है इंतज़ार!मेरी कहानी, मेरी अपनी ज़ुबानी। मेरी आत्मकथा के इस पहले भाग को पढ़ते हुए कभी आपको हंसी आएगी, कभी आंख नम हो जाएगी... और कई बार मेरा हाथ थामे मेरे बचपन से गुज़रते हुए ऐसा लगेगा जैसे दिल में कुछ नम पिघल रहा है। तो चलिए रू-ब-रू होते हैं उनकी 298वीं रचना, न बैरी न कोई बेगाना से...

Rajneeti Vigyan B.A (CBCS) Sem-II -Ranchi University, N.P.U

by J. C. Johari

Rajneeti Vigyan text book According to the Latest Syllabus based on Choice Based Credit System (CBCS) for B.A Sem-II from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.

Rajneeti Vigyan B.A (CBCS) Sem-III -Ranchi University, N.P.U

by J. C. Johari Rashmi Sharma

Rajneeti Vigyan text book According to the Latest Syllabus based on Choice Based Credit System (CBCS) for B.A Sem-III from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.

Indian Art and Culture: भारतीय कला एवं संस्कृति

by Nitin Sindhania

Nitin Singhania holds a Bachelor’s and Master’s Degree in Economics from Presidency College, Kolkata. He is also a Chartered Accountant and Company Secretary. He worked in Coal India Ltd before joining the Indian Administrative Services (IAS) in 2013 in the West Bengal cadre. He has a deep interest and expertise in Indian Art and Culture and is known for guiding students in this area. Presently he is posted as Sub-Divisional Officer in Purba Bardhaman district of West Bengal. Earlier, he has worked as the Assistant Secretary, Ministry of Home Affairs, Government of India and as Assistant Collector in Burdwan, West Bengal. His bestselling title Indian Art and Culture is a favourite among students preparing for the Civil Services Examination.

Ve Din: वे दिन

by Nirmal Verma

इतिहास निर्मल वर्मा के कथा-शिल्प में उसी तरह मौजूद रहता है, जैसे हमारे जीवन में लगातार मौजूद लेकिन अदृश्य। उससे हमारे दुख और सुख तय होते हैं, वैसे ही जैसे उनके कथा-पात्रों के। कहानी का विस्तार उसमें बस यह करता है कि इतिहास के उन मूक और भीड़ में अनचीन्हे ‘विषयों’ को आलोक-वृत्त से घेरकर नुमायाँ कर देता है, ताकि वे दिखने लगें, ताकि उनकी पीड़ा की सूचना एक जवाबी सन्देश की तरह इतिहास और उसकी नियन्ता शक्तियों तक पहुँच सके। इस उपन्यास के पात्र, निर्मल जी के अन्य कथा-चरित्रों की तरह सबसे पहले व्यक्ति हैं, लेकिन मनुष्य के तौर पर वे कहीं भी कम नहीं हैं, बल्कि बढ़कर हैं, किसी भी मानवीय समाज के लिए उनकी मौजूदगी अपेक्षित मानी जाएगी। उनकी पीड़ा और उस पीड़ा को पहचानने, अंगीकार करने की उनकी इच्छा और क्षमता उन्हें हमारे मौजूदा असहिष्णु समाज के लिए मूल्यवान बनाती है। वह चाहे रायना हो, इंदी हो, फ्रांज हो या मारिया, उनमें से कोई भी अपने दुख का हिसाब हर किसी से नहीं माँगता फिरता।

Antim Aranya: अन्तिम अरण्य

by Nirmal Verma

अन्तिम अरण्य यह जानने के लिए भी पढ़ा जा सकता है कि बाहर से एक कालक्रम में बँधा होने पर भी उपन्यास की अन्दरूनी संरचना उस कालक्रम से निरूपित नहीं है। अन्तिम अरण्य का उपन्यास-रूप न केवल काल से निरूपित है, बल्कि वह स्वयं काल को दिक् में स्पेस में रूपान्तरित करता है। उनका फॉर्म स्मृति में से अपना आकार ग्रहण करता है– उस स्मृति से जो किसी कालक्रम से बँधी नहीं है, जिसमें सभी कुछ एक साथ है– अज्ञेय से शब्द उधार लेकर कहें तो जिसमें सभी चीज़ो का ‘क्रमहीन सहवर्तित्व’ है। यह ‘क्रमहीन सहवर्तित्व’ क्या काल को दिक् में बदल देना नहीं है?… यह प्राचीन भारतीय कथाशैली का एक नया रूपान्तर है। लगभग हर अध्याय अपने में एक स्वतन्त्र कहानी पढ़ने का अनुभव देता है और साथ ही उपन्यास की अन्दरूनी संरचना में वह अपने से पूर्व के अध्याय से निकलता और आगामी अध्याय को अपने में से निकालता दिखाई देता है। एक ऐसी संरचना जहाँ प्रत्येक स्मृति अपने में स्वायत्त भी है और एक स्मृतिलोक का हिस्सा भी। यह रूपान्तर औपचारिक नहीं है और सीधे पहचान में नहीं आता क्योंकि यहाँ किसी प्राचीन युक्ति का दोहराव नहीं है। भारतीय कालबोध-सभी कालों और भुवनों की समवर्तिता के बोध-के पीछे की भावदृष्टि यहाँ सक्रिय है।

