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Rajneeti Vigyan B.A (CBCS) Sem-II -Ranchi University, N.P.U

by J. C. Johari

Rajneeti Vigyan text book According to the Latest Syllabus based on Choice Based Credit System (CBCS) for B.A Sem-II from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.

Rajneeti Vigyan B.A (CBCS) Sem-III -Ranchi University, N.P.U

by J. C. Johari Rashmi Sharma

Rajneeti Vigyan text book According to the Latest Syllabus based on Choice Based Credit System (CBCS) for B.A Sem-III from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.

Rajneeti Vigyan B.A (Hons.) Sem-I -Ranchi University, N.P.U

by Pukhraj Jain

Rajneeti Vigyan text book for B.A (Hons.) Sem-I from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.

Rajneeti Vigyan B.A (Hons.) Sem-IV (Core 8, Core 9 & Core 10) -Ranchi University, N.P.U

by B. L. Fadiya

Rajneeti Vigyan text book According to the Latest Syllabus based on Choice Based Credit System (CBCS) for B.A (Hons.) Sem-IV (Core 8, Core 9 & Core 10) from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.

Rajneeti Vigyan B.A (Hons.) Sem-V (Core Course 11, & Core Course 12) - Ranchi University N.P.U: राजनीति विज्ञान बी. ए. (ऑनर्स) (पंचम-सेमेस्टर) कोर-11 और कोर-12 – रांची युनिवर्सिटी, एन.पि.यू.

by B. L. Fadiya

राजनीति विज्ञान बी. ए. (ऑनर्स) प्रस्तुत पुस्तक रांची विश्वविद्यालय, रांची के बी. ए. (ऑनर्स), सेमेस्टर V के नवीनतम संशोधित पाठ्यक्रम को आधार बनाकर तैयार की गयी है। पुस्तक में निम्नांकित दो प्रश्न - पत्रों को पाठ्यक्रमानुसार संक्षिप्त में प्रस्तुत किया गया है। इस पाठ्यपुस्तक में कोर-11 में नौकरशाही (BUREAUCRACY), कोर-12 में तुलनात्मक राजनीतिक विश्लेषण (COMPARATIVE POLITICAL ANALYSIS) इन मुद्दो को विस्तार में समजाया गया है।

Rajneeti Vigyan B.A (Hons.) Sixth Semester - Ranchi University, N.P.U: राजनीति विज्ञान बी.ए. (ऑनर्स) सेमेस्टर VI - राँची यूनिवर्सिटी, एन.पी.यू.

by Dr B. L. Fadia

राजनीति विज्ञान प्रस्तुत पुस्तक रांची विश्वविद्यालय के बी.ए.(ऑनर्स) राजनीति विज्ञान सेमेस्टर VI नए पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गयी है । पाठ्यक्रम में निम्नांकित दो प्रश्न-पत्र हैं: CORE COURSE- 13: राजनीतिक विचारधाराएं, CORE COURSE- 14: भारतीय राजनीति में समकालीन मुद्दे। परीक्षा में लघु उत्तरीय तथा दीर्घ उत्तरीय (वर्णनात्मक) प्रश्न पूछे जाएगें । प्रत्येक अध्याय के अन्त में विद्यार्थियों की सुविधा के लिए प्रश्न- पत्रों का प्रारूप शामिल किया गया है । प्रस्तुत पुस्तक को प्रस्तुत करने का प्रयोजन बस यही है कि विद्यार्थी को एक ही स्थान पर विविध बिखरी हुई सामग्री इकट्ठी करने में कठिनाई न हो और उच्च स्तर की ठोस सामग्री एक ही स्थान पर उपलब्ध हो जाए । पुस्तक की भाषा सरल, शैली रोचक एवं बोधगम्य है ताकि हिन्दी माध्यम से परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को यह विषय कठिन प्रतीत न हो ।

Rajneeti Vigyan class 11 - MP Board: रजनीति विज्ञान कक्षा 11 - एमपी बोर्ड

by Madhya Pradesh Shiksha Mandal

Rajniti Vigyan text book for 11 th standard Shiv Lal Agarwal & Company Agra in Hindi.

Rajneeti Vigyan class 12 - MP Board: रजनीति विज्ञान कक्षा 12 - एमपी बोर्ड

by Madhyamik Shiksha Mandal Madhya Pradesh Bhopal

Rajniti Vigyan text book for 12 th standard from Madhyamik Shiksha Mandal Madhya Pradesh Bhopal in Hindi.

