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Nijdosh Darshan se Nirdosh!: निजदोष दर्शन से... निर्दोष!

by Dada Bhagwan

परम पूज्य दादाश्री का ज्ञान लेने के बाद, आप अपने भीतर की सभी क्रियाओं को देख सकेंगे और विश्लेषण कर सकेंगे। यह समझ, पूर्ण ज्ञान अवस्था में पहुँचने की शुरूआत है। ज्ञान के प्रकाश में आप बिना राग द्वेष के, अपने अच्छे व बुरे विचारों के प्रवाह को देख पाएँगे। आपको अच्छा या बुरा देखने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि विचार परसत्ता है। तो सवाल यह है कि ज्ञानी दुनिया को किस रूप में देखतें हैं ? ज्ञानी जगत् को निर्दोष देखते हैं। ज्ञानी यह जानते हैं कि जगत की सभी क्रियाएँ पहले के किए हुए चार्ज का डिस्चार्ज हैं। वे यह जानते हैं कि जगत निर्दोष है। नौकरी में सेठ के साथ कोई झगड़ा या अपमान, केवल आपके पूर्व चार्ज का डिस्चार्ज ही है। सेठ तो केवल निमित्त है। पूरा जगत् निर्दोष है। जो कुछ परेशानियाँ हमें होती हैं, वह मूलतः हमारी ही गलतियों के परिणाम स्वरूप होती हैं। वे हमारे ही ब्लंडर्स व मिस्टेक्स हैं। ज्ञानी की कृपा से सभी भूलें मिट जाती हैं। आत्म ज्ञान रहित मनुष्य को अपनी भूले न दिखकर केवल औरों की ही गलतियाँ दिखतीं हैं। निजदोष दर्शन पर परम पूज्य दादाश्री की समझ, तरीके, और उसे जीवन में उतारने की चाबियाँ इस किताब में संकलित की गई हैं। ज्ञान लेने के बाद आप अपनी मन, वचन, काया का पक्ष लेना बंद कर देते हैं और निष्पक्षता से अपनी गलतियाँ खुद को ही दिखने लगती हैं, तथा आंतरिक शांति की शुरूआत हो जाती है।

One Indian Girl: वन इंडियन गर्ल

by Chetan Bhagat

हाय, मैं राधिका मेहता हूँ और इसी हफ्ते मेरी शादी होने जा रही है। मैं एक इंवेस्टमेंट बैंक गोल्डमान साक्स के लिए काम करती हूँ। मेरी कहानी पढ़ने के लिए शुक्रिया। बहरहाल, मैं आपको एक बात बता देना चाहती हूँ। शायद आप मुझे बहुत ज़्यादा पसंद ना करें। क्योंकि: एक, मैं बहुत पैसा कमाती हूँ। दो, दुनिया की हर चीज़ को लेकर मेरे अपने विचार हैं। और तीन, इससे पहले मेरा एक बॉयफ्रेंड रह चुका है। ओके, एक नहीं शायद दो! अगर मैं लड़का होती तो आपको इन तमाम बातों से कोई तकलीफ नहीं होती। लेकिन चूँकि मैं लड़की हूँ, इसलिए ये तमाम बातें मुझे बहुत हरदिल अज़ीज़ तो नहीं ही बनाती होंगी, है ना? चेतन भगत लेखक की कलम से निकली एक शानदार कहानी, जो आधुनिक भारत की एक लड़की के नज़रिये से हमें बताती है कि आज प्यार, सपनों, कैरियर और फेमिनिज्म के क्या मायने हैं।