Aantrashtriya Sangathan M.A. – Kolhan University Chaibasa, Jharkhand: अन्तर्राष्ट्रीय संगठन एम. ए. – कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा, झारखंड

by Surendra Sinhal

अन्तर्राष्ट्रीय संगठन कक्षा एम. ए. यह पुस्तक लक्ष्मी नारायण अग्रवाल ने हिंदी भाषा मे प्रकाशित किया है, इस पाठपुस्तक में नवीन परीक्षा प्रणाली को दृष्टि में रखकर प्रश्नों को स्थान दिया गया है और पुस्तक को लिखते समय यह प्रयास किया गया है कि यह पुस्तक विद्यार्थियों के लिए सरल और पूर्णरूपेण उपयोगी बन सके । यह पुस्तक विभिन्न विश्वविद्यालयों के राजनीतिशास्त्र के नवीन पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गई है ।

Aantrashtriya Sangathan M.A. – Kolhan University Chaibasa, Jharkhand: अन्तर्राष्ट्रीय संगठन एम. ए. – कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा, झारखंड

by Surendra Sinhal

अन्तर्राष्ट्रीय संगठन कक्षा एम. ए. यह पुस्तक लक्ष्मी नारायण अग्रवाल ने हिंदी भाषा मे प्रकाशित किया है, इस पाठपुस्तक में नवीन परीक्षा प्रणाली को दृष्टि में रखकर प्रश्नों को स्थान दिया गया है और पुस्तक को लिखते समय यह प्रयास किया गया है कि यह पुस्तक विद्यार्थियों के लिए सरल और पूर्णरूपेण उपयोगी बन सके । यह पुस्तक विभिन्न विश्वविद्यालयों के राजनीतिशास्त्र के नवीन पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गई है ।

Vajpayee - Ek Rajneta ke Agyat Pehlu: वाजपेयी: एक राजनेता के अज्ञात पहलू

by Ullekh N. P.

सांसद में नेहरूवाद से मिलते-जुलते अपने 'धर्मनिरपेक्ष' बयानों के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी यदा-कदा कट्टरपंथी जमात में थोड़ी घुसपैठ कर जाते थे। 1983 में उन्होंने असम चुनावों के दौरान भड़काऊ भाषण दिया जिससे प्रदेश में 'बांग्लादेशी विदेशियों' की मौजूदगी बड़ा मुद्दा बन गया। यहां तक कि भाजपा ने भी वाजपेयी के भाषण से किनारा कर लिया। संभवतः इस भाषण के कारण उस वर्ष असम के नल्ली में 2000 से अधिक लोगों का संहार हुआ, जिनमें से ज़्यादातर मुस्लिम थे। वाजपेयी भारत के चतुर राजनेताओं में से एक हैं और उन्हें कई तरह की विरोधाभासी बातें करने के लिए जाना जाता है : उग्रवादी राष्ट्रवादी से अपने गुप्त पारिवारिक जीवन तक, साम्यवाद के प्रति रुझान, भोजनप्रियता और यदि स्वयं को उदारवादी के रूप में पेश न कर सके तो मध्यमार्गी की तरह पेश करने तक। यह पुस्तक वाजपेयी के करियर के अहम पड़ावों और एक अनुभवी राजनेता के रूप में उनकी विशेषताओं को खंगालती हुई उनके अपनी पार्टी के नेताओं से संबंधों और आरएसएस तथा उसके सहयोगी संगठनों के साथ प्रेम व् द्वेष वाले संबंधों पर नज़र डालती है। बेहतरीन शोध, पुख़्ता तथ्यों से समर्थित तथा अंतर्कथाओं और उपाख्यानों के साथ, अंतर्दृष्टियों से युक्त साक्षात्कारों तथा सहेजने योग्य छायाचित्रों से सज्जित यह पुस्तक एक कवि-राजनेता के जीवन की झलक पेश करती है।

