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Hindi Language - 3 class 10 - Karnataka Board: हिंदी भाषा - 3 कक्षा 10 - कर्नाटक बोर्ड

by Karnataka Patyapusthaka Sangha

Hindi Language-3 Textbook for 10th Standard kannada medium Karnataka State

Hindi Language - 3 class 6 - Karnataka Board: हिंदी भाषा - 3 कक्षा 6 - कर्नाटक बोर्ड

by Karnataka Patyapusthaka Sangha

Hindi language-3 textbook for 6th Standard Kannada medium, Karnataka State

Hindi Language - 3 class 7 - Karnataka Board: हिंदी भाषा - 3 वर्ग 7 - कर्नाटक बोर्ड

by Karnataka Patyapusthaka Sangha

Hindi Language-3 textbook for 8th standard kannada medium, Karnataka State

Hindi Language - 3 class 8 - Karnataka Board: हिंदी भाषा - 3 वर्ग 8 - कर्नाटक बोर्ड

by Karnataka Patyapusthaka Sangha

Hindi Language-3 Textbook for 8th Standard kannada medium, Karnataka State

Hindi Language - 3 class 9 - Karnataka Board: हिंदी भाषा - 3 कक्षा 9 - कर्नाटक बोर्ड

by Karnataka Patyapusthaka Sangha

Hindi Language- 3 Textbook for 9th Standard kannada medium, Karnataka State

Hua So Nyay: हुआ सो न्याय

by Dada Bhagwan

कुदरत के न्याय को यदि इस तरह समझोगे की “हुआ सो न्याय” तो आप इस संसार से मुक्त हो जाओगे। लोग जीवन में न्याय और मुक्ति एक साथ ढूँढते हैं। यहाँ पूर्ण विरोधाभास की स्थिति है। ये दोनों आपको एक साथ मिल ही नहीं सकते। प्रश्नों का अंत आने पर ही मुक्ति की शुरूआत होती है। अक्रम विज्ञान में सभी प्रश्नों का अंत आ जाता है, इसलिए यह बहुत ही सरल मार्ग है। दादाश्री की यह अनमोल खोज है की कुदरत कभी अन्यायी हुई ही नहीं है। जगत् न्याय स्वरूप ही है। जो हुआ सो न्याय ही है। कुदरत कोई व्यक्ति या भगवान नहीं है कि उस पर किसी का जोर चल सके। कुदरत यानि साईन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एवीडेन्स। कितने सारे संयोग इकट्ठे हों, तब कार्य होता है। दादाश्री के इस संकलन में, हुआ सो न्याय का विज्ञान प्रस्तुत किया गया है। इस सूत्र का जितना उपयोग जीवन में होगा, उतनी ही शांति बढेगी।

Ikisvin Shatabadi Main Lok Prashasan

by Ashoke Kumar Dube

This is a very good effort by the writer to let the reader understand the continuous change in the administrative arena. Public administration is government in its functioning. The writer has made very good attampt to tell the reader about the public administration in consonance with the cyber age.

Jadu Bhari Ladki: जादू भरी लड़की

by Kishore Chaudhary

जादू भरी लड़की, ये नौ कहानियों का संकलन है। शीर्षक कहानी एक लड़की के अटूट धैर्य और सादगी का बयान है। जीवन के कठोर पठार पर जीते जाना ही असल में लड़की का जादू से भरा होना है। किशोर चौधरी की कहानियों की भाषा शालीनता से भरी होती है और जीवन की विद्रूपता को सरल बिंबों के माध्यम से कहना इनकी कहानियों की विशेषता है। इन कहानियों का कथ्य अवास्तविक जीवन और कल्पना की उड़ान नहीं भरता है। इस संग्रह में शामिल कहानियाँ स्त्री केन्द्रित न होते हुए भी उनके आस पास के दुरूह जीवन को चित्रित करती हैं। इन कहानियों में सरल प्रेम का जटिल पक्ष मुखरित है। इस संग्रह में शामिल नौ कहानियाँ अपने-आप से अलग हैं। ये कहानियाँ महानगरीय जीवन के अकेलेपन से लेकर कस्बाई तन्हाई को चित्रित करती हुई हैं। इन कहानियों को पढ़ते हुए पाठक अपने संसार और अतीत से खुद को जोड़ पाता है, ऐसा लगता है कि कहानीकार की जगह पाठक खुद को पढ़ रहा है।