Paap Punya: पाप पुण्य

by Dada Bhagwan

पाप या पुण्य, जीवन में किये गए किसी भी कार्य का फल माना जाता है| इस पुस्तक में दादाश्री हमें बहुत ही गहराई से इन दोनों का मतलब समझाते हुए यह बताते है कि, कोई भी काम जिससे दूसरों को आनंद मिले और उनका भला हो, उससे पुण्य बंधता है और जिससे किसीको तकलीफ हो उससे पाप बंधता है| हमारे देश में बच्चा छोटा होता है तभीसे माता-पिता उसे पाप और पुण्य का भेद समझाने में जुट जाते है पर क्या वह खुद पाप-पुण्य से संबंधित सवालों के जवाब जानते है? आमतौर पर खड़े होने वाले प्रश्न जैसे- पाप और पुण्य का बंधन कैसे होता है? इसका फल क्या होता है?क्या इसमें से कभी भी मुक्ति मिल सकती है?यह मोक्ष के लिए हमें किस प्रकार बाधारूप हो सकता है? पाप बांधने से कैसे बचे और पुण्य किस तरह से बांधे?|||इत्यादि सवालों के जवाब हमें इस पुस्तक में मिलते है| इसके अलावा, दादाजी हमें प्रतिक्रमण द्वारा पाप बंधनों में से मुक्त होने का रास्ता भी बताते है| अगर हम अपनी भूलो का प्रतिक्रमण या पश्चाताप करते है, तो हम इससे छूट सकते है| अपनी पाप –पुण्य से संबंधित गलत मान्यताओं को दूर करने और आध्यात्मिक मार्ग में प्रगति करने हेतु, इस किताब को ज़रूर पढ़े और मोक्ष मार्ग में आगे बढ़े|

Paiso Ka Vyavhaar (Granth): पैसों का व्यवहार (ग्रंथ)

by Dada Bhagwan

हमारे जीवन में पैसों का अपना महत्व है। यह संसार पैसों और जायदाद को सबसे महत्वपूर्ण चीज मानता है। कुछ भी करने के लिए पैसा ज़रूरी है इसलिए लोगों को पैसों के प्रति अधिक प्रेम है। इसी कारण दुनिया में चारों और नैतिक या अनैतिक तरीके से अधिक से अधिक पैसा प्राप्त करने की लड़ाइयाँ हो रही हैं। पैसों और जायदाद के असमान बंटवारे को लेकर लोग परेशान हैं। इस भयंकर कलयुग में पैसों के बारे में नैतिक और ईमानदार रहना बहुत मुश्किल है ज्ञानी पुरुष परम पूज्य दादा भगवान ने पैसों की दुनिया को जैसा देखा है, वैसी दुनिया से संबंधित पैसे दान और पैसों के उपयोग से संबंधित खुद के विचार रखे हैं। उनके बताए अनुसार पैसे पिछले जन्मों के पुण्य का फल है जब आप औरों की मदद करते हैं तब आपके पास धन संपत्ति आती है, उसके बिना नहीं। जिन्हें दूसरों के साथ बांटने की इच्छा है उन्हें धन संपत्ति प्राप्त होती है। चार प्रकार के दान हैं - अन्न दान औषध दान, ज्ञान दान और अभय दान। पैसों के विज्ञान का विज्ञान नहीं समझने के कारण पैसों के लिए लोभ उत्पन्न हुआ है जिसके कारण जन्म के बाद जन्म होते रहते हैं। अतः इस पुस्तक को पढ़ें समझें और पैसों से संबंधित आध्यात्मिक विचार ग्रहण करें।

Paiso Ka Vyvahaar (Sanxipt): पैसों का व्यवहार (संक्षिप्त)

by Dada Bhagwan

एक सुखी और अच्छा जीवन बिताने हेतु, पैसा हमारा जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है| पर क्या कभी आपने यह सोचा है कि, ‘ क्यों किसी के पास बहुत सारा पैसा होता है और किसी के पास बिल्कुल नहीं?’ परम पूज्य दादाजी का हमेशा से यही मानना था कि, पैसों के व्यवहार में नैतिकता बहुत ही ज़रूरी है| अपने अनुभवों के आधार पर और ज्ञान की मदद से वह पैसों के आवन-जावन, नफा-नुक्सान, लेन-देन आदि के बारे में बहुत ही विगतवार जानते थे| वह कहते थे कि मन की शान्ति और समाधान के लिए किसी भी व्यापार में सच्चाई और ईमानदारी के साथ नैतिक मूल्यों का होना भी बहुत ही ज़रूरी है| जिसके बिना भले ही आपके पास बुहत सारा धन हो पर अंदर से सदैव चिंता और व्याकुलता ही रहेगी| अपनी वाणी के द्वारा दादाजी ने हमें पैसों के मामले में खड़े होने वाले संघर्षों से कैसे मुक्त हो और किस प्रकार बिना किसी मनमुटाव के और ईमानदारी से, अपना पैसों से संबंधित व्यवहार पूरा करे इसका वर्णन किया है जो हम इस किताब में पढ़ सकते है|

