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Manav Dharma: मानव धर्म

by Dada Bhagwan

मनुष्य जीवन का ध्येय क्या है? इंसान पैदा होता है तबसे ही संसार चक्र में फँसकर लोगो के कहे अनुसार करता है| स्कूल-कॉलेज की पढाई करता है, नौकरी या धंधा करता है, शादी करके बच्चे पैदा करता है, और बूढ़े होने पर मर जाता है| तो क्या यही हमारे जीवन का मूल उद्शेय है? परम पूज्य दादाभगवान, मनुष्य जन्म को ४ गतियों का जंक्शन बताते है जहाँसे, देवगति, जानवरगति या नर्कगति में जाने का रास्ता खुला होता है|जिस प्रकार के बीज डाले हो और जिन कारणों का सेवन किया हो, उस गति में आगे जाना पड़ता है| तो, इन फेरो से आखिर हमें मुक्ति कब मिलेगी? दादाजी बताते है कि, मानवता या ‘मानवधर्म’ की सबसे बड़ी परिभाषा ही यह है कि, अगर कोई तुम्हें दुःख दे और तुम्हें अच्छा ना लगे, तो दूसरों के साथ भी ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए| अगले जन्म में अगर नर्कगति या जानवर गति में नहीं जाना हो तो, मानवधर्म का हमेशा ही पालन करना चाहिए| इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, यह किताब पढ़े और अपना मनुष्यजीवन सार्थक बनाइये|

Mata Pita Aur Bachcho Ka Vyavhar (Sanxipt): माता-पिता और बच्चो का व्यवहार (संक्षिप्त)

by Dada Bhagwan

बच्चों की सही परवरिश में माँ-बाप का बहुत बड़ा हाथ होता है| बच्चों के साथ हमेशा प्रेमपूर्वक व्यवहार ही करना चाहिए ताकि उन्हें अच्छे संस्कार प्राप्त हो| माँ-बाप बच्चों का व्यवहार सदैव मित्राचारी का होना चाहिए| यदि माँ-बाप बच्चों के साथ डाट कर या मार कर व्यवहार करेंगे तो बच्चे निश्चित ही उनका कहा नहीं मानेंगे और गलत रास्ते पर चढ जाएँगे| माँ-बाप के उच्च संस्कार ही घर में आनंद और शान्ति का माहौल खड़ा कर सकते है| माता पिता का कर्तव्य है कि वह बच्चों की मनोस्थिति को जानकार उसके अनुसार उनके साथ वर्तन करे| आज के ज़माने में टीनएजर्स को संभालना अत्यंत मुश्किल हो गया है| किस तरह से माँ-बाप उनके साथ व्यवहार करे ताकि उन्हें अच्छे संस्कार मिले और वह किसी गलत रास्ते पर ना चले, इस बात कि पूरी समझ हमें इस पुस्तक में मिलती है जिसमें दादाजी ने हमें माँ-बाप बच्चों के सम्बन्ध सुधारने के लिए बहुत सारी चाबियाँ दी है|

MHD-4 Natak aur anya Gaddhaya Vidhayain - 3 - IGNOU

by Ignou

In this book of M.A. hindi there is play and process in its third section. In this section you will study about some other process.

MHD01 Aadi Kavya - IGNOU

by Ignou

The M.A. It is the first course of Hindi has four sections. Etc. Poetry, devotion Kawy- (poetic attributes), Bhakti Kawy- (Sagun poetry) and poetry Sagun. The first section is the unit in which four of Adikawy Prithviraj Raso composed poetry and fiction seen in the eyes of Chandbrdai vidyapati describes compositions.

MHD01 Bhakti Kavya-2 - IGNOU

by Ignou

Section three of the attributes in this section Baktikawy creators - Tulsi, Mira and Soor - is described. Which is four units. Surdas in devotion to Krishna, Meera describes the devotion and love to krishna of his poetry have been analyzed and Tulsidas. In this poetic description Tulsi described the Chanda by the Ramcharitmanas.

MHD01 Bhakti Kavya - IGNOU

by Ignou

This is the second volume of devotional poetry. Sagun Bhakti poetry and poetic prose in which the attributes of the two sections. Section two of the main attributes in this section Bhakti poet Kabir's poetry and writings describe Jaycee. Jaycee in this verse of poetry and his work has been described Pdmawat special.

