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Anandmay Ganit class 2 - NCERT - 23

by National Council of Educational Research and Training

प्रस्तुत पाठ्यपुस्तक दक्षता आधारित सामग्री को सरल, रोचक और आकर्षक रूप में प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। इस पाठ्यपुस्तक को समावेशी एवं प्रगतिशील बनाने के लिए पाठों और चित्रों की प्रस्तुति के माध्यम से अनेक रूढ़ियों को तोड़ा गया है। परंपरा, संस्कृति, भाषा प्रयोग तथा भारतीयता समेत स्थानीय संदर्भों की बच्चों के सर्वांगीण विकास में महती भूमिका इस पुस्तक में परिलक्षित होती है। इस पाठ्यपुस्तक को बच्चों के लिए आकर्षक एवं आनंददायी बनाने का प्रयास किया गया है। पुस्तक में कला और शिल्प का ऐसा बेजोड़ संयोजन है जिससे बच्चे गतिविधियों में अंतर्निहित सौंदर्यबोध की सराहना कर सकते हैं। यह पाठ्यपुस्तक बच्चों को स्वयं से संबंधित अवधारणाओं को अपने संदर्भों में समझने की स्थितिजन्य जागरूकता प्रदान करती है। यद्यपि इनमें विषय-वस्तु का बोझ कम है, तथापि ये पाठ्यपुस्तकें सारगर्भित हैं। इस पाठ्यपुस्तक में खिलौनों और खेलों के माध्यम से सीखने की अलग-अलग युक्तियों के साथ-साथ अन्य गतिविधियाँ और प्रश्न, जो बच्चों में तार्किक चिंतन और समस्या को सुलझाने की योग्यता विकसित करने के लिए प्रेरित करते हैं, को भी सम्मिलित किया गया है। इसके अतिरिक्त, पाठ्यपुस्तकों में ऐसी पर्याप्त विषय सामग्री और गतिविधियाँ भी हैं जो बच्चों में पर्यावरण के प्रति आवश्यक संवेदनशीलता विकसित करने में सहायक हैं। साथ ही ये पाठ्यपुस्तकें हमारे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की संस्तुतियों के अनुरूप उनके द्वारा विकसित किए जाने वाले संस्करणों में स्थानीय परिदृश्य के साथ-साथ अन्य तत्वों के समायोजन/अनुकूलन की संभावना भी उपलब्ध कराती हैं।

Jaipur diaries: जयपुर डायरीज़

by Aryan Upadhyay

यह मोहब्बत की ऐसी कहानी है जिसके साकार होने की तमन्ना हर दिल में हमेशा जवाँ रहती है, फिर वह नौजवान हो या बु़जुर्ग। यह प्यार का ऐसा स़फर है जिस पर अमूमन हर कोई चलना चाहेगा। किशोरवय और यौवन के बीच खड़े किरदारों की यह कहानी स़ख्त दिलों को भी छू लेने की क्षमता रखती है। इसमें एक प्रेम-त्रिकोण है; एक नायक और दो नायिकाएँ। आम कहानियों के उलट, इस अलहदा कहानी में दोनों ही नायिकाएँ अपने नायक को पा लेती हैं और अंत में आकाश, सिया और नव्या ‘साथ-साथ' रहने लगते हैं। कैसे? यही तो इस प्रेम कहानी की ख़ूबसूरती है और इसका रहस्य भी। मुख्य कथानक के साथ ही समांतर रूप में चलने वाली अन्य दिलचस्प उपकथाएँ भी हैं। सहज भाषा-शैली में रचा गया यह उपन्यास पाठक को अंत तक बाँधे रखता है और अंतत: उसके मन में सुखद एहसास के साथ एक मीठी-सी कसक भी छोड़ जाता है। इसमें प्यार है, रोमांस है, चुहल है, कॉलेज की मस्ती है, लड़कपन की शरारतें हैं, दोस्ती के रंग हैं, साज़िशें भी हैं, और वह सबकुछ है जो आपको गुदगुदाएँगा, हँसाएगा, रुलाएगा, सपने दिखाएगा और रोमांचित करेगा। हकीक़त और कल्पना के मेल से रची गई ऐसी कथा जिस पर हर दिल सौ फ़ीसद यक़ीन करना चाहेगा।

Jadu Bhari Ladki: जादू भरी लड़की

by Kishore Chaudhary

जादू भरी लड़की, ये नौ कहानियों का संकलन है। शीर्षक कहानी एक लड़की के अटूट धैर्य और सादगी का बयान है। जीवन के कठोर पठार पर जीते जाना ही असल में लड़की का जादू से भरा होना है। किशोर चौधरी की कहानियों की भाषा शालीनता से भरी होती है और जीवन की विद्रूपता को सरल बिंबों के माध्यम से कहना इनकी कहानियों की विशेषता है। इन कहानियों का कथ्य अवास्तविक जीवन और कल्पना की उड़ान नहीं भरता है। इस संग्रह में शामिल कहानियाँ स्त्री केन्द्रित न होते हुए भी उनके आस पास के दुरूह जीवन को चित्रित करती हैं। इन कहानियों में सरल प्रेम का जटिल पक्ष मुखरित है। इस संग्रह में शामिल नौ कहानियाँ अपने-आप से अलग हैं। ये कहानियाँ महानगरीय जीवन के अकेलेपन से लेकर कस्बाई तन्हाई को चित्रित करती हुई हैं। इन कहानियों को पढ़ते हुए पाठक अपने संसार और अतीत से खुद को जोड़ पाता है, ऐसा लगता है कि कहानीकार की जगह पाठक खुद को पढ़ रहा है।