Jagat Karta Kaun?: जगत कर्ता कौन?

by Dada Bhagwan

अनादी कल से जगत की वास्तविकता जानने की मनुष्य की लालसा है मगर वह सही जान नहीं पाया है| मुख्यत: वास्तविकता में मैं कौन हूँ, इस जगत को चलाने वाला कौन है तथा इस जगत का रचयिता कौन है, यह जानना है| प्रस्तुत संकलन में सच्चा कर्ता कौन है, यह रहस्य खुल्ला किया गया है| आमतौर पर अच्छा हुआ तो ‘मैंने किया” मान लेता है और बुरा हुआ तो दूसरे पर आक्षेप देता है कि ‘इसने बिगाड़ दिया|’ नहीं तो ‘मेरी ग्रह दशा बिगड़ गयी है’बोलेगा या तो ‘भगवान् ने किया’ ऐसा भी आक्षेप दे देता है| यह सब रोंग मान्यताएं हैं| भगवांन क्या पक्षपात करने वाला है कि आपका नुकसान करे? यह दुनिया किसने बनाई? अगर बनाने वाला होता तो उसको किसने बनाया? फिर उसको भी किसने बनाया? याने उसका अंत ही नहीं है| और दूसरा यह भी प्रश्न पैदा होता है कि दुनिया उसको बनानी ही थी, तो फिर ऐसी कैसी दुनिया बनाई कि जिसमे सभी दुखी हैं? किसी को भी सुख नहीं है? उसकी मज़ा और अपनी सजा, यह कैसा न्याय?! इस काल में करता सम्बन्धी का सिद्धांत पहली बार विश्व को यथार्थ स्वरुप में परम पूज्य दादा भगवान् ने दिया है और वह यह है कि इस दुनिया में कोई स्वतंत्र कर्ता नहीं है| इस दुनिया को रचने वाला या चलाने वाला कोई भी नहीं है| यह जगत चलता है, वह साइंटिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडेंस से चलता है| जिसको परम पूज्य दादाश्री ‘व्यवस्थित शक्ति’ कहते हैं| जगत में कोई भी स्वतंत्र करता नहीं है, मगर, सब नैमितिक कर्ता हैं, सभी निमित हैं| गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा था कि, "हे! अर्जुन! तू इस युद्ध में निमित मात्र है, तू युद्ध का कर्ता नहीं है| प्रस्तुत पुस्तिका में करता का रहस्य परम पूज्य दादाश्री की सादी, सरल भाषा में दिल में उतर जाए, इस तरह से समझाया गया है|

Jinni: जिन्नी

by Anuja Chauhan

इस उपन्यास में अनुजा चौहान ने भारतीय लोक सभा इलेक्शन के रोलरकोस्टर राइड का रोमांच दर्शाया है। किताब में बहुत ही होशियार और वास्तविक किरदार पेश किए गए हैं। अनुजा दिलचस्प किरदार और बोल्ड अंदाज़ से भारतीय संस्कारों का गिरेबान पकड़ के पन्ना दर पन्ना पाठकों को हंसाते हुए आखिर तक उन्हें मजबूती से थामे रखती हैं साथ ही वो भारत और इंडिया के बीच तेजी से उभरती नई भाषा को बहुत विश्वसनीय ढंग से रखते हुए इनके मज़ेदार संयोजन को रचती हैं।

Jiyo Shan Se: जिओ शान से!

