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Samriddhi Ka Marg, Samriddhi Ke Aath Stambh, Bhagya Ki Maharat: समृद्धि का मार्ग, समृद्धि के आठ स्तंभ, भाग्य की महारत

by James Allen

समृद्धि का मार्ग, समृद्धि के आठ स्तंभ, भाग्य की महारत एक प्रेरक और विचारशील पुस्तक है, जो आत्म-संवर्धन और जीवन में संतुलन बनाने का रास्ता दिखाती है। जेम्स एलन ने इसे चार भागों में विभाजित किया है, जहां वे समृद्धि के सिद्धांत, आत्मनियंत्रण, आंतरिक शांति और सकारात्मक सोच के महत्व को रेखांकित करते हैं। पुस्तक यह सिखाती है कि विचारों की शक्ति और कर्म के सिद्धांतों को समझकर न केवल बाहरी सफलता, बल्कि आंतरिक शांति और स्थायी खुशी भी पाई जा सकती है। समृद्धि के आठ स्तंभों (ऊर्जा, अखंडता, प्रणाली, सहानुभूति आदि) पर विशेष जोर देते हुए यह मार्गदर्शन करती है कि कैसे हर व्यक्ति अपने जीवन को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। यह कृति मानसिक और आध्यात्मिक विकास की दिशा में प्रेरणा का स्रोत है।

Sanchayan Bhag 1 Class 9 - NCERT - 23: संचयन भाग-१ ९वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

संचयन भाग-1 9वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक संस्कृत भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में कुल चार पाठ हैं– इस पुस्तक में आज देश में संप्रदाय और असहिष्णुता की प्रवृत्ति के कारण हम भारतीय जीवन-मूल्यों तथा अपनी समन्वयवादी सामासिक संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। समुचित साहित्य की शिक्षा इस प्रवृत्ति को दूर करने और विद्यार्थियों में राष्ट्र के प्रति स्वस्थ अभिरुचि विकसित करने में एक प्रेरक साधन बन सकती है। इस दृष्टि से पाठ्य-सामग्री के चयन और संयोजन में निम्नलिखित बिंदुओं को केंद्र में रखा गया है, पठन-सामग्री ऐसी हो जिसके माध्यम से विद्यार्थी लोक-परंपरा, साहित्य, कला, विज्ञान, समाज आदि के क्षेत्र में अपनी सांस्कृतिक विरासत से परिचित हों और उसके प्रति उनमें सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हो। विधागत पाठ्य-सामग्री के चयन में रोचकता और विविधता का विशेष रूप से ध्यान रखा गया है।

Sanchayan Bhag 1 class 9 - NCERT: संचयन भाग 1 कक्षा 9 - एनसीईआरटी

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

संचयन भाग 1 9वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक संस्कृत भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में कुल छह पाठ हैं – इस पुस्तक में आज देश में संप्रदाय और असहिष्णुता की प्रवृत्ति के कारण हम भारतीय जीवन-मूल्यों तथा अपनी समन्वयवादी सामासिक संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं । समुचित साहित्य की शिक्षा इस प्रवृत्ति को दूर करने और विद्यार्थियों में राष्ट्र के प्रति स्वस्थ अभिरुचि विकसित करने में एक प्रेरक साधन बन सकती है । इस दृष्टि से पाठ्य-सामग्री के चयन और संयोजन में निम्नलिखित बिंदुओं को केंद्र में रखा गया है, पठन-सामग्री ऐसी हो जिसके माध्यम से विद्यार्थी लोक-परंपरा, साहित्य, कला, विज्ञान, समाज आदि के क्षेत्र में अपनी सांस्कृतिक विरासत से परिचित हों और उसके प्रति उनमें सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हो । विधागत पाठ्य-सामग्री के चयन में रोचकता और विविधता का विशेष रूप से ध्यान रखा गया है।

Sanchayan Bhag 2 class 10 - NCERT: संचयन भाग 2 10वीं कक्षा - एनसीईआरटी

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

संचयन भाग 2 10वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक संस्कृत भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में कुल तीन पाठ हैं – इस पुस्तक में आज देश में संप्रदाय और असहिष्णुता की प्रवृत्ति के कारण हम भारतीय जीवन-मूल्यों तथा अपनी समन्वयवादी सामासिक संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं । समुचित साहित्य की शिक्षा इस प्रवृत्ति को दूर करने और विद्यार्थियों में राष्ट्र के प्रति स्वस्थ अभिरुचि विकसित करने में एक प्रेरक साधन बन सकती है । इस दृष्टि से पाठ्य-सामग्री के चयन और संयोजन में निम्नलिखित बिंदुओं को केंद्र में रखा गया है, पठन-सामग्री ऐसी हो जिसके माध्यम से विद्यार्थी लोक-परंपरा, साहित्य, कला, विज्ञान, समाज आदि के क्षेत्र में अपनी सांस्कृतिक विरासत से परिचित हों और उसके प्रति उनमें सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हो । विधागत पाठ्य-सामग्री के चयन में रोचकता और विविधता का विशेष रूप से ध्यान रखा गया है।