Pariyavaran Adhyayan class 5 - RBSE: परियावरन अधयन कक्षा 5 - आरबीएसई

by Rajasthan State Textbook Board

Paryavaran Adhyayan (EVS) Textbook for Class 5

Pariyavaran Adhyayan class 5 - RBSE Board: पर्यावरण अध्ययन कक्षा 5 - आरबीएसई बोर्ड

by Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipur

प्रस्तुत पुस्तक का निर्माण एन.सी.एफ. 2005 के मार्गदर्शक सिद्धान्त, एन.सी.ई.आर.टी एवं अन्य राज्यों के पाठ्यक्रम व पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन कर किया गया है। इसके अनुसार विद्यार्थी में ज्ञान निर्माण हेतु अनुभवों के विश्लेषण करने, स्वयं करके सीखने, समझने, व्याख्या करने, सूचनाएँ एकत्र कर स्वयं से संवाद स्थापित करने में सक्षम बन सकेगा।। शिक्षक का दायित्व होगा कि वह यह समझे कि विद्यार्थियों को कब, कहाँ और क्या मार्गदर्शन देना है। शिक्षक सुविधादाता/सहयोगकर्ता के रूप में अपनी भूमिका पुख्ता करें ताकि बच्चों को सोचने, समझने, और स्वयं निष्कर्ष तक पहुँचने में सहायता मिल सके। समाज में जिन मूल्यों को महत्त्व दिया जा रहा है, उन मूल्यों को वे आत्मसात कर अपने व्यवहार में ला सकें। इस कार्य हेतु पर्यावरण अध्ययन की पुस्तक "अपना परिवेश" के शिक्षण में शिक्षकों को निम्नांकित बिंदुओं पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि इन्हीं बातों का पुस्तक लेखन में भी ध्यान रखा गया है।

Pashchatya Darshan ka Sameekshatmak Itihas - Competitive Exam

by Y. Masih

इस पुस्‍तक में दर्शन को वैचारिक कला माना गया है। इसी दृष्टिकोण दार्शनिकों ने पाश्‍चात्‍य दर्शन में तीन भागों में अलग -अलग विषय को स्‍पष्‍ट किया है। भाग-1 में यूनानी दर्शन का स्‍वरूप, पढ़ने की आवश्‍यकता उनका आरम्‍भ और विशेषताएँ बतायी गयी है। प्रकृतिवादी यूनानी दर्शन मानव केन्दित दर्शन उनके विचार, दर्शन का तंत्र का युग का स्‍पष्‍टीकरण किया है पाश्‍चात्‍य दर्शन के दार्शनिकों में सुकरात, प्‍लेटो और अरस्‍तु के दर्शन विषय का महत्‍व मुख्‍य है। भाग-2 के मध्‍ययुगीन दर्शन में जौन स्‍कोटस एरिजिना, संत अगास्टिन का ईसाई वचन, ज्ञान मीमांसा, ईश्‍वर ज्ञान ईश्‍वर का स्‍वरूप और अशुभ की समस्‍या, मानव विचार, आधुनिक दर्शन की ओर धर्म मीमांसा संकल्‍प और बुद्धि आदि विषयों का विस्‍तार से स्‍पष्‍टीकरण किया है। भाग-3 में आधुनिक दर्शन की विशेषताएँ, दार्शनिक बुद्धिवाद, ज्ञान मीमांसीय बुद्धिवाद, जाति दोष या भ्रम चलती भाषा से उत्‍पन्‍न दोष आदि विषय बताये गये है। इसके अतिरिक्‍त रेने दकार्त, ग्रेटफ्रिड विल्‍हेल्‍म लाइबनित्‍स, जौन लॉक, जार्ज बर्कले, डेविस ह्यूम और इमानुएल काण्‍ट आदि दार्शनिकों ने अलग अलग विषय पर समीक्षात्‍मक विचार प्रस्‍तुत किये है। जिसको पढ़कर छात्रों को बहुत सी नयी जानकारी मिलती है और अपने जीवन को सफल बना सकते है।