Rudrgatha: रुद्रगाथा

by Sahitya Sagar Pandey

यह कथा है उस समय की, जब भारतवर्ष कई छोटे-छोटे राज्यों मे बँटा हुआ था। कई क्षत्रिय राजा, उन राज्यों पर शासन करते थे, और उन सबका अगुआ था, सबसे बड़े राज्य 'वीरभूमि' का अन्यायी सम्राट, कर्णध्वज। यह कथा है वीरभूमि राज्य की निर्वासित बस्ती में अपने काका के साथ रहने वाले एक ब्राह्मण पुत्र रुद्र की- एक योद्धा, जो पहले अपनी बस्ती का अधिपति बना है, और फिर पड़ोसी राज्य, राजनगर पर आक्रमण करके अपने अद्भुत पराक्रम एवं साथी योद्धाओं के सहयोग से उसने युद्ध में विजय प्राप्त की। इसके बाद अपने मित्रों, विप्लव, विनायक और कौस्तुभ के सहयोग से रुद्र ने वो युद्ध अभियान शुरु किया जो, अगले पाँच वर्षों तक अनवरत चलता रहा, जिसमें उसने बीस क्षत्रिय राज्यों को जीता। रुद्र, प्रतिशोध की आग में जलता हुआ आगे बढ़ता रहा, और एक दिन भारतवर्ष का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बना। परन्तु उसका निरंतर आगे बढ़ने वाला विजयरथ, देवगढ़ विजय के बाद ठहर जाता है, और इस ठहराव का कारण है देवगढ़ की राजकुमारी पूर्णिमा। रुद्र का विजय अभियान पूरा हो चुका था, परन्तु परिस्थितियों ने रुद्र को, वीरभूमि राज्य के सम्राट कर्णध्वज के विरुद्ध एक अंतिम युद्ध लड़ने के लिए विवश कर दिया। क्या था उस अंतिम युद्ध का कारण? क्या सिर्फ बस्ती के निर्वासित लोगों के लिये ही रुद्र इतने कठिन एवं भयंकर युद्ध लड़ रहा था, या रूद्र के प्रतिशोध का कोई अन्य कारण भी था?

Panchali: पाञ्चाली

by Shachi Mishra

द्रौपदी, नारी की सशक्त गाथा है। हज़ारों वर्षों से स्त्री, टुकड़ों-टुकड़ों में द्रौपदी को जी रही है... कहीं वह अपमान और लांछना सहती है, तो कहीं पुरुष के भीतर की ऊर्जा बनती है। कहीं त्याग से उसके उत्थान की सीढ़ी बनती है, तो कहीं पुरुष के अहं के आगे विवश हो जाती है। पाँच पुरुषों को वरण करने वाली द्रौपदी, अपने पतियों के कारण कुरु-सभा में अपमानित हुई, उसके उपरांत भी उसने 'वरदान' शब्द में लिपटी दया के माध्यम से उनको दासता से मुक्त करवाया और उनके अस्तित्व, स्वाभिमान और शक्ति की रक्षा के लिए ऊर्जा प्रदान करती वन-वन भटकती रही। पंच-पतियों के प्रति सेवा, भाव, निष्ठा और कर्तव्य-निर्वाह के कारण जहाँ एक ओर सती के आसन पर विराजमान हुई... वहीं पंच-पति वरण के कारण एक युग के पश्चात् भी व्यंग्य, विद्रुप का पात्र बनी रही। विचित्र है उसका जीवन; किन्तु विचित्रता और अंतर्विरोध के बीच वह सदैव विशिष्ट रही। कृष्ण उस युग-पुरुष के लिए किस कन्या के हृदय में आकर्षण नहीं रहा होगा... फिर कृष्णा कैसे अपवाद रहती। नियति ने भी तो नाम को माध्यम बना दिया था। कृष्णा और कृष्ण के अलौकिक प्रेम और सख्यभाव को कुरु-सभा में अपमान के साथ उद्धृत किया गया, किन्तु उस प्रीति का निर्वाह भी उसी सभा में ही हुआ। जब सारा लौकिक जगत्‌ बहरा हो गया था, तब सैकड़ों कोस दूर, उसी अलौकिक प्रीति ने उसकी पुकार को सुना और उसके सम्मान की रक्षा की। सख्यभाव और निकट हृदय-संबंध का दूसरा उदाहरण इस लौकिक जगत् में अन्यत्र नहीं दिखाई देता है और यही प्रीति पाज्चाली के हृदय की ऊर्जा का स्रोत भी रही।