MHD01 Reeti Kavya - IGNOU

by Ignou

The creators of the three major poetic manner in this section - describes compositions of Bhihari, Gnanand and Padmakar. It has three units which are described in poems. Bihari's poetry, the poetry and Padmakar Gnanand poetry. Sringara the poetry and mystery Actor- Actoress is described in detail. This section describes the characteristics of Ritikawy.

MHD14 Gaban - IGNOU

by Ignou

Fifth part of MHD 14th talks about Gaban. The story in the novel moves forward with the national movement. The situation and aspiration of the middle class have been explored by the writer. Different aspects of the novel have been discussed in this section and students are suggested to go through the novel.

MHD14 Premashram - IGNOU

by Ignou

Third part of Mhd 14th has been written about Premashram. Premchand is the first novelist to write about farmers revolution the novel talks about various agrarian problems face by the farmers.

MHD14 Rangbhoomi - IGNOU

by Ignou

The Fourth part of MHD 14th is about Rangbhoomi. in this novel Premchand writes about industrialization and its bed impact on the society. The distraction of rural life, the disintegration of families and rise of a new social class are things to be pondered upon.

MHD14 Seva Sadan - IGNOU

by Ignou

This section of MHD 14th has Seva Sadan written by Premchand at its focus. Premchand has written on the plight of middle class of society and women empowerment in his era.

MHI01 Arambhik Manav Samaj - IGNOU

by Ignou

MHI01 Arambhik Manav Samaj (1) Pathyakram Parichaya. Chapter 1-Shikar aur Sangrahan. Chapter 2-Pashupalak Khanabadoshi. Chapter 3-Krishi ki Ore Sankraman. Chapter 4-Navpashan Kranti. Chapter 5-Duniya Par Asar. Shabdavali. Iss Khand Ke Liye Kuch Upyogi Pustaken.

MHI01 Madhyayugin Sansar me Vyapar aur Vanijya - IGNOU

by Ignou

MHI01 Madhyayugin Sansar me Vyapar aur Vanijya (7) Chapter 24-Samudri Vyapar Chapter 25-Vyapari Samuday Chapter 26- Vanijyik Prathayen Chapter 27-Shilp Utapadan Shabdavali Iss khand ke liye kuch upyogi pustaken

Miljul Kar Rahane Vaala Aman

by BPI India Pvt Ltd

मूल्य शिक्षा के आधार पर कहानियाँ

Mrutyu Samay Pahle Aur Pashchat: मृत्यु समय, पहले और पश्चात

by Dada Bhagwan

मृत्यु- हमारे जीवन का अविभाज्य अंग है| हर व्यक्ति को अपने जीवन में किसी ना किसी रूप में मृत्यु का सामना करना पड़ता है| किसी अपने परिवारजन या पड़ौसी की मृत्यु देखकर वह भयभीत हो जाता है और मृत्यु से संबंधीत तरह तरह की कल्पनाएँ करने लगता है| कई तरह के प्रश्न जैसे – मृत्यु के बाद इंसान कहा जाता है, क्या उसका पुनर्जनम संभव है, वह किस रूप में पुनः जन्म लेता है इत्यादि उसे भ्रमित कर देते है और मृत्यु का खौफ पैदा करते है| परम पूज्य दादा भगवान को हुए आत्मज्ञान द्वारा उन्होंने इस रहस्य से संबंधित अनेक प्रश्नों का जवाब दिया है| जन्म और मृत्यु का चक्र, पुनर्जनम, जन्म-मृत्यु से मुक्ति, मोक्ष की प्राप्ति आदि प्रश्नों के सटीक जवाब हमें उनकी पुस्तक ‘मृत्यु के रहस्य’ में मिलती है| दादाश्री हमें मृत्यु से संबंधित सारी गलत मान्यताओं की सही समझ देकर हमे यह बताते है कि आखिर हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य क्या है और हम किस प्रकार इस चक्कर से हमेशा के लिए मुक्त हो सकते है|

Mujhse Bura Koi Nahi: मुझसे बरा कोई नहीं

by Surender Mohan Pathak

A notorious underworld don-turned-politician is critically injured in a blast that almost destroys his empire. His family and aides will now leave no stone unturned in finding and killing the men behind the gruesome attack. Jeet Singh was the last person to be seen in the room where the bomb was planted even though he had no inkling of the danger zone he was entering. Caught in the vicious circle of assault and revenge, will Jeet Singh be able to prove his innocence?