by Robin Sharma

अब हिंदी में, आप अपने जीवन में कहीं अधिक जीवन शक्ति, समृद्धि और आनंद पाने के लायक हैं - और आप इसे जल्दी से प्राप्त कर सकते हैं। 10 से अधिक वर्षों तक, लेखक रॉबिन शर्मा ने उन लोगों की रणनीतियों का अध्ययन किया, जिन्होंने स्थायी व्यक्तिगत, पेशेवर और आध्यात्मिक सफलता हासिल की है। पश्चिम में प्रमुख सीईओ, कुलीन एथलीटों और बेतहाशा सफल उद्यमियों से लेकर पूर्व के हिमालयी पहाड़ों में उच्च स्तर पर रहने वाले विद्वान दार्शनिकों और बुद्धिमान संतों तक, उन्होंने चोटी के कलाकारों की तलाश की, जिन्होंने समृद्धि, जुनून और शांति से भरा जीवन बनाया था। यह असाधारण पुस्तक उनके रहस्यों को उजागर करती है।

JPSC - Jharkhand Lok Seva Aayog Pariksha Niyamavali Evam Pathyakram: जे.पी.एस.सी - झारखण्ड लोक सेवा आयोग परीक्षा नियमावली एवं पाठ्यक्रम

by Margdarshan Publication

मार्गदर्शन - झारखंड लोक सेवा आयोग Revised Exam Pattern + Syllabus परीक्षा नियमावली एवं पाठ्यक्रम नवीनतम् पाठ्यक्रम - 2016 पर आधारित (हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम में) मार्गदर्शन पब्लिकेशन राँची, झारखण्ड ने प्रकाशित कि गई है। किताब में प्रारंभिक परीक्षा का स्वरूप और मुख्य परीक्षा का स्वरूप आदि के बारे में विवरण किया गया है।

Kabuliwala

by Rabindranath Tagore

Kabuliwala delicately explores the bonds of friendship and relationship between a middle-aged Pathan and a five year old Bengali girl. It is a simple tale of a father’s love for his daughter and the transfer of that love to another little girl.

Kahani Sanchay - Bhag 3

by New Saraswati House India Pvt. Ltd.

कहानी संचय पुस्तक में ऐसी कहानियों का समावेश किया गया है, जो रोचकता, बोधगम्यता, कल्पनाशीलता और विविधता के कारण बच्चों को पुस्तक उठाकर स्वयं पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी तथा बच्चों की पढ़ने, सुनने और मौखिक अभिव्यक्ति की क्षमता को भी विकसित करेंगी।

Kajaki

by Premchand

प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानियाँ

Karma Ka Siddhant: कर्म का सिद्धांत

by Dada Bhagwan

'मैंने किया' बोला कि कर्मबंध हो जाता है। ये 'मैंने किया' इसमें इगोइज़्म(अहंकार) है और इगोइज़्म से कर्म बंधा जाता है। जिधर इगोइज़्म ही नहीं, मैंने किया ही नहीं है, वहाँ कर्म नहीं होता है ।

Karma Ka Vignan: कर्म का विज्ञान

by Dada Bhagwan

जब भी हमारे साथ कुछ भी अच्छा या बुरा होता है तो हम हमेशा यही कहते हैं कि – यह सब हमारे कर्मो का ही नतीजा है| पर क्या हम जानते है कि कर्म क्या है और कर्म बंधन कैसा होता है? दादाश्री कहते है कि हमारा सारा जीवन हमारे ही पिछले कर्मो का नतीजा है| जो कुछ भी हमारे साथ अच्छा या बुरा हो रहा हैं, इसके ज़िम्मेदार हम खुद ही है| इस जीवन के कर्मो के बीज तो हमारे पिछले जन्मो में ही पड़ गए थे और अभी हम जो कुछ भी कर रहे है वह सब अगले जन्मों में रूपक में आएगा| लोग अक्सर यही सोचते है कि अच्छे कर्म और बुरे कर्म क्या होते है और किस प्रकार हम कर्म बंधन से मुक्त हो सकते है? दादाजी इसका जवाब देते हुए कहते है कि जिस काम से किसी का भला हो उसे अच्छे कर्म कहते है और जिससे किसी का नुक्सान हो, तो, उसे बुरे कर्म कहते है| कर्म बंधन से मुक्त होने का सबसे आसान और सरल उपाय यही है कि हम नए कर्मो के बीज ना डाले और अभी जो कुछ भी हो रहा है उसको समता से और समभाव से पूरा करे| ऐसा करने से नए कर्मो के बीज नहीं पड़ेंगे और हम इस जन्म-मरण के चक्कर से मुक्त हो पाएँगे| कर्म का विज्ञान और उसे चलाने वाली व्यवस्थित शक्ति के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, ‘कर्म का विज्ञान’, यह किताब ज़रूर पढ़े और अपने जीवन को सुखमय बनाये|