Rajneeti Vigyan class 12 - RBSE Board: राजनीति विज्ञान कक्षा 12 - आरबीएसई बोर्ड

by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer

राजनीति विज्ञान इस पाठ्यपुस्तक में अनेक विचारकों व विद्वानों के मौलिक कथन एवं विश्लेषण को शामिल किया गया है। राजनीति विज्ञान विषय के विभिन्न सिद्धान्तों व विचारों को शामिल किया गया है। पुस्तक के प्रथम खण्ड 'अ' में प्रचलित अवधारणाओं का वर्तमान वैश्विक परिदृश्य के संदर्भ में विश्लेषण किया गया है। पुस्तक में 'धर्म' जैसे शाश्वत प्रत्यय के अतिरिक्त वैश्वीकरण और आतंकवाद के नवीन स्वरूप को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।

Rajneetik Siddhant class 11 - NCERT: राजनीतिक सिद्धांत 11वीं कक्षा - एनसीईआरटी

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

राजनीतिक सिद्धांत 11वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने कक्षा ग्यारह के छात्रें के लिए इस वर्ष राजनीतिक सिद्धांत पर एक पृथक पाठ्यक्रम प्रारंभ किया है। पहले छात्र-छात्रएँ राजनीतिक विचार और सिद्धांतों से उदारवाद, मार्क्सवाद या फासीवाद जैसी विचारधाराओं के माध्यम से परिचित होते थे। स्वतंत्रता और समानता जैसी अवधारणाओं की चर्चा अप्रत्यक्ष रूप से और केवल तभी होती थी जब इन विचारधाराओं में उनका जिक्र आता था। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य कुछ उन विचारों और अवधारणाओं से परिचित करवाना है, जो विश्व की राजनीतिक विचारों की जीवंत परंपरा का हिस्सा है। इस पुस्तक रचना में एक ऐसा दृष्टिकोण अपनाया गया है, जिसमें छात्र-छात्रओं को सीखने की प्रक्रिया में ज्ञान के ग्राहक और सृजक दोनों भूमिकाओं में जाँचा और विकसित किया है। इसका उद्देश्य छात्र-छात्रओं को ‘राजनीतिक सिद्धांत’ करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

Rajneetik Siddhant Class 11 - RBSE Board

by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer

राजनीतिक सिद्धांत कक्षा 11वीं यह पुस्तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, प्रस्तुत पुस्तक राजस्थान शिक्षा मण्डल, अजमेर के प्राकृत भाषा एवं साहित्य के 11 वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं के लिए तैयार की गई है, इस पाठ्यपुस्तक में पहले छात्र-छात्रएँ राजनीतिक विचार और सिद्धांतों से उदारवाद, मार्क्सवाद या फासीवाद जैसी विचारधाराओं के माध्यम से परिचित होते थे। स्वतंत्रता और समानता जैसी अवधारणाओं की चर्चा अप्रत्यक्ष रूप से और केवल तभी होती थी जब इन विचारधाराओं में उनका जिक्र आता था। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य कुछ उन विचारों और अवधारणाओं से परिचित करवाना है, जो विश्व की राजनीतिक विचारों की जीवंत परंपरा का हिस्सा है। इस पुस्तक रचना में एक ऐसा दृष्टिकोण अपनाया गया है, जिसमें छात्र-छात्रओं को सीखने की प्रक्रिया में ज्ञान के ग्राहक और सृजक दोनों भूमिकाओं में जाँचा और विकसित किया है। इसका उद्देश्य छात्र-छात्रओं को ‘राजनीतिक सिद्धांत’करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

Rajneetik Siddhant class 11 - S.C.E.R.T Raipur - Chhattisgarh Board: राजनीतिक सिद्धांत कक्षा 11 - एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर - छत्तीसगढ़ बोर्ड

by Rajya Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad Raipur C. G.

राजनीतिक सिद्धांत 11 वीं कक्षा का राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् छत्तीसगढ़ रायपुर ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने कक्षा ग्यारह के छात्रें के लिए इस वर्ष राजनीतिक सिद्धांत पर एक पृथक पाठ्यक्रम प्रारंभ किया है। पहले छात्र-छात्रएँ राजनीतिक विचार और सिद्धांतों से उदारवाद, मार्क्सवाद या फासीवाद जैसी विचारधाराओं के माध्यम से परिचित होते थे। स्वतंत्रता और समानता जैसी अवधारणाओं की चर्चा अप्रत्यक्ष रूप से और केवल तभी होती थी जब इन विचारधाराओं में उनका जिक्र आता था। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य कुछ उन विचारों और अवधारणाओं से परिचित करवाना है, जो विश्व की राजनीतिक विचारों की जीवंत परंपरा का हिस्सा है। इस पुस्तक रचना में एक ऐसा दृष्टिकोण अपनाया गया है, जिसमें छात्र-छात्रओं को सीखने की प्रक्रिया में ज्ञान के ग्राहक और सृजक दोनों भूमिकाओं में जाँचा और विकसित किया है। इसका उद्देश्य छात्र-छात्रओं को ‘राजनीतिक सिद्धांत’ करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