Mukti Maarg

by Premchand

प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानियाँ

Musafir Cafe: मुसाफ़िर कॅफे

by Divya Prakash Dubey

हम सभी के जीवन में एक या दूसरी सूचियाँ होती हैं। मुसाफिर कैफे जीवन और इन सभी सूचियों के बारे में है। यह जीवन में एक ठहराव की तरह है, जब हम कोशिश करते हैं और अपने आप को धीमा करते हैं कि हम कहाँ हैं, और हम यहाँ से कहाँ जाना चाहते हैं? मुसाफिर कैफे दो युवा और आधुनिक व्यक्तियों, सुधा और चंदर की कहानी है। सुधा जो पेशे से वकील है और व्यक्ति में एक मजबूत मुक्त उत्साही लड़की है। वह देश की शीर्ष वकील बनना चाहती है जबकि चंदर एक भ्रमित सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। हालाँकि उन दोनों को यकीन है कि वे शादी नहीं करना चाहते हैं और किसी के साथ घर बसाना चाहते हैं, लेकिन वे माता-पिता की खातिर हर सप्ताहांत इस मीटिंग गेम को खेलते हैं। घटनाएँ उन्हें एक सप्ताह के लिए एक साथ रहने के लिए प्रेरित करती हैं, लेकिन वे एक-दूसरे की उपस्थिति और जीवन में हस्तक्षेप करने के लिए अभ्यस्त हो जाते हैं, यह एक अनियोजित लिव-इन संबंध बन जाता है। मुसाफिर कैफे केवल सुधा और चंदर की कहानी नहीं है, यह हम सभी की कहानी है, जो बकेट लिस्ट पर टिकने की कोशिश कर रहे हैं और एक आदर्श जीवन की तलाश कर रहे हैं।

Naadaan Dost

by Premchand

प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानियाँ

Nana-Nani

by Ghanshyam Tiwari

नाना-नानी दो बच्चो की कहानी है। मध्य प्रदेश में गुजराती और मालवी भाषा का प्रभाव है वहाँ नाना-नानी का अर्थ लड़का-लड़की है। इस कहानी में दोनो बच्चे एक दुसरे से ऊँचा बनने की होड़ करते हुये तरह-तरह की कल्पना करते है।Nana-Nani is the story of two children. Due to effect of Gujrati and Malvi languages in Madhya Pradesh, Nana-Nani means a girl and a boy. In this story, two children are competing with each other to be elevated as elders.

NES-101- Praathamik Vidyaalay Ka Baalak - Ek Adhyayan- 3 - IGNOU

by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalaya

NES- 101 प्राथमिक विद्यालय का बालक – एक अध्ययन खंड 3 इनमें शारीरिक एवं गामक विकास, संज्ञानात्मक एवं भाषा विकास तथा सामाजिक, संवेगात्मक एवं नैतिक विकास पर चर्चा की गई है। इकाई 6 शारीरिक एवं गामक विकास पर है, इसमें शारीरक विकास की विशेषताओं के बारे में अध्ययन किया गया है। संज्ञानात्मक और भाषा विकास से संबंधित इकाई 7 में विकास की अवस्थाओं के बारे में पियाजे ने जिन आधारभूत मान्यताओं की स्थापना की थी, उन पर विचार करने का प्रयास किया गया है। इकाई 8 में बच्चों के सामाजिक, संवेगात्मक एवं नैतिक विकास पर विचार किया गया है। यह दृष्टान्तों के प्रस्तुतीकरण द्वारा उनमें अन्तर्सम्बन्धों पर प्रकाश डालता है। प्रस्तुत किए गए दृष्टान्त के विश्लेषण से बच्चों में सामाजिक, संवेगात्मक एवं नैतिक विकास के लक्षणों को समझने के लिए रोचक सहायता मिलती है। इन क्षेत्रों में विकास के प्रतिमान पर विस्तृत विचार किया गया है।

NES-103 - Adhigam Ke Lie Maargadarshan-2 -IGNOU

by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalaya

NES- 103 अधिगम के लिए मार्गदर्शन खंड 2 में चार इकाई दि गई है, अधिगम प्रक्रिया सुगम बनाना अभिभावकों एवं शिक्षकों का इसमें महत्वपूर्ण कार्य है। अधिगम की क्षमता मूलतः तीन महत्वपूर्ण कारकों पर निर्भर करती है: खुद सीखने वाला, अधिगम-सामग्री तथा अधिगम विधियाँ। यह आवश्यक है कि हम सीखने वालों की अभिवृत्तियों तथा योग्यताओं, क्षमताओं तथा अक्षमताओं की पहचान करें। इस खंड में छात्रों की अधिगम संबंधी कुछ समस्याओं जैसे, अवधान, अभिप्रेरणा और अभिरुचि आदि की चर्चा करने का प्रयास किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें बच्चों की योग्यताओं तथा आवश्यकताओं को पहचानने एवं उनका मूल्यांकन करने तथा अधिगम की स्थितियों को अनुकूल बनाने के लिए सुझाव दिए गए हैं।