Kissa Hatimtai

by Gopal Sharma

Once upon a time, in Arabia, there lived a man called Hatim Tai. Hatim Tai was very kind and gentle. He was very handsome and also very intelligent. He was famous all over the world for his kindness. A lot of kings were jealous of Hatim Tai. Hatim Tai is the legendary chief of a small district known for his generosity, wisdom and courage. Hatim had a horse which was very fast. When the King of Turkey came to know about Hatim, he said, “Everybody says Hatim is very kind. I will go and test Hatim myself. I will ask him for the horse and, if he gives me the horse, then I will agree that he is the kindest man on this Earth.” How does king test Hatim to get his horse? What is Hatim's response to test?

Klesh Rahit Jeevan: क्लेश रहित जीवन

by Dada Bhagwan

क्या आप जीवन में उठनेवाले विभिन्न क्लेशों से थक चुके हो ? क्या आप हैरान हो कि नित्य नए क्लेश कहाँ से उत्पन्न हो जाते हैं ? क्लेश रहित जीवन के लिए आपको केवल पक्का निश्चय करना है कि आप लोगों के साथ सारा व्यवहार समभाव से निपटाओगे। यह चिंता नहीं करनी कि आप इसमें सफल होंगे या नहीं। केवल दृढ निश्चय करना है। फिर आज या कल, जीवन में शांति आकर ही रहेगी। हो सकता है कि इसमें कुछ साल भी लग जाएँ। क्योंकि आपके बहुत चीकने कर्म हैं। यदि बीवी-बच्चों के साथ बहुत उलझे हुए कर्म हों तो निकाल करने में अधिक समय लग जाता है। करीबी लोगों के साथ उलझने क्रमशः ही समाप्त होती हैं। यदि आप एक बार समभाव से निकाल करने का दृढ निश्चय कर लेंगे तो आपके सभी क्लेशों का अंत आएगा। चिकने कर्मों का निकाल करते वक्त आपको अत्यंत जागृत रहना होगा। साँप चाहे कितना भी छोटा हो, आपको सावधानी रहते हुए आगे बढ़ना होगा। अगर आपने लापरवाही और सुस्ती दिखाई तो इन मामलों को सुलझाने में असफल होंगे। व्यवहार में सभी के साथ समभाव से निकाल करने के दृढ़ निश्चय के बाद, यदि कोई आपको कटु वाणी बोल दे और आपकी भी कटु वाणी निकल जाए, तो आपके बाहरी व्यवहार का कोई महत्व नहीं, क्योकि आपकी घृणा समाप्त हो चुकी है। और आपने समभाव से निकाल का दृढ़ निश्चय कर रखा है। घृणा अहंकार का भाव है और वाणी शरीर का भाव है। अगर आपने समभाव से निकाल करने का दृढ़ निश्चय किया है, तो आप अवश्य सफल होंगे तथा आपके सभी कर्म भी समाप्त होंगे। आज अगर आप किसी का लोन नहीं चुका पाते, तो भविष्य में ज़रूर चुकता कर पाएँगे। आपके ऋण दाता आपसे आखिरकर आपसे उगाही कर ही लेंगे। “प्रतिशोध के सभी भावनाओं से मुक्त होने के लिए आपको परम पूज्य दादाश्री के पास आकर ज्ञान ले लेना चाहिए। मैं आपको इसी जीवन में प्रतिशोध की सभी भावनाओं से मुक्त होने का रास्ता दिखाऊँगा। जीवन से थके हुए लोग मृत्यु क्यों ढूँढते हैं? ऐसा इसलिए क्योंकि वे जीवन के इस तनाव का सामना नहीं कर पाते। इतने अधिक दबाव में आप कितने दिन जीवित रह सकते हो ? कीड़े-मकोडों की तरह, आज का मनुष्य निरंतर संताप में है। मनुष्य का जीवन मिलने के बाद किसी को कोई दुःख क्यों हो? सारा संसार संताप में है। और जो संताप में नहीं है, वे काल्पनिक सुखों में खोए हुए है। इन दोनों छोरों के बीच संसार झूल रहा है। आत्मज्ञानी होने के बाद, आप सभी कल्पनाओं और वेदनाओं से मुक्त हो जाओगे।’