Pati Patni ka Divya Vyavhar (Sanxipt): पति पत्नी का दिव्य व्यवहार (संक्षिप्त)

by Dada Bhagwan

पति और पत्नी यह दोनों एक ही गाड़ी के दो पहिये है जिसका साथ में चलना बहुत ही अनिवार्य है| हर घर में पति-पत्नी के बीच किसी ना किसी बात पर संघर्ष और मनमुटाव चलते ही रहता है जिसके कारण घर का वातावरण भी तनावपूर्ण हो जाता है| इसका प्रभाव घर में रहने वाले अन्य सदस्यों पर भी पड़ता है और खासकर बच्चे भी इससे बहुत ही प्रभावीत होते है| पूज्य दादा भगवान खुद भी विवाहित थे पर अपने सम्पूर्ण आयुष्यकाल में उनका अपनी पत्नी के साथ कभी भी किसी भी बात को लेकर विवाद खड़ा नहीं हुआ| अपनी किताब, ‘पति पत्नी का दिव्य व्यवहार’ में दादाजी हमें अपने विवाह जीवन को आदर्श किस तरह बनाये, इससे संबंधित बहुत सारी चाबियाँ देते है|अपने अनुभवों और ज्ञान के साथ, लोगो द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब में दादाजी ने बहुत सारी अच्छी बाते कही है, जिसका पालन करने से पति और पत्नी एक दूसरे के साथ सामजस्य के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार कर सकेंगे|

Praathamik Vidyaalay Ka Baalak - Ek Adhyayan- 1 NES-101 - IGNOU

by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalaya

एन ई एस – 101 प्राथमिक विद्यालय का बालक - एक अध्ययन खंड 1 इस पाठ्यक्रम में प्राथमिक विद्यालय के बच्चो के शारीरिक, स्वास्थ्य, सामाजिक एवं संवेगात्मक पहलुओं से संबंधित आवश्यताओं और समस्याओं को शिक्षक तथा अभिभावक को समझने की आवश्यताओं का विवेचन किया गया है। इसमें शैक्षिक निर्देशन संबंधित अनेक उन किर्याकलापों की चर्चा भी की गई है। जो बच्चो को घर तथा स्कूल में समायोजन के अवसर प्रदान करते है।

Praathamik Vidyaalay Ka Baalak - Ek Adhyayan- 2 NES-101 - IGNOU

by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalaya

NES- 101 प्राथमिक विद्यालय का बालक – एक अध्ययन खंड 2 बच्चे के विकास के सिद्धान्त एवं कारक पाठ्यक्रम में प्राथमिक विद्यालय के बालक की सामान्य तस्वीर प्रस्तुत करती है तथा विकास के विभिन्न पक्षों, यथा- संज्ञानात्मक, सामाजिक, संवेगात्मक, भाषिक, शारीरिक एवं गतिक विकास पर प्रकाश डालती है। इस खंड में मानव जीवन से सम्बधीत विकास की अवधारणा का भी संक्षिप्त विवेचन किया गया है।

Prabhodhini class 9 - RBSE Board: प्रबोधिनी 9वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड

by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer

'प्रबोधिनी' माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान हेतु कक्षा नवमी के हिन्दी विषय हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार की गई है। 'हिन्दी भाषा' अपने सामर्थ्य में वृद्धि करते हुए विश्व में सम्पर्क भाषा के रूप मे तीव्रता से प्रसारित हो रही है। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक है कि अपने प्रदेश के विद्यालयों के विद्यार्थी हिन्दी भाषा के व्यवहार में विशेष दक्षता अर्जित करें। भाषा के साथ पुस्तक में संकलित विषय-वस्तु के माध्यम से विद्यार्थियों में आत्मबल, त्याग, बलिदान, निःस्वार्थ सेवा, जीव दया के साथ राष्ट्र भक्ति की भावना पुष्ट करने का प्रयास किया गया है ।

Prachin Bharat

by Dvijendranarayan Jha

Prachin Bharat: This book is an unmatched description of Ancient India. It gives us a clear view of the systems prevailing in ancient India. The books has descriptions of life and times of Harappan civilisation. vedic civilisation and origin of buddhism has been given equal importance. The description of Mauryas and guptas is unmatched one and the book augurs well for students preparing for civil service exams in India.