Jahnavi: जाह्नवी

by Bharti Gaur

‘ख्वाहिशों और सपनों में फर्क’, ‘धर्म और अध्यात्म में फर्क’, ‘प्रेम में होने और प्रेम के होने में फर्क’ की बात करता यह उपन्यास, ये सोचने पर मजबूर करता है कि जीवन जीते-जीते कब हम मरना सीख जाते हैं और जीवन से दूर होते चले जाते हैं। यह उपन्यास हमें बताता है कि वापस लौटकर आने के लिए हमें खुद के अन्दर झाँकने के अलावा और कोई विकल्प नहीं तलाशना चाहिए, सब कुछ इन्सान के अंतर्मन में ही है, वहीं मिलेगा। हमारी मदद हम खुद कर सकते हैं और अगर इस काबिल हैं तो दूसरों को भी रास्ता दिखाया जा सकता है। तलाकशुदा से प्रेम, बाल वैधव्य, बुज़ुर्गों की वर्तमान दशा-दिशा, स्वयं के ख़्वाबों का बिखराव, उनका खो जाना। व्यक्तित्व, जिसे निखारने का वादा इंसान को स्वयं से करना चाहिए, किन्तु जब यही सब बातें आरोप-प्रत्यारोप के रूप में जाह्नवी पर ही भारी पड़ने लगती हैं, तब उसका खुद से जूझना और इन सब से पार पाने का स़फर ही उपन्यास की आत्मा है। इंसान का दोहरा व्यवहार जब आइने के रूप में उसके सामने आकर उस पर लानत भेजता है, तब उसे क्या करना चाहिए?

Kabila: कबीला

by Kasim Ansari

उस व्यक्ति ने जब उस पेंटिंग मे बनी हुई उन बिल्लियों की काउंटिंग की, और इस सोसायटी के लोगो कि तस्वीरों की गिनती की, तो वो और ज़्यादा हैरत मे पढ़ गया उस ने देखा दोनों कि तादाद (गिनती) बिलकुल एक ही थी… उस ने देखा जो लोग झुण्ड कि तरह खडे हुए नीचे ज़मीन को देख रहे थे। उस ज़मीन पर एक सर्कल बना हुआ था जिस पर अजीब सी भाषा मे कुछ लिखा हुआ था और उस ज़मीन पर एक 8 या 9 साल का बच्चा आँखें बंद किये हुए लेटा हुआ था जो बेहोश था उस के गले मे एक लॉकेट था ये बिलकुल वैसा ही लॉकेट था।और उस लॉकेट मे एक प्रकाश निकल रहा था और वो प्रकाश ठीक उन बिल्लियों के चेहरे पर पड़ रहा था और ठीक उस बच्चे के बगल मे एक 7 या 8 फ़ीट कि चमगादड़ नुमा एक शख्स खड़ा हुआ उस बच्चे को खा जाने वाली आँखों से देख रहा था।

Devshakti Adbhut Divyastra: देवशक्ति अद्भुत दिव्यास्त्र

by Shivendra Suryavanshi

शक्ति- एक ऐसा शब्द जिसे प्राप्त करने के लिये, मनुष्य, देवता, दैत्य ही नहीं अपितु अंतरिक्ष के जीव भी सदैव लालायित रहते हैं। शक्ति का पर्याय स्वामित्व से जुड़ता है, इसलिये ब्रह्मांड के सभी जीव शक्ति को प्राप्त कर, स्वयं को श्रेष्ठ दिखाना चाहते हैं। वन में मौजूद एक सिंह भी, अन्य वन्य प्राणियों के समक्ष अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने से नहीं चूकता। ठीक उसी प्रकार कुछ देवता भी मनुष्यों के समक्ष, अपना शक्ति प्रदर्शन कर, उनमें भय की भावना उत्पन्न करते रहते हैं। जैसे देवराज इंद्र के द्वारा जलप्रलय लाना या सूर्यदेव के द्वारा सूखे की स्थिति उत्पन्न कर देना। यह सब भी शक्ति प्रदर्शन के अद्वितीय उदाहरण हैं। दैत्यों ने हमेशा त्रिदेवों से ही शक्ति प्राप्त कर, उनका प्रयोग देवताओं के ही विरुद्ध किया है। इन शक्तियों को प्राप्त करने के लिये, मनुष्यों ने भी घोर तप किये हैं। कुछ ऐसी ही देवशक्तियों को, पृथ्वी की सुरक्षा के लिये, देवताओं ने पृथ्वी के अलग-अलग भागों में छिपा दिया, जिससे समय आने पर कुछ दिव्य मानव, उन देव शक्तियों को धारण कर, पृथ्वी की सुरक्षा का भार उठा सकें। ऐसे ही देवशक्ति धारक कुछ विलक्षण मनुष्य बाद में ब्रह्मांड रक्षक कहलाये।

Gumshuda: गुमशुदा

by Santosh Pathak

स्नेहलता यादव की गुमशुदगी का मामूली सा दिखाई देने वाला केस अचानक ही मेरे जी का जंजाल बन गया। हालात, जिनपर मेरा कोई काबू नहीं था, यूं बिगड़ते चले गये कि लड़की का पता लगाने की बजाये मुझे खुद को जेल जाने से बचाने की कवायद में जुटना पड़ा। पुलिस की निगाहों में मैं रेपिस्ट था, खूनी था, और वह बात साबित हो जाना महज वक्त की बात थी, क्योंकि मेरे खिलाफ सबूतों का अंबार लगा हुआ था, और सबूत भी ऐसे जो चींख चींखकर कह रहे थे कि अपराधी मैं ही था। सबसे ज्यादा डैमेजिंग बात मेरे लिए ये थी कि केस की इंवेस्टिगेशन ऑफिसर इंस्पेक्टर गरिमा देशपांडे मेरे खिलाफ थी, इतना खिलाफ कि उसका वश चलता तो अदालत में गुनाह साबित होने से पहले ही मुझे फांसी के फंदे पर लटका देती। ऐसे मुश्किल हालात में सच्चाई की तह तक पहुंच पाना कोई आसान काम नहीं था। मगर पहुंचना फिर भी जरूरी था, क्योंकि बलि का बकरा बनने का मेरा कोई इरादा नहीं था।

