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Khsitij Bhag 2
by National Council Of Educational Research TrainingThis book prescribed by central board of secondary education, India for the students of class 10th subject Hindi, studying through hindi medium. This accessible version of the book doesn’t leave any part of the book. The book is handy companion of the school and university students desiring to read facts in interesting way. NCERT books are must read for aspirants of competitive and job related examinations in India.
KHSITIJ Bhag 1
by National Council Of Educational Research TrainingThis book prescribed by central board of secondary education, India for the students of class 9th subject Hindi, studying through hindi medium. This accessible version of the book doesn’t leave any part of the book. The book is handy companion of the school and university students desiring to read facts in interesting way. NCERT books are must read for aspirants of competitive and job related examinations in India.
Khichadi Ek Lokkatha
by Jitendra Kumarखिचड़ी एक छोटी सी लोककथा है। जिसमें बिरजू नामक व्यक्ति अपनी सास की बनाई खिचड़ी को खाता है और उसे दोबारा खाने के लिए उसका नाम याद करते हुये अपने घर जाता है, रास्ते में खिचड़ी शब्द बदल कर कुछ का कुछ हो जाता है और अन्त में मां के बोलने पर उसे खिचड़ी शब्द वापस याद आ जाता है। इस छोटी सी लोककथा को लेखक ने बच्चो के लिए ढेर सारे चित्रो से सजाया है।The book Khichadi is a small Folklore. In this story there is a man named Birju who had eaten khichadi made by his mother in law.He wanted to eat khichadi again.How he ate khichadi and return home is an interesting affair.
Kavya-Vithi B.A. Sem-I - Ranchi University, N.P.U.
by Vindhyavasini Pande Arun Kumar Mithilesh SinghKavya - Vithi is a Hindi poerty book published by Bhasha Publisher and written by Dr.Vindhyavasini nandan Pande, Dr.Arun Kumar, and Dr.Mithilesh Kumar Singh. In this book the work is given about the poets and their poems.
Kavya-vithi
by Vindhyavasini Nandan Pande Dr Arun Kumar Mithilesh Kumar SinghKavya - Vithi is a Hindi poerty book published by Bhasha Publisher and written by Dr.Vindhyavasini nandan Pande, Dr.Arun Kumar, and Dr.Mithilesh Kumar Singh. In this book the work is given about the poets and their poems.
Kavya Sarita (Hindi) F.Y.B.A. Pune University
by Suresh SalunkeKavya Sarita text book for First year from The Pune Universtity in Hindi.
Kavya Pradeep Class 11
by Suryanarayan RanshubheThis is collection of hindi poems from 1910 to 2010 for students of class eleven of Maharastra education board.
Kavitavali: कवितावली
by Indradev Narayanगोस्वामी श्री तुलसीदासजी द्वारा विरचित तथा श्री इन्द्रदेव नारायण जी द्वारा अनुवादित यह पुस्तक भावुक भक्तों को प्राणों के समान प्रिय है। इसमें भगवान श्रीराम के बालकाण्डसे लेकर उत्तरकाण्ड पर्यन्त लीलाओं का बड़ा ही मनोहारी चित्रण है।
Kaun Ho Tum: कौन हो तुम
by Sangeeta Pandeyक्या होता है जब प्यार शादीशुदा ज़िंदगी में दस्तक देता है? अंजाम किस हद तक ले जाता है? बर्बादी या प्यार की एक ऐसी कहानी जिसकी मिसाल दिल को छू जाए। आसान नही थी मोहिनी के लिए मोहब्बत की डगर, पर न जाने ऐसी कौन सी ताकत थी प्यार में कि हर दरिया पार करती चली गई। पर ये सुख ज़िंदगी को मंज़ूर कहां था? एक ऐसा पड़ाव आया... जहां, जिस शख़्स के लिए बहुत ख़ास थी मोहिनी, उसी की नज़रों से उतर गई... जो उसकी पूरी ज़िंदगी है, उसका वह एक लम्हा भी नहीं। सवाल उसकी खुशी का था तो मोहिनी ने चुप्पी साध ली पर आनंद की चुप्पी डसने लगी उसे, उसके अतीत की परछाई ने सब छीन लिया उससे। चाहत प्यार की थी, बेशुमार ग़म भर गए झोली में। क्या आनंद मोहिनी की ख़ामोशी कभी समझ पाएगा? क्या मोहिनी को तमन्नाओं की उड़ान मिलेगी या बिरह की अग्नि में जल जाएगी मोहब्बत? सामाजिक बंधनों के बीच उपजा आनंद और मोहिनी का प्यार परवान तो चढ़ा लेकिन क्या समाज के नाम की बलि चढ़ जाएगा या उनके जज़्बात एक नया मोड़ लेंगे?