Prachin Bharat Ka Itihas - Delhi University: प्राचीन भारत का इतिहास - दिल्ली यूनिवर्सिटी

by Dwijendranarayan Jha Krishnamohan Shrimali

हिंदी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय की ओर से प्रो. द्विजेंद्रनारायण झा एवं प्रो. कृष्णमोहन श्रीमाली द्वारा संपादित पुस्तक प्राचीन भारत का इतिहास का 35वा पुनर्मुद्रण करवाया जा रहा है। इस पुस्तक में इतिहास की भौगोलिक पृष्ठभूमि, स्रोत, प्रागैतिहासिक, पुरातत्त्व, वैदिक साहित्य, ईसा पूर्व शताब्दी में धार्मिक आंदोलन, महाजन पदों के उदय व यूनानी आक्रमण, मौर्यकाल, गुप्तकाल, इत्यादि विषयों पर विस्तारपूर्वक लिखा गया है। इसमें न केवल पाठकों को ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध कराई गई है अपितु उसे उचित सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक परिवेश में भी संजोया गया है। लेखकों का प्रयास रहा है कि प्राचीन भारत के इतिहास का निष्पक्ष विश्लेषण कर सकें। इसके लिए उन्होंने तात्कालीन, सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक प्रणालियों का विश्लेषण तो किया ही है साथ ही उस समय के साहित्य का भी अवलोकन किया है ताकि कल्पना व तथ्य में समन्वय स्थापित किया जा सके ।

Prachin Evam Madhyakalin Bharat Ka Rajnitik Chintan - Delhi Vishvavidyalaya: प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत का राजनीतिक चिंतन - दिल्ली विश्वविद्यालय

by Dr Ruchi Tyagi

डॉ. रुचि त्यागी द्वारा संपादित 'प्राचीन एवं मध्यकालीन भारतीय राजनीतिक चिंतन: प्रमुख परम्पराएं एवं चिंतक' पुस्तक को इस कड़ी कापहला महत्वपूर्ण प्रयास माना जा सकता है । इसमें नये पाठ्यक्रम के अनुसार 'ब्राह्मणवादी, श्रमणीय, इस्लामी व समन्यवादी परम्पराओं' पर विस्तारपूर्वक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है । साथ ही, वेदव्यास द्वारा प्रतिपादित राजधर्म, मनु द्वारा प्रतिपादित सामाजिक दण्ड संहिता, कौटिल्य का सप्तांग सिद्धांत, अगन्न सुत्त का राजत्व संबंधी सिद्धांत तथा संत कबीर के समन्वयवाद पर नए अध्याय जोड़ दिए गए हैं ।

Pratikraman (Granth): प्रतिक्रमण (ग्रंथ)

by Dada Bhagwan

इंसान हर कदम पर कोई ना कोई गलती करता है जिससे दूसरों को बहुत दुःख होता है| जिसे मोक्ष प्राप्त करना है, उसे यह सभी राग-द्वेष के हिसाबो से मुक्त होना होगा| इसका सबसे आसान तरीका है अपने द्वारा किये गए पापों का प्रायश्चित करना या माफ़ी माँगना| ऐसा करने के लिए तीर्थंकरों ने हमें बहुत ही शक्तिशाली हथियार दिया है जिसका नाम है ‘प्रतिक्रमण’| प्रतिक्रमण मतलब, हमारे द्वारा किये गए अतिक्रमण को धो डालना| ज्ञानी पुरुष दादा भगवान ने हमें आलोचना-प्रतिक्रमण-प्रत्याख्यान की चाबी दी है जिससे हम अतिक्रमण से मुक्त हो सकते है| आलोचना का अर्थ होता है- अपनी गलती का स्वीकार करना, प्रतिक्रमण मतलब उस गलती के लिए माफ़ी माँगना और प्रत्याख्यान करने का अर्थ है- दृढ़ निश्चय करना कि ऐसी गलती दोबारा ना हो| इस पुस्तक में हमें हमारे द्वारा किये गए हर प्रकार के अतिक्रमण से कैसे मुक्त हो सके इसका रास्ता मिलता है|