Rajneetik Vichardharayen TYBA - Ranchi University, N.P.U: राजनीतिक विचारधाराएँ बी.ए. तृतीय वर्ष - राँची यूनिवर्सिटी, एन.पी.यू.

by Dr S. C. Sinhal

राजनीतिक विचारधाराएँ यह पुस्तक राँची विश्वविद्यालय तथा विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के बी.ए. तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों के लिए नवीन पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गयी है। इसमें नवीन परीक्षा प्रणाली को भी दृष्टि में रखकर प्रश्नों को स्थान दिया गया है। पुस्तक के लिखते समय यह प्रयास किया गया है कि यह पुस्तक विद्यार्थियों के लिए सरल और पूर्णरूपेण उपयोगी बन सके और यह पुस्तक अपने उद्देश्य में सफल होगी।

Rajniti Siddhant Ki Rooprekha-An Introduction To Political Theory

by O. P. Gauba

“राजनीति-सिद्धांत की रूपरेखा’ के सप्तम संस्करण के अंतर्गत जगह-जगह नए संशोधन-परिवर्धन किए गए हैं, और अद्यतन सामग्री का समावेश किया गया है। विवेच्य विषय के निरंतर विस्तारशील स्वरूप को ध्यान रखते हुए इसमें कई नए, महत्त्वपूर्ण प्रकरण जोड़े गए हैं। ‘विचारधारा की संकल्पना’ के अंतर्गत ‘नारीवाद’ (Feminism) का संक्षिप्त परिचय जोड़ा गया है। ‘राज्य का स्वरूप: विविध परिप्रेक्ष्य’ के अंतर्गत दो नए, विस्तृत प्रकरण जोड़े गए हैं: ‘नारीवादी परिप्रेक्ष्य’ (Feminist Perspective) और ‘बहुलवादी परिप्रेक्ष्य’ (Pluralist Perspective) फिर, ‘लोकतंत्र के समकालीन सिद्धांत’ के अंतर्गत यहां दो नए प्रकरण यथास्थान जोड़ दिए गए हैं: ‘विचारणात्मक लोकतंत्र का सिद्धांत’ (Theory of Deliberative Democracy) और ‘लोकतंत्र का विरोधाभास’ (Paradox of Democracy)। ‘न्याय की संकल्पना’ के अंतर्गत ‘समुदायवादी दृष्टिकोण’ (Communitarian View) से जुड़े प्रकरण का प्रचुर विस्तार किया गया है। इसमें समुदायवाद (Communitarianism) के मुख्य-मुख्य उन्नायकों के योगदान की चर्चा करते हुए ‘जॉन सल्स के न्याय-सिद्धांत की समुदायवादी समालोचना’ (Communitarian Critique of John Rawls’s Theory of Justice) पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है।

Rajniti Sidhanth Ki Rooprekha: राजनीति-सिद्धांत की रूपरेखा

by Om Gaba

"राजनीति-सिद्धांत की रूपरेखा' के सप्तम संस्करण के अंतर्गत जगह-जगह नए संशोधन-परिवर्धन किए गए हैं, और अद्यतन सामग्री का समावेश किया गया है। विवेच्य विषय के निरंतर विस्तारशील स्वरूप को। नए महत्त्वपूर्ण प्रकरण जोड़े गए हैं। 'विचारधारा की संकल्पना' के अंतर्गत 'नारीवाद' (Feminism) का संक्षिप्त परिचय जोड़ा गया है। 'राज्य का स्वरूप : विविध परिप्रेक्ष्य' के अंतर्गत दो नए, विस्तृत प्रकरण जोड़े गए हैं।