Kritika Bhag 1 class 9 - RBSE Board: कृतिका भाग 1 9वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड

by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer

कृतिका भाग 1 माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान हेतु कक्षा नवमी के हिन्दी विषय हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार की गई है। इस पुस्तक में कुल पाँच पाठ हैं – इस जल प्रलय में, मेरे संग की औरतें, रीढ़ की हड्डी, माटी वाला और किस तरह आखिरकार में हिंदी में आया और अंत में लेखक परिचय दिय़ा है। पुस्तक में पाठ के साथ प्रश्न-अभ्यास दिए गए हैं, जो पाठ को रोचक बनाने, उसे स्पष्ट करने में मदद करेंगे। पुस्तक के अंत में लेखक परिचय का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है।

Krodh: क्रोध

by Dada Bhagwan

हमें क्रोध क्यों आता है? क्रोध आने के कुछ कारण यह है - जब कोई भी कार्य हमारी इच्छानुसार नहीं होता या हमें यह लगे कि सामनेवाला व्यक्ति हमारी बात नहीं समझ रहा या फिर किसी बात पर किसी के साथ मनमुटाव हो तब| लेकिन क्रोध आने का कोई भी निश्चित कारण नहीं होता| कई बार हमारी समझ से हमें यह लगता है कि, हम जो भी सोच रहे है या जो कुछ भी कर रहे है वह सब सही ही है| पर, उस वक्त यदि कोई दूसरा व्यक्ति आकार हमें गलत साबित करे तो हम अपना आपा खो बैठते है और उसपर अत्यंत क्रोधित हो जाते है| क्रोध करने से ना सिर्फ सामनेवाला व्यक्ति दुखी होता है पर हमें भी उतना ही दुःख होता है| कई किस्सों में यह देखा गया है कि जिससे हम सबसे अधिक प्यार करते है, उसपर ही सबसे ज्यादा गुस्सा भी करते हैं| इस तरह बिना सोचा समझे गुस्सा करने से कई बार हमारे संबंधो में भी काफी तनाव पैदा हो जाता है जिसका फल अच्छा नहीं होता| किस प्रकार हम अपने क्रोध पर काबू पा सकते है या किसी और क्रोधित व्यक्ति के साथ कैसा बर्ताव करे ताकि हमारे औरों से प्रेमपूर्वक सम्बन्ध बने रहे, इन प्रश्नों का हल पाने के लिए आगे पढ़े|

Kshitij Bhag 1 class 9 - RBSE Board: क्षितिज भाग 1 9वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड

by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer

क्षितिज भाग 1 माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान हेतु कक्षा नवमी के हिन्दी विषय हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार की गई है। इस पुस्तक में दो खंड (गद्य-खंड और काव्य खंड) दिए है, काव्य खंड में हिंदी कविता के विभिन्न कालों का प्रतिनिधित्व करने वाले नौ कवियों की कविताओं को यहाँ संकलित किया गया है। हिंदी कविता के ऐतिहासिक विकास से भी वे वाकिफ़ हो सकें इसलिए संकलित कवियों की कविताओं को काल-क्रमानुसार रखा गया है। गद्य विधाओं के चयन में कहानी, यात्रा-वृत्तांत, निबंध, डायरी, व्यंग्य, आत्मकथा आदि विधाओं की कुल आठ गद्य रचनाएँ पुस्तक में रखी गई हैं। पुस्तक में गद्य और काव्य खंड के रचनाओं को 'सरलता से कठिनता की ओर' के शैक्षणिक सूत्र को ध्यान में रखकर संकलित किया गया है।