Ret Samadhi: रेत समाधि

by Geetanjali Shree

अस्सी की होने चली दादी ने विधवा होकर परिवार से पीठ कर खटिया पकड़ ली। परिवार उसे वापस अपने बीच खींचने में लगा। प्रेम, वैर, आपसी नोकझोंक में खदबदाता संयुक्त परिवार। दादी बजि़द कि अब नहीं उठूँगी। फिर इन्हीं शब्दों की ध्वनि बदलकर हो जाती है अब तो नई ही उठूँगी। दादी उठती है। बिलकुल नई। नया बचपन, नई जवानी, सामाजिक वर्जनाओं-निषेधों से मुक्त, नए रिश्तों और नए तेवरों में पूर्ण स्वच्छन्द। हर साधारण औरत में छिपी एक असाधारण स्त्री की महागाथा तो है ही रेत-समाधि, संयुक्त परिवार की तत्कालीन स्थिति, देश के हालात और सामान्य मानवीय नियति का विलक्षण चित्रण भी है। और है एक अमर प्रेम प्रसंग व रोज़ी जैसा अविस्मरणीय चरित्र। कथा लेखन की एक नयी छटा है इस उपन्यास में। इसकी कथा, इसका कालक्रम, इसकी संवेदना, इसका कहन, सब अपने निराले अन्दाज़ में चलते हैं। हमारी चिर-परिचित हदों-सरहदों को नकारते लाँघते। जाना-पहचाना भी बिलकुल अनोखा और नया है यहाँ। इसका संसार परिचित भी है और जादुई भी, दोनों के अन्तर को मिटाता। काल भी यहाँ अपनी निरंतरता में आता है। हर होना विगत के होनों को समेटे रहता है, और हर क्षण सुषुप्त सदियाँ। मसलन, वाघा बार्डर पर हर शाम होनेवाले आक्रामक हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी राष्ट्रवादी प्रदर्शन में ध्वनित होते हैं ‘कत्लेआम के माज़ी से लौटे स्वर’, और संयुक्त परिवार के रोज़मर्रा में सिमटे रहते हैं काल के लम्बे साए।

Tum Meri Jaan Razia B - Novel: तुम मेरी जान रजिया बी - उपन्यास

by Shri. Piyush Mishra

पीयूष मिश्रा लिखित तुम मेरी जान हो रजिया बी इस किताब मे लेखक और रजिया बी इनका कोठे के भीतर का अनुभव लेखक ने बताया है

Aughad: औघड़

by Nilotpal Mrinal

‘औघड़’ भारतीय ग्रामीण जीवन और परिवेश की जटिलता पर लिखा गया उपन्यास है जिसमें अपने समय के भारतीय ग्रामीण-कस्बाई समाज और राजनीति की गहरी पड़ताल की गई है। एक युवा लेखक द्वारा इसमें उन पहलुओं पर बहुत बेबाकी से कलम चलाया गया है जिन पर पिछले दशक के लेखन में युवाओं की ओर से कम ही लिखा गया। ‘औघड़’ नई सदी के गाँव को नई पीढ़ी के नजरिये से देखने का गहरा प्रयास है। महानगरों में निवासते हुए ग्रामीण जीवन की ऊपरी सतह को उभारने और भदेस का छौंका मारकर लिखने की चालू शैली से अलग, ‘औघड़’ गाँव पर गाँव में रहकर, गाँव का होकर लिखा गया उपन्यास है। ग्रामीण जीवन की कई परतों की तह उघाड़ता यह उपन्यास पाठकों के समक्ष कई विमर्श भी प्रस्तुत करता है। इस उपन्यास में भारतीय ग्राम्य व्यवस्था के सामाजिक-राजनितिक ढाँचे की विसंगतियों को बेहद ह तरीके से उजागर किया गया है। ‘औघड़’ धार्मिक पाखंड, जात-पात, छुआछूत, महिला की दशा, राजनीति, अपराध और प्रसाशन के त्रियक गठजोड़, सामाजिक व्यवस्था की सड़न, संस्कृति की टूटन, ग्रामीण मध्य वर्ग की चेतना के उलझन इत्यादि विषयों से गुरेज करने के बजाय, इनपर बहुत ठहरकर विचारता और प्रचार करता चलता है। व्यंग्य और गंभीर संवेदना के संतुलन को साधने की अपनी चिर-परिचित शैली में नीलोत्पल मृणाल ने इस उपन्यास को लिखते हुए हिंदी साहित्य की चलती आ रही सामाजिक सरोकार वाली लेखन को थोड़ा और आगे बढ़ाया है।.