Katha Dhara class 11 - RBSE Board: कथा धारा 11वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड
by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmerकथा धारा कक्षा 11 के विद्यार्थियों के लिखी गई पाठ्यपुस्तक प्रस्तुत करते हुए अत्यंत प्रसन्नता है । पुस्तक लेखन पाठ्यसामग्री संकलन में यह ध्यान रखा गया है कि हिंदी साहित्य की समृद्ध संपदा के राष्ट्रीय फलक से विद्यार्थियों को परिचित करवाते समय राजस्थान के आदर्श नायकों तथा रचनाकारों का व्यक्तित्व एवं कृतित्व भी विद्यार्थियों के समक्ष आए ताकि हमारे विद्यार्थी हिंदी की मुख्यधारा में राजस्थान के योगदान को रेखांकित करने में समर्थ बनें। छोटे कलेवर वाली इस पुस्तक में संकलित सामग्री एक संकेत मात्र है, जिसके माध्यम से विद्यार्थी इस दिशा में सोचना तथा इस राह पर अग्रसर होना शुरु करेंगे। निर्धारित पाठ्यक्रमानुसार पुस्तक के संपादन का गुरुत्तर दायित्व प्रदान करने हेतु माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर का आभार । यद्यपि इस पुस्तक में मानक हिंदी का अनुसरण किया गया है तथापि कहीं-कहीं पाठ की मूल भावना को ध्यान में रखते हुए पुरानी वर्णमाला का प्रयोग किया गया है।
Kashi: काशी: काले मंदिर का रहस्य
by Vineet Bajpai'ब्रह्मांड की समस्त काली शक्तियां उसकी दास हैं...' 1699 ईसापूर्व, आर्यवर्त के दलदल - जब प्रलय की लहरें एक-एक नगर को अपनी चपेट में लेती जा रही थी, तब विराट नौका और धरती के बीच एक अंतिम युद्ध की शुरुआत हुई। एक निर्मम राजा ने मानवजाति के अस्तित्व को चुनौती देते हुए कलयुग के आगमन की घोषणा की। 2017, बनारस रात्रि के आकाश में एक पवित्र नक्षत्र प्रस्फुटित हुआ और भविष्यवाणी में नियत समय आ पहुंचा। 'दैव- इलिदान एक भयानक राक्षस-बलि में बदल गया, और देवता ने पापी भ्रातृसंघ के रक्तरंजित इतिहास से पर्दा उठाया। 762 ईस्वी, राष्ट्रकूट साम्राज्य शक्तिशाली सम्राट पृथ्वीवल्लभ से मिलने के लिए पवित्र नगरी से एक रहस्यमयी अतिथि आया। उसने सम्राट को प्राचीन रहस्य सौंपा, जिसने सम्राट को एक शौर्यपूर्ण और असंभव अभियान के लिए प्रेरित किया। 2017, न्यूयॉर्क शहर - छठी पीढ़ी के एक अरवपति को 'द बिंग मैन' का फोन आया। न्यू वर्ल्ड ऑर्डर के उस सर्वेसर्वा ने अपने अंतिम दांव के बारे में बताया। मुंबई के अंडरवर्ल्ड ने भी शैतान के दूत से हाथ मिला लिया! क्या विद्युत भ्रातृसंघ के साथ होने वाले निर्णायक युद्ध में विजयी हो पाएगा? यूरोप में 14वीं सदी में हुई काली मृत्यु के पीछे कौन सा घिनौना सत्य है? प्रकाश और अंधेरे, अच्छाई और बुराई, ईश्वर और शैतान के बीच होने वाले अंतिम युद्ध का साक्षी बनने के लिए पढ़िए।
Kasap: कसप