Pratikraman (Sanxipt): प्रतिक्रमण (संक्षिप्त)

by Dada Bhagwan

इंसान हर कदम पर कोई ना कोई गलती करता है जिससे दूसरों को बहुत दुःख होता है| जिसे मोक्ष प्राप्त करना है, उसे यह सभी राग-द्वेष के हिसाबो से मुक्त होना होगा| इसका सबसे आसान तरीका है अपने द्वारा किये गए पापों का प्रायश्चित करना या माफ़ी माँगना| ऐसा करने के लिए तीर्थंकरों ने हमें बहुत ही शक्तिशाली हथियार दिया है जिसका नाम है ‘प्रतिक्रमण’|प्रतिक्रमण मतलब, हमारे द्वारा किये गए अतिक्रमण को धो डालना| ज्ञानी पुरुष दादा भगवान ने हमें आलोचना-प्रतिक्रमण-प्रत्याख्यान की चाबी दी है जिससे हम अतिक्रमण से मुक्त हो सकते है| आलोचना का अर्थ होता है- अपनी गलती का स्वीकार करना, प्रतिक्रमण मतलब उस गलती के लिए माफ़ी माँगना और प्रत्याख्यान करने का अर्थ है- दृढ़ निश्चय करना कि ऐसी गलती दोबारा ना हो| इस पुस्तक में हमें हमारे द्वारा किये गए हर प्रकार के अतिक्रमण से कैसे मुक्त हो सके इसका रास्ता मिलता है|

Prem: प्रेम

by Dada Bhagwan

सच्चा प्रेम हम किसे कहते है? सच्चा प्रेम तो वह होता है जो कभी भी कम या ज़्यादा ना हो और हमेशा एक जैसा बना रहे| हमें लगता है कि हमें हमारे आसपास के सभी लोगो पर बहुत प्रेम है पर जब भी वह हमारे कहे अनुसार कुछ नहीं करते तो हम तुरंत ही बहुत गुस्सा हो जाते है| पूज्य दादाभगवान इसे प्रेम नहीं कहते| वह कहते है कि यह सब तो सिर्फ एक भ्रान्ति ही है| सच्चा प्रेम तो वह होता है जिसमें किसी भी प्रकार कि अपेक्षा नहीं होती और जो सबके साथ हर समय और हर परिस्तिथि में एक जैसा बना रहता है| ऐसा सच्चा प्रेम तो बस एक ज्ञानी ही कर सकते है जिन्हें लोगो में कोई भी भेदभाव मालूम नहीं होता और इसलिए उनका व्यवहार सबके साथ बहुत ही स्नेहपूर्ण होता है| फिर भी हम थोड़ी कोशिश करे तो, ऐसा प्रेम कुछ अंश तक हमारे अंदर भी जगा सकते है| यह सब कैसे संभव है, यह जानने के लिए अवश्य पढ़े यह किताब और अपने जीवन को ‘प्रेममय’बनाइये|

Puss in Boots - Boot wala Bilota

by BPI India Pvt Ltd

The tale opens with the third and youngest son of a miller receiving his inheritance—a cat. At first, the youngest son laments, as the eldest brother gains the mill, and the middle brother gets the mules. The feline is no ordinary cat, however, but one who requests and receives a pair of boots.

Pyari Nooni Ki Meethi-Meethi Kahaniyan: प्यारी नूनी की मीठी-मीठी कहानियाँ

by Sudha Murti

"प्यारी नूनी की मीठी-मीठी कहानियाँ" एक अज्ञात लेखक द्वारा लिखी गई मीठी और प्यारी कहानियों का संग्रह है। यह किताब प्यार, खुशी और बचपन की मासूमियत से भरी कई तरह की दिल छू लेने वाली कहानियों को एक साथ लाती है। प्रत्येक कहानी केंद्रीय पात्र नूनी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक आकर्षक और प्यारा व्यक्ति है जो अपने आनंदमय कारनामों और अनुभवों से पाठकों के दिलों पर कब्जा कर लेता है। नूनी की यात्रा के माध्यम से, पुस्तक दोस्ती, परिवार, दयालुता और जीवन की सरल खुशियों को संजोने के महत्व की पड़ताल करती है। हृदयस्पर्शी क्षणों से लेकर मूल्यवान जीवन पाठों तक, इस संग्रह की कहानियाँ पाठकों को नूनी की जादुई दुनिया की एक झलक प्रदान करती हैं, जहाँ कल्पना और मासूमियत प्रचुर मात्रा में है। अपनी रमणीय कथाओं और संबंधित पात्रों के साथ, "प्यारी नूनी की मीठी-मीठी कहानियाँ" निश्चित रूप से सभी उम्र के पाठकों को मंत्रमुग्ध कर देगी और उन्हें एक गर्म और उदासीन एहसास के साथ छोड़ देगी।