Saalok - Devtao Ka Sabse Bada Dar: सालोक: देवताओं का सबसे बड़ा डर

by Saket Kumar

सालोक-एक ऐसा अस्त्र जिसका रहस्य ब्रहमा, विष्णु तथा महादेव ने लाखों वर्षो से अपने अंदर छिपा कर रखा था किंतु ये राज अब कलियुग जान चुका है और इससे पहले की इन्द्र तथा बाकि देवताओं को ये बात पता चले उससे पहले ही विष्णु और महादेव को बचाना होगा 'सालोक' को कलियुग से। क्योंकि 'सालोक' मिलने का अर्थ है देवताओ का अंत और अगर देवताओ को ये बात पता चली तो वो खुद को बचाने के लिये पृथ्वी का सर्वनाश कर देंगे। पृथ्वी का सर्वनाश!! यानि इंसानो को सर्वनाश! किंतु जिस इंसानो से विष्णु तथा महादेव इतना प्रेम करते है वो भला ऐसा कैसे होने देंगे। विष्णु के सामने एक कठिन चुनौती है ना वो देवताओ को मरने दे सकते है और ना ही इंसानो का साथ छोड़ सकते है और साथ ही उन्हे खत्म करना है कलियुग को भी। और आज महादेव के सुझाव से लेने जा रहे है वो अपना दसंवा अवतार किंतु ऐसा करते ही वो कलियुग तथा ब्रहमा के बीच हुये समझौते को तोड़ देगें और जिसका अर्थ है इंसानो की मौत। कैसे तोड़ेगें इस चक्रव्युह को विष्णु? और कैसे जन्म लेगा उनका दसंवा अवतार? कैसे आयी पृथ्वी पर सालोक? कौन सी शक्तियां है सालोक में जिसने त्रिदेवों को भी चिंता मे डाल दिया है और कैसे पता चला कलियुग को सालोक के बारे मे? सालोक के इस पुस्तक में परत दर परत खुलते इन सभी रहस्यो के साथ ही जिक्र है किवदंती बन चुके उन देवों का तथा उन शापित इंसानो का जो हजारों सालो से छुप कर रह रहें है किंतु अब उन्हे भी बाहर आना ही होगा। और वे आयेंगे विष्णु के दसंवे अवतार के आवाहन पर। क्योंकि विष्णु भी ये समझ चुके है की उनके सभी अवतार ने अपने अपने युगो मे पैदा हुये दुष्टों को खात्मा किया है किंतु इस बार उनका सामना हुआ है खुद एक युग से कलियुग से।

Rahasyamayi Safar: रहस्यमयी सफ़र

by Devendra Prasad

अनजान रहस्यमयी टापू, खौफनाक कहानी और रहस्यमयी सफ़र, डबडबा टापू की भूमि पर जहाँ वीरता और बलिदान की कहानियाँ कदम-कदम पर नज़र आती थी, वहीं अब कदम-कदम पर नज़र आता है, रहस्य और रोमांच से परे एक ऐसा अद्भुत संसार जो अपनी बर्बरता की दास्तां ख़ुद कहता है। वहीं दूसरी तरफ़ है कालुभर टापू, जहाँ शाम के साये गहराने लगते हैं तो हवा में एक रहस्यमयी-सी सरसराहट घुल जाती है। अपनी ही आहट से हृदय की धड़कने रुकने को अक्सर विवश हो जाती है। अटल के घुमक्कड़ी के शौक ने उसे निशा से मिलवाया, जिसके मोहपाश में फँसकर वह पहुँच गया, हर चौबीस साल में जलमग्न हो जाने टापुओं पर। यहाँ उसका सामना हो रहा था ऐसे अतीत से, जिसके वर्तमान में खुद को पाकर, वह अपने भविष्य को लेकर चिंतित हो चला था। कैसा था ये रहस्यमयी सफर? क्या अटल को मिल पाई थी निशा? आखिर कौन थी ये निशा? क्या निशा कोई थी या थी कोई मरीचिका?

Sanyasi Yoddha: संन्यासी योद्धा

by Kaustubh Anand Chandola

इस उपन्यास में गोलू आज उत्तराखण्ड में न्याय के देवता के रूप में स्थापित है। गोलू का चरित्र एक सामान्य निम्न कुल में बढ़े बालक के रूप में सम्मुख आता है। उसके पालक माता-पिता निम्न धीवर कुल के होने के कारण गोलू को गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने से वंचित होना पड़ता है। जिस कारण भाना धीवर उसे गुरु गोरखनाथ के पास शिक्षार्थ भेजते हैं। गुरु गोरखनाथ उसे केवल शास्त्र सम्मत शिक्षा ही नहीं देते अपितु अस्त्र-शस्त्र की भी शिक्षा देते हैं। गोलू आगे चलकर इस शिक्षा का लाभ लेकर उसे सामाजिक भलाई के निमित्त प्रयुक्त करता है। वह हर ऐसे अहंकार, अंधशक्ति और बाहुबल के प्रतीक मसाणों, तात्रिकों को साधता है जो जन सामान्य की अंधभक्ति का फायदा उठाकर उन्हीं का शोषण करते हैं। अंतत: एक दलित सामान्य जन से उठकर अपने योगबल और बाहुबल से वह धूमाकोट का एक न्यायप्रिय, निष्पृह, साधु राजा के रूप में मान्यता प्राप्त करता है और सामाजिक विद्वेष तथा जाति मनोवृत्ति से ग्रस्त रूढ़िवादी समाज के सम्मुख समातावादी मनोवृत्ति एवं सामाजिकता की स्थापना का आदर्श प्रस्तुत करता है। लेखक ने एक दलित नायक के सिहांसनारूढ़ होने को गाथा से हटकर यथार्थ का जामा पहनाया है। साथ ही राजधर्म, साधुधर्म और वर्तमान विसंगतियों का उपन्यास में सटीक चित्रण किया है। राजतंत्र की विडम्बनाओं पर भी स्थान-स्थान पर कटु व्यंग्य किया गया है। वस्तुत: गोलू के चरित्र का नायकत्व समतावादी समाज के पोषक और गीता के कर्मवाक्य प्रस्थापक के रूप में हुआ है। कहीं जहाँ यथार्थ से हटकर चित्रण हुआ है वहाँ अतिमानवीय तत्वों का वर्णन आ गया है। गोलू के चरित्र को बल देने के लिए राजा गरूण और भागवती, गुरु गोरखनाथ, देवहरु, सैसज्यू, वीर कलुआ, सेनानायक उग्र भट्ट, महामंत्री नरोत्तम, चंपावत के राजा नागनाथ, धरमदास, सात रानियाँ हालूराय, सामण दैत्य आदि की कथाएं अवांतर के रूप में उपन्यास में आयी हैं।