by Manohar Shyam Joshiइस उपन्यास में मध्यवर्गीय जीवन की टीस को अपने पंडिताऊ परिहास में ढालकर एक प्राध्यापक ने मानवीय प्रेम को स्वप्न और स्मृत्याभास के बीचोबीच ‘फ्रीज’ कर दिया है। 1910 के काशी से लेकर 1980 के हॉलीवुड तक की अनुगूँजों से भरा, गँवई, अनाथ, भावुक साहित्य-सिनेमा अनुरागी लड़के और काशी के समृद्ध शास्त्रियों की सिरचढ़ी, खिलन्दड़, दबंग लड़की के संक्षिप्त प्रेम की विस्तृत कहानी सुनानेवाला यह उपन्यास एक विचित्र-सा उदास-उदास, मीठा-मीठा-सा प्रभाव मन पर छोड़ता है। ऐसा प्रभाव जो ठीक कैसा है, यह पूछे जाने पर एक ही उत्तर सूझता है – ‘कसप!… और कुमाऊँनी में ‘कसप’ का मतलब होता है – ‘पता नहीं!’
Karmu Pradhan
by Ramujagar DubeyKarmu Pradhan is a play of a boy who gave prime importance to "KARMA". The play also gives artistic energy to the rural development which becomes evident while seeing the unfolding of the events in the play.
Karmbhoomi
by PremchandRecognized as the foremost writer in both Hindi and Urdu during the early twentieth century Premchand in this novel depicts the truthfulness of Gandhian way of fighting the odds in life. Indeed a novel down to earth with many lessons to learn.
Karma Ka Vignan: कर्म का विज्ञान
by Dada Bhagwanजब भी हमारे साथ कुछ भी अच्छा या बुरा होता है तो हम हमेशा यही कहते हैं कि – यह सब हमारे कर्मो का ही नतीजा है| पर क्या हम जानते है कि कर्म क्या है और कर्म बंधन कैसा होता है? दादाश्री कहते है कि हमारा सारा जीवन हमारे ही पिछले कर्मो का नतीजा है| जो कुछ भी हमारे साथ अच्छा या बुरा हो रहा हैं, इसके ज़िम्मेदार हम खुद ही है| इस जीवन के कर्मो के बीज तो हमारे पिछले जन्मो में ही पड़ गए थे और अभी हम जो कुछ भी कर रहे है वह सब अगले जन्मों में रूपक में आएगा| लोग अक्सर यही सोचते है कि अच्छे कर्म और बुरे कर्म क्या होते है और किस प्रकार हम कर्म बंधन से मुक्त हो सकते है? दादाजी इसका जवाब देते हुए कहते है कि जिस काम से किसी का भला हो उसे अच्छे कर्म कहते है और जिससे किसी का नुक्सान हो, तो, उसे बुरे कर्म कहते है| कर्म बंधन से मुक्त होने का सबसे आसान और सरल उपाय यही है कि हम नए कर्मो के बीज ना डाले और अभी जो कुछ भी हो रहा है उसको समता से और समभाव से पूरा करे| ऐसा करने से नए कर्मो के बीज नहीं पड़ेंगे और हम इस जन्म-मरण के चक्कर से मुक्त हो पाएँगे| कर्म का विज्ञान और उसे चलाने वाली व्यवस्थित शक्ति के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, ‘कर्म का विज्ञान’, यह किताब ज़रूर पढ़े और अपने जीवन को सुखमय बनाये|
Karma Ka Siddhant: कर्म का सिद्धांत
by Dada Bhagwan'मैंने किया' बोला कि कर्मबंध हो जाता है। ये 'मैंने किया' इसमें इगोइज़्म(अहंकार) है और इगोइज़्म से कर्म बंधा जाता है। जिधर इगोइज़्म ही नहीं, मैंने किया ही नहीं है, वहाँ कर्म नहीं होता है ।
Kara Kunti ke: कारा कुन्ती की