Raja Bhoj Ki Kahaniyan

by Harikrishna Devsare

इस पुस्तक डॉ हरिकृष्ण देवसरे ने उज्जयिनी के राजा और कवि भोज की जीवन को विभिन्न आकर्षक कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत किया है। In this book Dr Hari Krishna devsare presented the biography of the king and poet Bhoj, of Ujjayini through different attractive stories.

Rajniti Siddhant Ki Rooprekha-An Introduction To Political Theory

by O. P. Gauba

“राजनीति-सिद्धांत की रूपरेखा’ के सप्तम संस्करण के अंतर्गत जगह-जगह नए संशोधन-परिवर्धन किए गए हैं, और अद्यतन सामग्री का समावेश किया गया है। विवेच्य विषय के निरंतर विस्तारशील स्वरूप को ध्यान रखते हुए इसमें कई नए, महत्त्वपूर्ण प्रकरण जोड़े गए हैं। ‘विचारधारा की संकल्पना’ के अंतर्गत ‘नारीवाद’ (Feminism) का संक्षिप्त परिचय जोड़ा गया है। ‘राज्य का स्वरूप: विविध परिप्रेक्ष्य’ के अंतर्गत दो नए, विस्तृत प्रकरण जोड़े गए हैं: ‘नारीवादी परिप्रेक्ष्य’ (Feminist Perspective) और ‘बहुलवादी परिप्रेक्ष्य’ (Pluralist Perspective) फिर, ‘लोकतंत्र के समकालीन सिद्धांत’ के अंतर्गत यहां दो नए प्रकरण यथास्थान जोड़ दिए गए हैं: ‘विचारणात्मक लोकतंत्र का सिद्धांत’ (Theory of Deliberative Democracy) और ‘लोकतंत्र का विरोधाभास’ (Paradox of Democracy)। ‘न्याय की संकल्पना’ के अंतर्गत ‘समुदायवादी दृष्टिकोण’ (Communitarian View) से जुड़े प्रकरण का प्रचुर विस्तार किया गया है। इसमें समुदायवाद (Communitarianism) के मुख्य-मुख्य उन्नायकों के योगदान की चर्चा करते हुए ‘जॉन सल्स के न्याय-सिद्धांत की समुदायवादी समालोचना’ (Communitarian Critique of John Rawls’s Theory of Justice) पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है।

Red Riding Hood

by BPI India Pvt Ltd

The story of a little girl visiting her grandmother.

RPWD Act - Hindi-2016: आरपीडब्ल्यूडी ॲक्ट - हिंदी-2016

by Rpwd Act

दिव्यांगजनों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों को प्रभावी बनाने के लिए अधिनियम दिए गए है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने, 13 दिसम्बर, 2006 को दिव्यांगजनों के अधिकारों पर उसके अभिसमय को अंगीकृत किया था, और पूर्वोक्त अभिसमय दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए सिद्धांत अधिकथित करता है।

Rusi Aur Pusi

by V. Suteyev

“रूसी और पूसी”दो दोस्‍त एक छोटी लड़की (रूसी) और बिल्‍ली (पूसी) की कहानी है। एक दिन रूसी ने पूसी के लिए एक घर की तस्‍वीर बनाई। पूसी उसमें अपनी पसन्‍दीदा चीज़ें बनवाती गई। आखिर में उसके घर की रखवाली के लिए कुत्‍ते का चित्र देखकर पूसी नाराज हो जाती है और उस घर में रहने को मना कर देती है।‘Rusi and Pusi’ is the story of two friends girl (Rusi) and Cat (Pusi). One day the Rusi built the picture of a house for the Pusi. Pusi built its own favorite things. After seeing the picture of the dog to guard his house Pusi got angry and refused to live in that house.

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