NES-104 Bachchon Ke Samajik-Sanvegatmak Vikas me Margadarshan-1 - IGNOU

by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalaya

एन ई एस – 104 संवृद्धी एवं विकास को सुगम बनाना खंड 1 इस पाठ्यक्रम में बच्चों की विशेष समस्याओं, जैसे बच्चों को प्यार, दुलार, स्नेह, मान्यता की आवश्यकता होती है। इन आवश्कताओं की पूर्ति बच्चों में सुरक्षा एवं आत्मविश्वास की भावना विकसित करती है। जब इन आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होती है तो बच्चों में असुरक्षा की भावना जागृत होती हैं एवं बच्चा परिवेश से समायोजन करने के कौशल नहीं सीख पाता है। इस खंड में हम बच्चों की सामान्य आवश्यकताओं एवं विभिन्न संवेगात्मक एवं आचरण संबंधी समस्याओं के बारे में अध्ययन करेंगे।

NES-104 Bachchon Ke Samajik-Sanvegatmak Vikas me Margadarshan-2 - IGNOU

by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalaya

एन ई एस – 104 संवृद्धी एवं विकास को सुगम बनाना खंड 2 इस पाठ्यक्रम में ‘बच्चो के सामाजिक-संवेगात्मक विकास में मार्गदर्शन’ में बच्चों की विशेष समस्याओं, जैसे वाक् दोष, अनुसूचित जनजाति के बच्चे एवं लड़कियों की सामाजिक और संवेगात्मक समस्याएँ आदी के बारे में जानकारी दि गई है। बच्चों के सामाजिक एवं संवेगात्मक समस्याओं का विश्लेषण, उनकी आत्मधारणा, अभिभावकों की प्रवृत्ति और सामाजिक पूर्वाग्रह का अध्ययन भी किया गया है।

Nijdosh Darshan se Nirdosh!: निजदोष दर्शन से... निर्दोष!

by Dada Bhagwan

परम पूज्य दादाश्री का ज्ञान लेने के बाद, आप अपने भीतर की सभी क्रियाओं को देख सकेंगे और विश्लेषण कर सकेंगे। यह समझ, पूर्ण ज्ञान अवस्था में पहुँचने की शुरूआत है। ज्ञान के प्रकाश में आप बिना राग द्वेष के, अपने अच्छे व बुरे विचारों के प्रवाह को देख पाएँगे। आपको अच्छा या बुरा देखने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि विचार परसत्ता है। तो सवाल यह है कि ज्ञानी दुनिया को किस रूप में देखतें हैं ? ज्ञानी जगत् को निर्दोष देखते हैं। ज्ञानी यह जानते हैं कि जगत की सभी क्रियाएँ पहले के किए हुए चार्ज का डिस्चार्ज हैं। वे यह जानते हैं कि जगत निर्दोष है। नौकरी में सेठ के साथ कोई झगड़ा या अपमान, केवल आपके पूर्व चार्ज का डिस्चार्ज ही है। सेठ तो केवल निमित्त है। पूरा जगत् निर्दोष है। जो कुछ परेशानियाँ हमें होती हैं, वह मूलतः हमारी ही गलतियों के परिणाम स्वरूप होती हैं। वे हमारे ही ब्लंडर्स व मिस्टेक्स हैं। ज्ञानी की कृपा से सभी भूलें मिट जाती हैं। आत्म ज्ञान रहित मनुष्य को अपनी भूले न दिखकर केवल औरों की ही गलतियाँ दिखतीं हैं। निजदोष दर्शन पर परम पूज्य दादाश्री की समझ, तरीके, और उसे जीवन में उतारने की चाबियाँ इस किताब में संकलित की गई हैं। ज्ञान लेने के बाद आप अपनी मन, वचन, काया का पक्ष लेना बंद कर देते हैं और निष्पक्षता से अपनी गलतियाँ खुद को ही दिखने लगती हैं, तथा आंतरिक शांति की शुरूआत हो जाती है।

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