by Kusumlata Malik'कारा कुन्ती की' यह नाटक को जिन द्वंद्वात्मक मनःस्थितियों एवं विकट परिस्थितियों में लिखा गया, वे वास्तव में आत्यांतिक रूप से अकथनीय हैं। परिणामतः नाटक अनेक विचारधाराओं की टकराहट का कोलाज बन गया है। पूर्वार्द्ध और उत्तरार्द्ध के अंतर्गत कई दृश्यान्तरों में निबद्ध यह नाटक अपनी स्वाभाविक प्रकृति में धीरे-धीरे खुलता है। यह खुलना वैसे ही है जैसे एक बीज का शनै:-शनैः वृक्ष हो जाना। भाव तथा कार्य दोनों एक साथ गति पकड़ते हैं। इस तरह आद्यन्त नाटक अपनी आंतरिक एव बाह्य संचालन प्रक्रिया में सक्रिय बना रहा है। सात्विक अभिनय पर अधिक जोर देते हुए भी अभिनय के अन्य रूपात्मक बाह्य प्रकारों के लिए पर्याप्त स्पेस है। नाटक का आन्तरिक पक्ष उसके बाह्य पक्ष का आधार होता है और नाटक का बाह्य पक्ष आन्तरिक अनुभूति का विस्तार होता है। इस प्रकार नाट्यानुभूति और रंगसज्जा दोनों अन्योन्याश्रित होते हैं। प्रस्तुत नाटक में मैनें इसका समुचित निर्वाह करने का प्रयास किया है।
Kanch Ka Baksa
by Pushpita Awasthiपुष्पिता अवस्थी दवारा रचित यह पुस्तक कई रोचक और शिक्षाप्रद कहानिया का संग्रह है।This book, written by Pushpita Awasthi, is a collection of interesting and educational stories.
Kamayani Mulyankan Aur Mulyankan: कामायनी [मूल्यांकन और मूल्यांकन]
by Dr Indranath Madanप्रसाद सुख और दुख को तात्विक वस्तु मानने के विरोधी हैं । समस्त द्वैतों का परिहार इसी आनन्द के अन्तर्गत किया है। यह आख्यान इतना प्राचीन है कि इतिहास में रूपक का भी अद्भुत मिश्रण हो गया है। इसलिए मनु, श्रद्धा और इड़ा, इत्यादि अपना ऐतिहासिक अस्तित्व रखते हुए, सांकेतिक अर्थ की भी अभिव्यक्ति करें तो कोई आपत्ति नहीं। मनु अर्थात मन के दोनों पक्ष; हृदय और मस्तिष्क का सम्बन्ध क्रमशः श्रद्धा और इड़ा से भी सरलता से लग जाता है। इन्हीं सब के आधार पर कामायनी की कथा-सृष्टि हुई है ।
Kamayani
by Jayshankar PrasadKamayani looks at the Chayawaadi school of Hindi poetry. It plays continuously with the human emotions and takes metaphors from mythologies. The chapters even are named after the emotions. The plot is based on the Vedic story where Manu, the man surviving after the deluge (Pralaya), is emotionless (Bhavanasunya). Anyone having interest in Hindi poetry must read it.
Kalpana
by Pratima SharanThe play was written in a time when Bihari theatre didn’t have much of the play to be staged. Kalpana is an attempt to give a realistic play to be staged. Although there are only three or four characters in the play, it brings effectiveness in the play.
Kalihanuvani: कलिहनुवाणी
by Shunyaआठों योग सिद्धियों को प्राप्त करने वाले चिरंजीवी हनुमान जी ने अपना ब्रह्मज्ञान और अनुभव बाँटने के लिए कुछ विशेष आदिवासी शिष्य चुने थे। उन्होंने वचन दिया था कि वे हर 41 वर्ष पश्चात अपने शिष्यों की नई पीढ़ियों से मिलने आएँगे और उन्हें स्वयं ज्ञान प्रदान करेंगे। उसी शाश्वत वचन को निभाते हुए वे इस बार भी आए। घने जंगल से आच्छादित एक पर्वत पर उन्होंने अपने शिष्यों को प्राचीन ज्ञान नवीन ढंग से प्रदान किया। एक दिव्य लीला के अंतर्गत यह ज्ञान जंगल से बाहर 'कलिहनुवाणी' के रूप में पहुँच रहा है...