Sanchayan Bhag-2 class 10 - NCERT - 23: संचयन भाग-२ १०वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

इस पुस्तक में कहानी, आत्मकथा एवं उपन्यास अंश को स्थान दिया गया है। इस पाठ्यपुस्तक मे लोक-परंपरा, साहित्य, कला, विज्ञान, समाज आदि के क्षेत्र में अपनी सांस्कृतिक विरासत से परिचित होंगी और उसके प्रति उनमें सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होगा। कहानी, आत्मकथ्य अंश और उपन्यास अंश को लिया गया है।

Sangeet Ke Gharano Ki Charcha: संगीत के घरानों की चर्चा

by Dr Sushil Kumar Chaubey

संगीत के घरानों की चर्चा डॉ. सुशील कुमार चौबे द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत की विभिन्न परंपराओं और घरानों पर गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है। पुस्तक में ध्रुपद, ख्याल, ठुमरी, और कथक नृत्य सहित विभिन्न संगीत शैलियों का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अध्ययन किया गया है। यह घरानों की उत्पत्ति, उनके विकास, तथा महान संगीतज्ञों की योगदान को दर्शाती है, जिससे भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा स्पष्ट होती है। इसमें ग्वालियर, आगरा, जयपुर, लखनऊ, सहसवान, अतरौली और अन्य प्रतिष्ठित घरानों की विशिष्टताओं को विस्तार से समझाया गया है। डॉ. चौबे ने यह भी स्पष्ट किया है कि किस प्रकार गुरु-शिष्य परंपरा ने घरानों की परंपरा को जीवित रखा। यह पुस्तक न केवल संगीत शोधार्थियों और विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि संगीत प्रेमियों को भी भारतीय शास्त्रीय संगीत की विविधताओं और परंपराओं की गहरी समझ प्रदान करती है।

Sangeet Shastra Darpan Pratham Bhag class 9 and class 10 - Himachal Pradesh Board: संगीत शास्त्र दर्पण प्रथम भाग कक्षा ९ एवं कक्षा १० - हिमाचल प्रदेश बोर्ड

by Shanti Govardhan

“संगीत शास्त्र दर्पण प्रथम भाग” हिमाचल प्रदेश बोर्ड के कक्षा 9 और कक्षा 10 के छात्रों के लिए शांति गोवर्धन द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक पुस्तक है। यह पुस्तक भारतीय शास्त्रीय संगीत के मौलिक सिद्धांतों और तकनीकों का व्यापक वर्णन करती है। इसमें संगीत की प्राथमिक अवधारणाएँ जैसे स्वर, ताल, राग, और बंदिश को सरल और सुलभ भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिससे छात्र आसानी से समझ सकें। पुस्तक में रागों की संरचना, उनकी विशेषताएँ और उनकी प्रस्तुति के तरीके पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके साथ ही, तालों के प्रकार और उनकी गिनती, स्वर और ताल के बीच के संबंध, और भारतीय शास्त्रीय संगीत की संस्कृति का भी विस्तृत विवरण दिया गया है। लेखक ने संगीत के इन तत्त्वों को सजीव उदाहरणों और प्रायोगिक दृष्टिकोण से समझाया है, जिससे यह पुस्तक न केवल सिद्धांतों की जानकारी देती है बल्कि छात्रों को संगीत के प्रति गहरी समझ और रुचि भी विकसित करती है। यह पुस्तक हिमाचल प्रदेश बोर्ड की पाठ्यक्रम सामग्री के अनुरूप तैयार की गई है और छात्रों को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा में एक मजबूत नींव प्रदान करती है। इसमें दिए गए अध्याय और अभ्यास छात्रों को परीक्षा के लिए भी अच्छी तरह से तैयार करते हैं। "संगीत शास्त्र दर्पण प्रथम भाग" कक्षा 9 और 10 के छात्रों के लिए एक आदर्श शैक्षणिक संसाधन है, जो उन्हें संगीत की जटिलताओं को समझने में सहायता करता है और उनकी शैक्षणिक यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