Atlantis Ek Rahasyamay Dwip: अटलांटिस एक रहस्यमयी द्वीप

by Shivendra Suryavanshi

हम जब भी अटलांटिस के बारे में सोचते हैं, हमारी आँखों के सामने सागर में डूबी एक भव्य सभ्यता नजर आने लगती है। अटलांटिस देवताओं की वह धरती जिसका जिक्र सर्वप्रथम प्लेटो ने अपनी पुस्तक ‘टाइमियस’ और ‘क्रिटियास’ में किया था। कहते हैं अटलांटिस का विज्ञान आज के विज्ञान से हजारों गुना ज्यादा बेहतर था। पर एक दिन धरती के जोर से हिलने की वजह से पूरी अटलांटिस सभ्यता कहीं सागर में समा गई। तब से लेकर आज तक वैज्ञानिक, आर्कियोलॉजिस्ट उस सभ्यता को ढूंढने का प्रयत्न कर रहे हैं। ईश्वर को ब्रह्मांड के निर्माण के लिये 7 तत्वों की आवश्यकता थी- अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, ध्वनि और प्रकाश। इन 7 तत्वों से ईश्वर ने ब्रह्मांड का निर्माण किया। पर अभी भी ईश्वर की सबसे अद्वितीय रचना बाकी थी और वह थी जीवन की उत्पत्ति। जीवन की उत्पत्ति के लिये ईश्वर ने ‘ब्रह्मकण’ का निर्माण किया, जिसे अंग्रेजी में ‘गॉड-पार्टिकल’ या 'हिग्स-बोसन' कहा जाता है। इस ब्रह्मकण ने ब्रह्मांड के हर जीव का निर्माण किया। क्या था यह ब्रह्मकण? जिसने अलग-अलग प्रकार के अरबों-खरबों जीवों की रचना की, जिसने इन्हें इतना अलग-अलग बनाया। इस कथानक में जहां एक ओर तिलिस्म, जादू, चमत्कार और रहस्य है, वहीं दूसरी ओर विज्ञान की एक अद्भुत दुनिया है, जो बिग-बैंग, ब्लैक होल, नेबुला और डार्क मैटर जैसे सिद्धांतों को खोलती है। पौराणिक कथाओं और विज्ञान के ताने बाने से बुना हुआ एक अद्भुत कथानक।

Chakravyuh: चक्रव्यूह

by Shalini Soni

जब इंसान स्वप्न के उड़नखटोले पर बैठकर खुले आसमान में उड़ता है, तो उसे अद्भुत आनंद का अहसास होता है। लेकिन जब यही उड़नखटोला उसे हकीकत के घरातल पर उतारता है, तो धरती की तपेदिक उसके पदों को घायल कर देती है, जिसे सहन कर पाना आसान नहीं होता। आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में, हर बच्चे को भाग लेना अनिवार्य हो गया है, चाहे वह अपनी मर्जी से हो या परिवार की इक्षापूर्ति के लिए। नतीजतन, कभी-कभी उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिलते, कभी काबिलियत की कमी के कारण तो कभी चाहत की पूर्ति न होने से। इस दौड़ में कोटा जैसे कोचिंग हब में बच्चों की तादाद बढ़ रही है, जहां से उनका उच्च शिक्षा और स्वाभिमान का सफर शुरू होता है। लेकिन कई बार यह देखा गया है कि जो कुछ भलाई के लिए बनाया गया होता है, वह अक्सर बुराई में परिणत हो जाता है। आज कोटा एक शिक्षा का शहर होने के बजाय आत्महत्या का केंद्र बन रहा है, जो अभी तक चेतावनी नहीं दे रहा है, पर आने वाले कल में एक चिंतनीय विषय बन सकता है। इन्ही बढ़ती कुरीतियों को रोकने की कोशिश में माताएं अपनी जान जोखिम में डाल कर किस तरह साहस का परिचय देती है यह हमें आगे जानने को मिलेगा।

Code Kakori: कोड काकोरी

by Manoj Rajan Tripathi

इस कहानी का बीज मेरे सामने बोया गया था और आज कहानी फसल बन कर लहलहा रही है, CODE काकोरी को दिल से मुबारकबाद - साजिद नाडियाडवाला। काकोरी अस्पताल के वॉर्ड में एक डेड बॉडी पड़ी है, जो पूरी तरह काली पड़ चुकी है। लाश पर सोने-चांदी के ब्रिटिश कॉइंस पड़े हैं। हर सिक्के पर क्वीन विक्टोरिया की तस्वीर छपी है। क़ातिल ने लाश के सीने पर पीतल की थंब पिन से एक ए फोर साइज़ का कागज़ टैग किया है, जिस पर लिखा है—हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन। आख़िर क़ातिल का इशारा क्या है? क्यों छोड़े हैं उसने ये सुराग़? पुलिस को क्यों चैलेंज कर रहा है ये क़ातिल? असल में ये वही विक्टोरियन कॉइंस हैं, जो 1925 के ‘काकोरी कांड’ में लूटे गए थे। ये वही हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन है जो 1924 में चंद्रशेखर आज़ाद ने बनाई थी। तब मक़सद था ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ बारूदी जंग छेड़ना, और बारूद उगलने वाले हथियार ख़रीदने के लिये 9 अगस्त 1925 को ट्रेन रोककर काकोरी में ही लूटा गया, अंग्रेज़ों का खज़ाना। लेकिन चौरानवे साल बाद अब क्या मक़सद है? अब क्या इरादा है? किसके ख़िलाफ़ है ये जंग? अब कौन है जिसने बनाया है ‘कोड काकोरी’? मनोज राजन त्रिपाठी के इस उपन्यास में थ्रिल है, सस्पेंस है, एक्शन है, कॉमेडी है, ड्रामा है; कहने का मतलब, एक पूरी फ़िल्म का मज़ा है।