Kala Siddhant Evam Bharatiy Murtikala class 11 - RBSE Board: कला सिद्धान्त एवं भारतीय मूर्तिकला 11वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड
by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmerकला सिद्धान्त एवं भारतीय मूर्तिकला कक्षा 11वीं यह पुस्तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर ने संस्कृत भाषा में प्रकाशित किया गया है, प्रस्तुत पुस्तक राजस्थान शिक्षा मण्डल, अजमेर के प्राकृत भाषा एवं साहित्य के 11 वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं के लिए तैयार की गई है। कला कल्याण की जननी है। प्रथम कलाकार सृष्टि का रचियिता ईश्वर है। यही कारण है कि सृष्टि के सभी पदार्थों में कला का वास है। कला शब्द की उत्पति संस्कृत भाषा की 'कल्' धातु से हुई है। जिसका अर्थ है शब्द करना या प्रेरित करना। जिस प्रकार कल् कल् शब्द से एक गतिपूर्ण ध्वनि आती है उसी प्रकार कला भी लयपूर्ण अभिव्यक्ति है। कला का अर्थ मात्र भोग-विलास न होकर सौन्दर्य की अभिव्यक्ति द्वारा सुख या आनन्द प्रदान करना है। भारतीय विद्वानों ने कला को अनेक रूपों में परिभाषित किया है।
Kala Pani: काला पानी
by Vinayak Damodar Savarkarकाला पानी की भयंकरता का अनुमान इसी एक बात से लगाया जा सकता है कि इसका नाम सुनते ही आदमी सिहर उठता है। काला पानी की विभीषिका, यातना एवं त्रासदी किसी नरक से कम नहीं थी। विनायक दामोदर सावरकर चूँकि वहाँ आजीवन कारावास भोग रहे थे, अत: उनके द्वारा लिखित यह उपन्यास आँखों-देखे वर्णन का-सा पठन-सुख देता है। इस उपन्यास में मुख्य रूप से उन राजबंदियों के जीवन का वर्णन है, जो ब्रिटिश राज में अंडमान अथवा 'काला पानी' में सश्रम कारावास का भयानक दंड भुगत रहे थे। काला पानी के कैदियों पर कैसे-कैसे नृशंस अत्याचार एवं क्रूरतापूर्ण व्यवहार किए जाते थे, उनका तथ वहाँ की नारकीय स्थितियों का इसमें त्रासद वर्णन है। इसमें हत्यारों, लुटेरों, डाकुओं तथा क्रूर, स्वार्थी, व्यसनाधीन अपराधियों का जीवन-चित्र भी उकेरा गया है। उपन्यास में काला पानी के ऐसे-ऐसे सत्यों एवं तथ्यों का उद्घाटन हुआ है, जिन्हें पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
Kala Moti: काला मोती: ब्रह्मकण शक्ति
by Shivendra Suryavanshiहिमालय की गुफाओं से निकलकर, अटलांटिस की धरती के रहस्यों की परतों को खोलने वाली, देवताओं के द्वारा रची गयी ऐसी महागाथा, जिसे आप बार बार पढना चाहेंगे। यह कहानी है सन राइजिंग नामक एक ऐसे पानी के जहाज की जो किसी कारणवश रास्ता भटक कर बरमूडा ट्रायंगल के खतरनाक क्षेत्र में फंस जाता है। कहानी के कुछ पात्र भयानक मुसीबतों से जूझते हुए अटलांटिस की धरती पर पहुंच जाते हैं जहां पर उनका इंतजार कर रहा होता है इस ब्रम्हांड का सबसे बड़ा तिलिस्म। 28 दरवाजे वाले इस तिलिस्म में मौजूद हैं - सप्ततत्व, 12 राशियां, ग्रीक गॉड, रोमन योद्धा, ब्रह्मांड के सबसे खतरनाक जीव, अनोखे ग्रह, और विज्ञान की अनोखी दुनिया।