Lakshya!: लक्ष्य!

by Brian Tracy

ऐसा क्यों होता है कि कुछ लोग जीवन में सारे लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं जबकि कुछ लोग उनके बारे में सिर्फ सोचते ही रह जाते हैं। इस पुस्तक के द्वारा प्रसिद्ध लेखक ब्रायन ट्रेसी ने सरल, उपयोगी और प्रेरणादायी 21 नियमों द्वारा संपूर्ण सफलता की राह बताई है जिस पर चलकर लाखों लोगों ने सफलता प्राप्त की है। ये नियम न सिर्फ सफलता की कुंजी हैं बल्कि आपका आत्मविश्वास और व्यक्तित्व निखारने में भी सफल साबित होंगे।

Loktantrik Rajniti Class 9 - RBSE Board: लोकतांत्रिक राजनीति 9वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड

by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer

लोकतांत्रिक राजनीति 1 माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान हेतु कक्षा नवमी के हिन्दी विषय हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार की गई है। इस पुस्तक में कुल पाँच अध्याय है। इस किताब में अध्याय की सामग्री को सहलियत से पढाने में खंड और उप-खंड आपके लिए मददगार साबित होंगे। इससे आप अध्याय की बातों को एक-एक करके उठा सकेंगे। अमूमन हर अध्याय को चार खंडों में बाँटा गया है। एक खंड को आप तीन 'पीरियड' में पूरा कर सकते हैं। खंड के शीर्षक के साथ संख्या दी गई है। शीर्षक इस बात का इशारा है कि अध्याय के भीतर अब नई बात शुरू होने जा रही है। उप-खंडों के शीर्षक के सहारे किसी बात को बिंदुवार बताने में आपको सहूलियत होगी। मुख्य बात को ज़्यादा स्पष्ट करने वाली अतिरिक्त सूचनाओं अथवा विश्लेषण को बॉक्स में डाला गया है। 'बॉक्स' मुख्य पाठ का ज़रूरी हिस्सा है और इसे भी पढ़ना है।

Mai Kaun Hu: मैं कौन हूँ?

by Dada Bhagwan

केवल जीवन जी लेना ही जीवन नहीं है। जीवन जीने का कोई ध्येय, कोई लक्ष्य भी तो होगा। जीवन में कोई ऊँचा लक्ष्य प्राप्त करने का ध्येय होना चाहिए। जीवन का असली लक्ष्य ‘मैं कौन हूँ’, इस सवाल का जवाब प्राप्त करना है। पिछले अनंत जन्मों का यह अनुत्तरित प्रश्न है। ज्ञानीपुरुष परम पूज्य दादाश्री ने मूल प्रश्न “मैं कौन हूँ?” का सहजता से हल बता दिया है। मैं कौन हूँ? मैं कौन नहीं हूँ? खुद कौन है? मेरा क्या है? मेरा क्या नहीं है? बंधन क्या है? मोक्ष क्या है? क्या इस जगत् में भगवान हैं? इस जगत् का ‘कर्ता’ कौन है? भगवान ‘कर्ता’ हैं या नहीं? भगवन का सच्चा स्वरूप क्या है? ‘कर्ता’ का सच्चा स्वरूप क्या है? जगत् कौन चलाता है? माया का स्वरूप क्या है? जो हम देखते और जानते हैं, वह भ्रांति है या सत्य है? क्या व्यावहारिक ज्ञान आपको मुक्त कर सकता है? इस संकलन में दादाश्री ने इन सभी प्रश्नों के सटीक उत्तर दिए हैं।

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