Ibnebatuti: इब्नेबतूती

by Divya Prakash Dubey

होता तो यह है कि बच्चे जब बड़े हो जाते है तो उनके माँ-बाप उनकी शादी कराते हैं लेकिन इस कहानी में थोड़ा-सा उल्टा है, या यूँ कह लीजिए कि पूरी कहानी ही उल्टी है। राघव अवस्थी के मन में एक बार एक उड़ता हुआ ख़याल आया कि अपनी सिंगल मम्मी के लिए एक बढ़िया-सा टिकाऊ बॉयफ्रेंड या पति खोजा जाए। राघव को यह काम जितना आसान लग रहा था, असल में वह उतना ही मुश्किल निकला। इब्नेबतूती आज की कहानी होते हुए भी एक खोए हुए, ठहरे हुए समय की कहानी है। एक लापता हुए रिश्ते की कहानी है। कुछ सुंदर शब्द कभी किसी शब्दकोश में जगह नहीं बना पाते। कुछ सुंदर लोग किसी कहानी का हिस्सा नहीं हो पाते। कुछ बातें किसी जगह दर्ज नहीं हो पातीं। कुछ रास्ते मंज़िल नहीं हो पाते। इब्नेबतूती-उन सभी अधूरी चीज़ों, चिट्ठियों, बातों, मुलाक़ातों, भावनाओं, विचारों, लोगों की कहानी है।

Gnani Purursh 'Dada Bhagwan' Bhag-1: ज्ञानी पुरुष 'दादा भगवान' (भाग-१)

by Dada Bhagwan

हरेक काल चक्र में बहुत से ज्ञानी और महान पुरुष जन्म लेते हैं, लेकिन उनकी आंतरिक ज्ञान दशा का रहस्य अभी भी गुप्त (अप्रगट) ही रह जाता हैं| प्रस्तुत ग्रंथ “ज्ञानी पुरुष” में परम पूज्य दादाभगवान की ज्ञानदशा के पहले के विविध प्रसंग और उनकी विचक्षण जीवनशैली सहित अद्भुत द्रश्यो का तादृष्य, यहाँ विस्तार से जानने को मिलता हैं | एक सामान्य मानव होतें हुए भी उनके अंदर समाहित असामान्य लाक्षनिकताओ रूपी खजाना बाहर प्रगट हुआ हैं | उनके जीवन के मात्र एक प्रसंग में से अद्भुत आध्यात्मिक खुलासे (स्पष्टिकरण) द्वारा प्रस्तुत ग्रंथ के माध्यम से विश्व-दर्शन कराया हैं | जीवन व्यवहार में सही निर्णयशक्ति की सुझ (समझ) तथा व्यवहारिक समझ की अड़चनों के खुलासे द्वारा अनोखी सुझ का भंडार “ज्ञानी पुरुष” ग्रंथ के माध्यम से जगत को प्राप्त होगा | इस पवित्र ग्रंथ का अध्ययन करके, ज्ञानी पुरुष के जीवन-दर्शन का अद्भुत सफ़र करने का अमूल्य अवसर प्राप्त करेंगे...

Aptavani Shreni 14 (Bhaag-1): आप्तवाणी श्रेणी १४ (भाग -१)

by Dada Bhagwan

प्रस्तुत पुस्तक में आत्मा के गुणधर्मो का स्पष्टिकरण (खुला) किया गया हैं, और उन कारणों की भी पहचान कराई गई हैं, की जिनके कारण हम आत्मा का अनुभव प्राप्त करने में असमर्थ रहें हैं | पुस्तक को दो भागों में विभाजित किया गया हैं | पहले भाग में ब्रह्मांड के छ: अविनाशी तत्वों का वर्णन, विशेषभाव (मैं), और अहंकार की उत्त्पति के कारणों का विश्लेषण किया हैं | आत्मा अपने मूल स्वाभाव में रहकर, संयोगो के दबाव और अज्ञानता के कारण एक अलग ही अस्तित्व(मैं) खड़ा हो गया हैं | “मैं” यह फर्स्ट लेवल का और “अहम्” यह सेकंड लेवल का अलग अस्तित्व हैं | राँग बिलीफ जैसे कि “मैं चंदुलाल हूँ”, “मैं कर्ता हूँ” उत्पन्न (खड़ी) होती हैं और परिणाम स्वरुप क्रोध-मान-माया और लोभ ऐसी राँग बिलीफ़ो में से उत्पन्न हुए हैं | “मैं चंदुलाल हूँ” यह बिलीफ सभी दुखों का मूल हैं | एक बार यह बिलीफ चलीजाए ,तो फिर कोई भी दुःख नहीं रहता हैं |

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