Roopkunwar: रूपकंवर

by Satya Vardhan Dobriyal

“रूपकंवर” इस उपन्यास में मैंने देश भर में व्याप्त उस परिदृश्य और हमारे समाज के जाने माने लोगों के मध्य जिस प्रकार के आचार-व्यवहार देखने को मिलता है उसे आप तक लाने का प्रयास किया है। साहित्य के दस रूपक और अठ्ठारह उपरूपकों का इस्तेमाल इस उपन्यास में नहीं किया जा सकता था क्योंकि यह उस प्रकार की कृति नहीं है लेकिन यह रचना एक कलात्मक रचना है ऐसा भीं नहीं कहा जा सकता है। लेकिन जिस प्रकार की कथावस्तु इसमें है उससे पाठक आनंद जरूर उठा सकते हैं और जो संदेश मैं समाज को देना चाहता हूं उसे देने में सफल हो सकता हूं। आप इस उपन्यास को पढ़ते हुए चरित्रों की विशेषताओं का जरा गौर से निरीक्षण करना और फिर आप देखेंगे कि चित्र किस तरह आपके मस्तिष्क में उभर कर आते हैं।

Shivani Sampurna Kahaniyan: शिवानी सम्पूर्ण कहानियाँ

by Gaura Pant Shivani

हिंदी रचना-परंपरा में ऐसे कम ही लेखक हुए हैं जो साहित्यिक तथा रचनात्मक मूल्यों की स्थापना तथा रक्षा करते हुए जनसाधारण की दैनंदिन रूचि का हिस्सा बनने में भी सफल हुए! विभिन्न कारणों से गंभीर और लोकप्रिय की जो धाराएँ हिंदी समाज में सामानांतर बहती रही हैं, कम ही लेखक उनके ऊपर पुल बाँध पाए; और जो ऐसा कर सके उनमें अग्रणी नाम है- गौर पन्त ‘शिवानी’! साहित्य-जगत में केवल शिवानी के नाम से ख्यात इस लेखिका ने अपनी कहानियों को एक ऐसे दरवाजे की तरह खड़ा किया जिसमें प्रवेश का आकर्षण साधारण मध्यवर्गीय पाठकों को अंततः साहित्य के दुर्गम प्रदेशों तक ले गया! उन्होंने अपनी लेखनी के बल पर पाठकों को साहित्य की सत्ता के प्रति उन्मुख और उत्सुक किया! भारतीयता यानी भारत के सांस्कृतिक-सामाजिक बिम्बों के वाहक मध्यवर्गीय हिंदी समाज के भीतरी प्रश्नों, अकुलाहटों, आकांक्षाओं और आशा-निराशाओं को शिवानी ने अपनी कहानियों के कलेवर में इस तरह साधा कि तत्कालीन समाज उसमें अपना पूरा-पूरा अक्स देख पाया ! शिवानी की कथा-प्रतिभा को इसलिए भी एक संस्था की तरह देखा जा सकता है कि उन्होंने साहित्य में माँ-रंजन के तत्व को एक उर्ध्वमुखी तथा नवोन्मेषकारी व्यस्तता के सूप में स्थापित किया, और अपने रचनात्मक उदम से इस अन्धविश्वास को आधारहीन कर दिया कि मनोरंजक साहित्य समाज का नैतिक और वैचारिक उत्थान नहीं कर सकता! इस पुस्तक के डॉ खंडो में संकलित शिवानी का सम्पूर्ण कथा-संसार पाठको को पात्रों, स्थितियों, स्वप्नों, संघर्षों, विडम्बनाओं और प्रसन्नताओं की ऐसी विराट और लगभग अनंत दुनिया से परिचित कराएगा जिसमें हमारी आज की जिंदगी के विस्तार भी दिखाई देते हैं! इस खंड में 37 कहानियां संकलित हैं जिनमें उनकी ‘लाल हवेली’, ‘विप्रलब्धा’ और ‘अपराधी कौन’ जैसी चर्चित रचनाएँ शामिल हैं!

Ruk Jana Nahi: रुक जाना नहीं

by Atul Prabha

'रुक जाना नहीं।' यह कहानी है बड़े होते हुए तीन स्कूली छात्रों की। उनके सपनों की और उनके संघर्षों की। उनकी बदलती हुई दुनिया की। असल में यह कहानी भारत के पिछले पाँच दशकों की सच्ची दास्ताँ भी है। समर, वीना और अनुज एक ही साल में पैदा हुए, एक ही स्कूल में पढ़े पर फिर कई दशकों तक एक दूसरे से नहीं मिले। इतने अर्से के बाद जब वो मिले तो लगा जैसे ज़िन्दगी ने बूमरेंग किया हो। पचास साल के इस सफ़र में अलग-अलग पड़ाव तय करते-करते, वो फिर उसी मोड़ पर आ खड़े हुए जहाँ उन तीनों को ही ज़िन्दगी फिर से शुरु करनी थी। यह एक नई दुनिया थी और एक सर्वथा नई लड़ाई जो उन्हें लड़नी ही थी। पर वो न ही हिम्मत हारे और न ही घबराए। उन्होंने नई बदलती दुनिया से तालमेल फिर से बैठाया। ज़िन्दगी के लगभग अंतिम पड़ाव में उन्होंने जाना कि वो तीनों असल में एक फाइटर हैं।

Tandav Stuti Khand-3 (Kalkikaal Katha): ताण्डव स्तुति खंड-तीन (कल्किकाल कथा)