Rajniti Vigyan Vishwakosh-Encyclopedia of Political Science

by O. P Guaba

‘राजनीति विज्ञान विश्वकोश’ का प्रस्तुत संस्करण एक तरह से नया लिखा गया है। इसकी बहुत सारी प्रविष्टियां नई हैं, और अधिकांश प्रविष्टियां नए ढंग से लिखी गई हैं। इस संस्करण के अंतर्गत राजनीति विज्ञान की मुख्य-मुख्य शाखाओं से जुड़े विषयों पर स्वाधीन तथा विस्तृत निबंध सम्मिलित किए गए हैं। जहां प्रस्तुत लेखक के ‘विवेचनात्मक राजनीति विज्ञान कोश’ (Conceptual Dictionary of Political Science) का प्रयोग एक व्यष्टि-विश्वकोश या ‘माइक्रोपीडिया’ (Micropedia) के रूप में किया जा रहा है, वहां ‘राजनीति विज्ञान विश्वकोश’ को समष्टि-विश्वकोश या ‘मैक्रोपीडिया’ (Macropedia) का रूप देने का प्रयत्न किया गया है। वैसे ये दोनों कृतियां अपने-आप में पूर्ण और एक-दूसरे से सर्वथा स्वाधीन हैं।

Rajnitik Samajshastra - Ranchi University N.P.U: राजनीतिक समाजशास्त्र - रांची युनिवर्सिटी, एन.पि.यू.

by B. L. Fadia Pukhraj Jain

राजनीतिक समाजशास्त्र साहित्य भवन पब्लिकेशन्स : आगरा ने पुस्तक हिन्दी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पाठपुस्तक में 'राजनीतिक समाजशास्त्र' को सहज और सुबोध भाषा-शैली में प्रस्तुत करने का विनम्र प्रयास है । इसमें विषय से सम्बद्ध सभी पक्षों, यथा-राजनीतिक संस्कृति, राजनीतिक विकास, राजनीतिक भर्ती, राजनीतिक सहभागिता, राजनीतिक समाजीकरण, राजनीतिक अभिजन, मतदान व्यवहार, राजनीतिक आधुनिकीकरण, राजनीतिक समाजशास्त्र का मार्क्सवादी उपागम, शक्ति, सत्ता एवं औचित्यपूर्णता की अवधारणा, राजनीतिक परिवर्तन या क्रान्ति आदि का विशद् विवेचन हुआ है ।

Rajnitik Siddhant class 11 - NCERT - 23: राजनीतिक सिद्धांत ११वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

राजनीतिक सिद्धांत 11वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने कक्षा ग्यारह के छात्रें के लिए इस वर्ष राजनीतिक सिद्धांत पर एक पृथक पाठ्यक्रम प्रारंभ किया है। पहले छात्र-छात्रएँ राजनीतिक विचार और सिद्धांतों से उदारवाद, मार्क्सवाद या फासीवाद जैसी विचारधाराओं के माध्यम से परिचित होते थे। स्वतंत्रता और समानता जैसी अवधारणाओं की चर्चा अप्रत्यक्ष रूप से और केवल तभी होती थी जब इन विचारधाराओं में उनका जिक्र आता था। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य कुछ उन विचारों और अवधारणाओं से परिचित करवाना है, जो विश्व की राजनीतिक विचारों की जीवंत परंपरा का हिस्सा है। इस पुस्तक रचना में एक ऐसा दृष्टिकोण अपनाया गया है, जिसमें छात्र-छात्रओं को सीखने की प्रक्रिया में ज्ञान के ग्राहक और सृजक दोनों भूमिकाओं में जाँचा और विकसित किया है। इसका उद्देश्य छात्र-छात्रओं को ‘राजनीतिक सिद्धांत’ करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

Ram Ki Agni Pariksha: राम की अग्निपरीक्षा

by Bhuwaneshwar Upadhyay

पौराणिक उपन्यास "मानवीय गुणों की चर्मोत्कर्ष गाथा : राम" बाल्मीकि रामायण की मूल प्रासंगिक घटनाओं को आधार बनाकर राम के जीवन चरित्र को उद्घाटित एवं विश्लेषित करने वाली एक औपन्यासिक रचना है। वैचारिक, मनोवैज्ञानिक, धार्मिक एवं समसमायिकता के मूल सिद्धांतों के आधार पर विभिन्न संवादों और चर्चाओं के माध्यम से इस कृति में रामयण की अनेक और महत्वपूर्ण घटनाओं को पुनः नये सिरे से परिभाषित करने का प्रयास किया है। इस उपन्यास की मुख्य विशेषता इसके तार्किक संवादों, नवीन प्रस्तुतिकरण, और विश्लेषणात्मकता है। जो पाठक को राम के जीवन को एक अलग दृष्टि से जानने और समझने के लिए प्रेरित करती है और मस्तिष्क में उभरे कई प्रश्नों के उत्तर भी देती है, जैसे कि राम की मानवीय जीवन यात्रा कैसे ईश्वरत्व तक पहुँच गई। कालखंड और उत्पन्न परिस्थितियाँ के मध्य स्थापित आदर्श मानवीय जीवन और उसके नैतिक मूल्यों को कैसे प्रभावित करते हैं? आदि... इस कृति में श्रीराम एक सहज और मर्यादित मानवीय जीवन जीते हुए केवल मर्यादापुरुषोत्तम ही नहीं, बल्कि एक ऐसे नायक बनकर उभरते हैं जो उपदेश नहीं देता और न आदेश, बल्कि अपने कठोर निर्णयों, त्याग और पुरुषार्थ के द्वारा उच्चादर्शों और मानवीय मूल्यों को अपनी जीवनशैली में शामिल किया और स्वयं आदर्श स्थापित किये।