by Prashant Singh

कोई मसीहा कहता है तो कोई अवतार, लेकिन सच यह है कि मुसीबत में हम मानव ही किसी एक मानव में ईश्वर को खोजने लगते हैं और उससे उम्मीद करते हैं कि वह सारी मुसीबतों का हनन कर दे। जब वह मानव ऐसा कर देता है तो आने वाली पीढ़ियों में मानव रूपी भगवान के नाम से जाना जाता है, अवतार या मसीहा के नाम से जाना जाता है। यह कहानी है एक ऐसे ही अवतार की जो तकदीर को भी बदलने की क्षमता रखता है। घायल पृथ्वी तथा रक्तरंजित मानवजाति को बचाने की इस अविस्मरणीय यात्रा में आप कल्कि नामक एक ऐसे नायक के उदय का गवाह बनेंगे जो अतीत व भविष्य की दिशा बदल देगा। मस्तिष्क को झकझोर देने वाली अकल्पनीय व अविश्वसनीय घटनाओं तथा किंवदंतियों से परिपूर्ण इस कहानी में आयामों की भूल-भुलैया में खो चुकी परम कुंजी ही महासंकट को खत्म करने का जरिया होगी। मानव सभ्यता के विभिन्न युगों के रहस्यमय पात्रों की सहायता से परम कुंजी को प्राप्त करने के लिये कल्कि को साक्षात समय से लड़ना होगा और ऐसी रहस्यमयी दुनिया पर विजय पाना होगा जहाँ भौतिकी के नियम भी आत्म-समर्पण कर देते हैं। प्रकृतिका कानून अटल है, निर्णय अटल है। उसके खिलाफ ना कोई सुनवाई है और ना कोई पुनर्विचार अर्जी। प्रकृति की गतिविधियों को नियंत्रित करने का प्रयास किया तो मृत्यु ताण्डव निश्चित है। विज्ञान तथा पौराणिक कथाओं के प्रशंसकों के लिए रचित इस अभूतपूर्व गाथा में भाग्य के चौराहे पर खड़ी पृथ्वी व मानवजाति का भविष्य किस दिशा में जायेगा? आयामों की विकृति को पार कर, क्या कल्कि अनदेखे-अनकहे भीषण संकट का सामना कर पाएगा? चिरंजीवी समूह क्या एलियन प्रजाति को विनाशकारी पथ पर जाने से रोक पाएगा?

Samkalin Bharat Bhag-2 class 10 - Himachal Pradesh Board: समकालीन भारत भाग-२ कक्षा १० - हिमाचल प्रदेश बोर्ड

by Himachal Pradesh Board of School Education - Dharamshala

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड, धर्मशाला द्वारा प्रकाशित कक्षा 10 के लिए " समकालीन भारत भाग-२" का डिजिटल संस्करण, 2017 से 2022 तक की विभिन्न संस्करणों और पुनर्मुद्रितियों को शामिल करता है। इसका सारांश पाठ्यक्रम और शिक्षण प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षकों और छात्रों के बीच एक सेतु के रूप में काम करता है। यह मूल्यांकन, संबोधन, और अच्छी तरह से प्रस्तुत सामग्री की महत्वता पर जोर देता है। शिक्षा में सुधार की आवश्यकता पर ध्यान देते हुए राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा रूपरेखा 2005 और परीक्षा सुधारों पर राष्ट्रीय फोकस समूह के स्थिति पत्र ने परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्नों के तरीकों में बदलाव के लिए अपील की है। इस पुस्तक में कुल सात अध्याय है। संसाधन एवं विकास, वन एवं वन्य जीव संसाधन, जल संसाधन, कृषि, खनिज तथा ऊर्जा संसाधन, विनिर्माण उद्योग, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ आदी के बारे जानकारी दी गई है। राष्ट्रीय स्तर पर पाठ्यपुस्तकों के निर्माण का दायित्व एन. सी. ई. आर. टी. को दिया गया है ताकि शिक्षा के राष्ट्रीय स्तर पर समरूपता बनी रहे। हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड, एन.सी.ई.आर.टी. का आभारी हैं क्योंकि उन्होंने हमें उनके द्वारा परिश्रमपूर्वक तैयार की गई पुस्तकों को पुनर्मुदित कर अपने छात्रों तक पहुंचाने का अधिकार दिया है। छात्रें में भू-स्थानिक कौशल विकसित करने के उद्देश्य से एनसीईआरटी तथा इसरो ने मिलकर ऑनलाइन वेब आधारित भू-स्थानिक पोर्टल स्कूल-भुवन-एनसीईआरटी बनाया है। इस भू-स्थानिक पोर्टल पर भूगोल की पाठ्यपुस्तकों में दिए गए मानचित्र उपलब्ध हैं। यह पोर्टल छात्रें में भू-स्थानिक तकनीक के उपयोग द्वारा भूगोल की विभिन्न संकल्पनाओं को समझने में मदद करता है।

Loktantrik Rajniti class 10 - Himachal Pradesh Board: लोकतांत्रिक राजनीति कक्षा १० - लोकतांत्रिक राजनीति कक्षा १० - हिमाचल प्रदेश बोर्ड

by Himachal Pradesh Board of School Education - Dharamshala

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड, धर्मशाला द्वारा प्रकाशित कक्षा 10 के लिए "सामाजिक विज्ञान लोकतांत्रिक राजनीति" का डिजिटल संस्करण, 2013 से 2022 तक की विभिन्न संस्करणों और पुनर्मुद्रितियों को शामिल करता है। इसका सारांश पाठ्यक्रम और शिक्षण प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षकों और छात्रों के बीच एक सेतु के रूप में काम करता है। यह मूल्यांकन, संबोधन, और अच्छी तरह से प्रस्तुत सामग्री की महत्वता पर जोर देता है। यह "राष्ट्रीय पाठ्यक्रम निर्देशिका 2005" के प्रेरणा से लिखा गया है और लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं को छात्रों को परिचित कराने का उद्देश्य रखता है। यह किताब अपनी कथाओं, चित्रों, पहेलियों और कार्टूनों के माध्यम से विद्यार्थियों से हेल-मेल करती है। इस बार दृश्य सामग्री बढ़ा दी गई है और 'प्लस बाक्स' के नाम से एक नयी चीज़ जोड़ी गई है। 'इस किताब का उपयोग ऐसे करें' शीर्षक के अंतर्गत सभी नयी पुरानी विशेषताओं का ज़िक्र किया गया है। इसे ज़रूर पढ़ें। सबसे बड़ी बात यह है कि यह पुस्तक आपको सीख या उपदेश देने की कोशिश नहीं करती। यह आपसे बातचीत करना चाहती है। आप भी मानेंगे कि लोकतंत्र के बारे में सोचने का यही लोकतांत्रिक तरीका है।

Kurukshetra April 2024: कुरुक्षेत्र अप्रैल २०२४

by Publications Division

अप्रैल 2024 संस्करण, ए जर्नल ऑन रूरल डेवलपमेंट का कुरुक्षेत्र "पर्यटन: समृद्ध ग्रामीण विकास" विषय पर केंद्रित है। यह संस्करण बताता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास और सतत विकास को चलाने के लिए पर्यटन को एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। कवर में प्रतिष्ठित भारतीय परिदृश्यों और सांस्कृतिक स्थलों की जीवंत छवियां हैं, जो देश भर में विविध पर्यटन संभावनाओं को उजागर करती हैं।

Aage Badhata Kadam Bhag-3 class 10 - Himachal Pradesh Board: आगे बढ़ता कदम भाग-३ कक्षा १० - हिमाचल प्रदेश बोर्ड

by Himachal Pradesh Board of School Education - Dharamshala

आपके जीवन के इस पड़ाव पर, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड आपको भावी "आपदा प्रबंधकों" के रूप में तैयार करना चाहता है, ताकि आपदाओं से निपटने के लिए हमारे पास विशेषज्ञों की बेहतर टीमें उपलब्ध हों। पुस्तक का प्रारम्भ सूनामी पर एक विशेष अध्याय से किया गया है। इस अध्याय में यह बताया गया है कि सूनामी लहरें क्या होती हैं और उनके प्रभाव से अपनी रक्षा के लिए कौन-कौन से संभावित कदम उठाए जा सकते हैं। इस पुस्तक में विद्यार्थियों को जीवन रक्षा के विभिन्न कौशलों के बारे में व्यावहारिक अनुभव से परिचित कराने का प्रयास किया गया है। कोई आकस्मिक स्थिति उत्पन्न होने पर इस अनुभव के आधार पर अनेकों बेशकिमती जानें बचाई जा सकती हैं। इस पुस्तक में उन विभिन्न वैकाल्पिक संचार प्रणालियों के बारे में भी चर्चा की गई है जिनका प्रयोग आपदा के समय मौजूदा संसार प्रणाली के विफल होने पर किया जा सकता है। सुरक्षित निर्माण की कार्य पद्धतियों को अपनाना और अपनी मौजूदा इमारतों को सुदृढ़ करना जरूरी है। हम आपको यकीन दिलाना चाहेंगे कि समुदाय की सुरक्षा के इस पावन कार्य में आप अकेले नहीं है। अध्याय छह में उन अनेकों सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के बारे में बताया गया है जिनकी, आपदाओं के प्रबंधन के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है और आवश्यकता पड़ने पर आपकी सहायता कर सकती हैं। उनके बारे में सही जानकारी होने से यह लाभ होगा कि जरूरत पड़ने पर उनकी सहायता लेने में आपको आसानी होगी। अतएव अपने प्रियजनों की सुरक्षा के बारे में विचार करके योजना बनाने के लिए यह सही समय है। अध्याय 7 में कुछेक ऐसे उपायों के बारे में चर्चा की गई है जिनको ध्यान में रखकर ही कोई योजना बनाई जानी चाहिए।

Arthik Vikas Ki Samajh class 10 - Himachal Pradesh Board: आर्थिक विकास की समझ कक्षा १० - हिमाचल प्रदेश बोर्ड

by Himachal Pradesh Board of School Education - Dharamshala

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड, धर्मशाला द्वारा प्रकाशित कक्षा 10 के लिए "आर्थिक विकास की समझ" का डिजिटल संस्करण, 2013 से 2022 तक की विभिन्न संस्करणों और पुनर्मुद्रितियों को शामिल करता है। इसका सारांश पाठ्यक्रम और शिक्षण प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षकों और छात्रों के बीच एक सेतु के रूप में काम करता है। यह मूल्यांकन, संबोधन, और अच्छी तरह से प्रस्तुत सामग्री की महत्वता पर जोर देता है। शिक्षा में सुधार की आवश्यकता पर ध्यान देते हुए राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा रूपरेखा 2005 और परीक्षा सुधारों पर राष्ट्रीय फोकस समूह के स्थिति पत्र ने परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्नों के तरीकों में बदलाव के लिए अपील की है। इस पुस्तक में पूछे गए प्रश्न रटने को बढ़ावा देने वाली मूल्यांकन प्रणाली से हटकर पाठकों की रचनात्मक सोच, कल्पनाशीलता, प्रत्युत्तर और विश्लेषण क्षमता को धारदार बनाने वाली प्रणाली अपनायी गई है। यहाँ दिए गए उदाहरणों के आधार पर शिक्षक अतिरिक्त प्रश्नों को भी तैयार कर सकते हैं। इस पुस्तक को तैयार करते समय हमने अनेक संदर्भ सामग्रियों का उपयोग किया है। इसके अलावा समाचार पत्रों की अनेक कतरनों, सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों की रिपोर्टों का भी उपयोग किया है। इनमें से कुछ का उल्लेख शिक्षक के लिए निर्देश में किया गया है और कुछ पुस्तक के अन्त में सुझावित पाठ्य-सामग्रियों में दिए गए हैं।

Bharat Aur Samkalin Vishwa Bhag-2 class 10 - Himachal Pradesh Board: भारत और समकालीन विश्व भाग-२ कक्षा १० - हिमाचल प्रदेश बोर्ड