Ram Ki Shakti Pooja

by Chhabil Meher

Like Nabhomani of Hindi literature, Suryakant Tripathi 'Nirala' is a poet-writer-essayist who always illuminates modern Hindi literature with its bright rays. He is a born poet who spells the word: 'Kavya: mantradashtar'. Poetry is his life and life is poetry.

Ramayana

by Om Book International

The Ramayana is a crucial part of Indian literature and is the story of Lord Rama's journey. The events that are described in the Ramayana are supposed to have been a part of our history and tell us about the importance of relationships and the duties that come with it.

Ramchandra Shukla Sanchayan

by Namwar Singh

There hasn’t been any other serious and independent critic in India. He has associated literature with social and emotional concerns of people and has presented the practical side of it.

Rana Hara Nahi

by Kiran Tamuli, Utpal Talukdar

किरण तामुली दवारा रचित यह पुस्तक एक लगंड़े बच्चे राणा की कहानी पर आधारित है। जिसमें अपने आत्मविश्वास के दवारा वह क्रिकेट मैच के साथ अपने जीवन की लड़ाई भी जीतता है। This book, written by Kiran Tamuli, is based on the story of a lame boy Rana. In which, he wins the battle of his life and the cricket match. through his confidence.

Rangbhoomi

by Premchand

A well crafted Novel with a blind man as the protagonist. The novelist depicts the whole society around him. The story revolves around the peasant society of Indian villages. Premchand treads the very tricky ground of tensions between the rulers and the ruled in this novel. Dialogues between the characters are as real as life and relevant till date in India.

Rangbhumi: रंगभूमि

by Premchand

कथा सम्राट प्रेमचंद (1880-1936) का पूरा साहित्य, भारत के आम जनमानस की गाथा है। विषय, मानवीय भावना और समय के अनंत विस्तार तक जाती इनकी रचनाएँ इतिहास की सीमाओं को तोड़ती हैं, और कालजयी कृतियों में गिनी जाती हैं। रंगभूमि (1924-1925) उपन्यास ऐसी ही कृति है। नौकरशाही तथा पूँजीवाद के साथ जनसंघर्ष का ताण्डव; सत्य, निष्ठा और अहिंसा के प्रति आग्रह, ग्रामीण जीवन में उपस्थित मध्यपान तथा स्त्री दर्दशा का भयावह चित्र यहाँ अंकित है। परतंत्र भारत की सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक समस्याओं के बीच राष्ट्रीयता की भावना से परिपूर्ण यह उपन्यास लेखक के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को बहुत ऊँचा उठाता है। देश की नवीन आवश्यकताओं, आशाओं की पूर्ति के लिए संकीर्णता और वासनाओं से ऊपर उठकर निःस्वार्थ भाव से देश सेवा की आवश्यकता उन दिनों सिद्दत से महसूस की जा रही थी। रंगभूमि की पूरी कथा इन्हीं भावनाओं और विचारों में विचरती है। कथानायक सूरदास का पूरा जीवनक्रम, यहाँ तक कि उसकी मृत्यु भी, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की छवि लगती है। सूरदास की मृत्यु भी समाज को एक नई संगठन-शक्ति दे गई। विविध स्वभाव, वर्ग, जाति, पेशा एवं आय वित्त के लोग अपनेअपने जीवन की क्रीड़ा इस रंगभूमि में किये जा रहे हैं। और लेखक की सहानुभूति सूरदास के पक्ष में बनती जा रही है। पूरी कथा गाँधी दर्शन, निष्काम कर्म और सत्य के अवलंबन को रेखांकित करती है। यह संग्रहणीय पुस्तक कई अर्थों में भारतीय साहित्य की धरोहर है।

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