by Himachal Pradesh Board of School Education - Dharamshala

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड, धर्मशाला द्वारा प्रकाशित कक्षा 10 के लिए "सामाजिक विज्ञान भारत और समकालीन विश्व-2" का डिजिटल संस्करण, 2013 से 2022 तक की विभिन्न संस्करणों और पुनर्मुद्रितियों को शामिल करता है। इसका सारांश पाठ्यक्रम और शिक्षण प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षकों और छात्रों के बीच एक सेतु के रूप में काम करता है। यह मूल्यांकन, संबोधन, और अच्छी तरह से प्रस्तुत सामग्री की महत्वता पर जोर देता है। इस पुस्तक के पहले दो अध्यायों (खंड 1) में इसी इतिहास को समझने की कोशिश की गई है। यहाँ किस तरह यूरोप में राष्ट्रवाद का विचार उपजा, किस तरह भूभागों को एकजुट किया गया और राष्ट्रीय सरकारें बनाई गईं। यह दशकों तक चलने वाली प्रक्रिया थी जिसमें बहुत सारे युद्ध और क्रांतियाँ हुई, बहुत सारे वैचारिक संघर्ष और राजनीतिक टकराव हुए। यूरोप की चर्चा (अध्याय 1) से हम अपना ध्यान भारत (अध्याय 2) में राष्ट्रवाद के विकास पर केंद्रित करेंगे, जहाँ राष्ट्रवाद का स्वरूप उपनिवेशवाद तथा साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलनों से तय हुआ था। खंड 2 में हम अर्थव्यवस्थाओं और आजीविकाओं पर विचार करेंगे। पिछले साल आपने चरवाहों और वनवासियों के बारे में पढ़ा था, जिन्हें बीते ज़माने के अवशेषों की तरह देखा जाता है जबकि वास्तव में वे इसी आधुनिक दुनिया का हिस्सा हैं जिसमें हम रहते हैं। इस साल हम उन घटनाओं पर विचार करेंगे जिन्हें आधुनिकता का प्रतीक माना जाता है- वैश्वीकरण और औद्योगीकरण। इस भाग में हम इन बदलावों के इतिहास के विविध आयामों की पड़ताल करेंगे। अध्याय 4 में आप देखेंगे कि किस तरह भूमंडलीकृत विश्व एक लंबे और जटिल इतिहास से उपजा है। प्राचीन काल से ही तीर्थयात्री, व्यापारी, मुसाफिर अपने साथ सामानों, जानकारियों और दक्षताओं को लिए दूर-दूर तक जाते रहे हैं। खंड 3 में आप मुद्रण संस्कृति के इतिहास को पढ़ेंगे। छपी हुई चीजों से घिरे हुए हम लोगों को यह कल्पना करना भी मुश्किल दिखाई पड़ सकता है कि एक जमाने में प्रिंटिंग जैसी चीज होती ही नहीं थी। अध्याय 5 में इस बात पर विचार किया गया है कि किस तरह समकालीन दुनिया का इतिहास छपाई तकनीक के विकास के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा रहा है। वहाँ आप देखेंगे कि छपाई ने सूचनाओं और विचारों, बहसों और चर्चाओं, विज्ञापन और प्रचार तथा नाना प्रकार के नए साहित्य के प्रसार को किस तरह संभव बनाया है।

Vigyan class 10 - Himachal Pradesh Board: विज्ञान कक्षा १० - हिमाचल प्रदेश बोर्ड

by Himachal Pradesh Board of School Education - Dharamshala

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड, धर्मशाला द्वारा प्रकाशित कक्षा 10 के लिए "विज्ञान" का डिजिटल संस्करण, 2013 से 2022 तक की विभिन्न संस्करणों और पुनर्मुद्रितियों को शामिल करता है। इसका सारांश पाठ्यक्रम और शिक्षण प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षकों और छात्रों के बीच एक सेतु के रूप में काम करता है। यह मूल्यांकन, संबोधन, और अच्छी तरह से प्रस्तुत सामग्री की महत्वता पर जोर देता है। रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण, अम्ल, क्षारक एवं लवण, धातु एवं अधातु, कार्बन एवं उसके यौगिक, तत्वों का आवर्त वर्गीकरण, जैव प्रक्रम, नियंत्रण एवं समन्वय, जीव जनन कैसे करते हैं, आनुवंशिकता एवं जैव विकास, प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन, मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार, विद्युत, विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव, ऊर्जा के स्रोत, हमारा पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन। इसमें मानक पाठ्यक्रम के विषय शामिल हैं जैसे रासायनिक प्रतिक्रियाएं और समीकरण, धातु और अधातु, अम्ल, क्षार और लवण, कार्बन, आवर्त सारणी, जीवन प्रक्रियाएं, प्रजनन, आनुवंशिकता, प्रकाश, बिजली, मानव आंख, ऊर्जा, चुंबकत्व, पर्यावरण और संसाधन प्रबंधन। सीखने को आसान बनाने के लिए, किताबें चित्रों से सुसज्जित हैं जो छात्रों को स्पष्ट विचार बताती हैं। इसी तरह, पुस्तक में दिए गए उदाहरण अच्छी तरह से वर्णित हैं और उत्पन्न होने वाले किसी भी भ्रम को दूर करने में मदद करते हैं। यह पुस्तक हल किए गए और अनसुलझे प्रश्नों के साथ भी आती है ताकि छात्र स्वयं का परीक्षण कर सकें और अपने कौशल में सुधार कर सकें।

Bharat Aur Samkalin Vishwa Bhag-1 class 9 - Himachal Pradesh Board: भारत और समकालीन विश्व भाग-१ कक्षा ९ - हिमाचल प्रदेश बोर्ड

by Himachal Pradesh Board of School Education - Dharamshala

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड, धर्मशाला द्वारा प्रकाशित कक्षा 10 के लिए "सामाजिक विज्ञान भारत और समकालीन विश्व-1" का डिजिटल संस्करण, 2013 से 2022 तक की विभिन्न संस्करणों और पुनर्मुद्रितियों को शामिल करता है। इसका सारांश पाठ्यक्रम और शिक्षण प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षकों और छात्रों के बीच एक सेतु के रूप में काम करता है। यह मूल्यांकन, संबोधन, और अच्छी तरह से प्रस्तुत सामग्री की महत्वता पर जोर देता है। इस किताब के खंड 1 में कुछ ऐसी घटनाओं और प्रक्रियाओं पर ध्यान दिया गया है जो आधुनिक विश्व को समझने की दृष्टि से काफ़ी महत्त्वपूर्ण हैं। इस साल खंड में आप फ्रांसीसी क्रांति, रूसी क्रांति और नात्सीवाद के बारे में पढ़ेंगे। खंड 2 में नाटकीय घटनाओं पर दृष्टिपात करते हुए हम लोगों के जीवन की सामान्य बातों - उनकी आर्थिक गतिविधियों और आजीविका के स्वरूप - तक जाएंगे। इस हिस्से में आप देखेंगे कि जनजातीय समुदायों और चरवाहों के लिए समकालीन विश्व का क्या मतलब रहा है; उन्होंने इन बदलावों का सामना किस तरह किया और उन्हें किस तरह प्रभावित किया।

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