Sangram: संग्राम

by Premchand

"संग्राम" प्रेमचंद की एक प्रमुख कृति है, जो भारतीय समाज में व्याप्त सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को उजागर करती है। इस उपन्यास में प्रेमचंद ने भारतीय समाज के निम्न वर्ग के संघर्षों और उनके जीवन की कठिनाइयों का संवेदनशील चित्रण किया है। कहानी उन गरीब और दबे-कुचले लोगों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो समाज में सम्मान और समानता की खोज में संघर्षरत हैं। प्रेमचंद ने इस उपन्यास के माध्यम से जाति व्यवस्था और शोषण के कुप्रभावों को बारीकी से दर्शाया है, जहां उच्च वर्ग के लोग अपने स्वार्थ और सत्ता के बल पर निम्न वर्ग का शोषण करते हैं। उपन्यास के पात्र सामाजिक अन्याय और आर्थिक शोषण के खिलाफ संघर्ष करते हुए दिखाए गए हैं, जो अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ते हैं। "संग्राम" में प्रेमचंद ने समाज में व्याप्त असमानताओं और जातिगत भेदभाव पर करारी चोट की है, और यह संदेश दिया है कि समाज में न्याय और समानता की स्थापना के बिना विकास संभव नहीं है। प्रेमचंद का यह उपन्यास सामाजिक सुधार की आवश्यकता और समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसरों और सम्मान की अनिवार्यता पर बल देता है। "संग्राम" न केवल सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रेमचंद की लेखनी की गहराई और उनकी समाज के प्रति प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। यह उपन्यास पाठकों को सामाजिक न्याय और समानता के संघर्ष के प्रति जागरूक करता है और उन्हें समाज में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है।

Sanjeev Ki Katha-Yatra Doosra Parav: संजीव की कथा-यात्रा-दूसरा पडाव

by Sanjeev

कैसे कहें कि कहानी सीप के कीड़े द्वारा मोती रचने जैसा कर्म है, कैसे कहें कि कहानी कुम्हार द्वारा घड़ा या मूर्तियाँ बनाने जैसा उद्यम है, कैसे कहें कि कहानी किसान द्वारा फसल पैदा करने या गायक द्वारा राग साधने जैसा श्रम है। कितने नदी-नालों, गड़हों, समुद्र या अन्य स्रोतों के जल-सा उसके अवयव अणु-अणु घटनाओं, पात्रों, चरित्रों, संवेदनाओं आदि रूप में बादलों की तरह आकार लेते हैं, कभी उड़ जाते हैं और कभी संघनित होकर बूंद-बूंद बरसते हैं, कभी कोहरा, कभी शबनम, कभी रिमझित तो कभी धार-धार...!

Sanjeev Ki Katha-Yatra Pahala Parav: संजीव की कथा-यात्रा पहला पड़ाव

by Sanjeev

प्रस्तुत कहानियाँ तीस वर्षों के आज़ाद भारतीय मानस के कैनवस पर उभरे आर्थिक, नैतिक, राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक यथार्थ की शिनाख्त हैं। सच समझना बड़ा दुष्कर है, बोलना और भी दुष्कर और सच को झेलना सबसे दुष्कर। कहानी मेरे लिए मौज-मस्ती का अंग नहीं है जो गुदगुदा सके। जहाँ ज़ख्म और फफोले हैं, वहाँ सोच को भटकाना मैं जघन्य अपराध मानता हूँ अतः उस तरह के अफ़ीम के व्यापारियों से हमारी राह अलग है। अगर ज़ख्म रिसते हैं तो इस हक़ीक़त को छुपाना, कराह और आक्रोश के कण्ठस्वर को रोकना, आत्मघात और कायरता है। इसीलिए निदान के लिए सभी तरह के तर्कसंगत प्रयासों को जुबान देना मैंने अपना फ़र्ज़ समझा है।

Sanjeev Ki Katha-Yatra Teesra Parav: संजीव की कथा-यात्राः तीसरा पड़ाव

by Sanjeev

महाकाल और महाकाली मेरे लिए आस्तिकता के पर्याय नहीं, समय और शक्ति की द्वंद्वात्मकता के प्रतीक हैं, आततायियों के विनाश के बाद सूजन की ओर लौट चलने की अनुप्रेरणा ही मेरे लिए जीवन संघर्षों का सार है।

Sanki Katil: सनकी कातिल

by James Hadley Chase

"सनकी कातिल" जेम्स हेडली चेज़ द्वारा लिखी गई एक रहस्यमय और रोमांचक थ्रिलर उपन्यास है। इस कहानी का मुख्य पात्र ग्लोरी नाम की एक महिला है, जो एक जटिल और खतरनाक स्थिति में फंस जाती है। कहानी की शुरुआत ग्लोरी के जीवन से होती है, जो अपने प्रेमी हैरी ग्रीन के साथ रह रही होती है। हैरी, एक पायलट है, जिसकी नौकरी चली जाती है, और वह अपराध की दुनिया में कदम रखने का फैसला करता है। उसकी योजना एक बड़े हीरे की चोरी की होती है, जिसमें वह ग्लोरी को भी शामिल करना चाहता है। ग्लोरी के पास एक खतरनाक अतीत है, जिसमें उसका संबंध बेन डेलानी नामक एक कुख्यात अपराधी से रहा है। जब हैरी ग्लोरी से मदद की उम्मीद करता है, तो वह उलझन में पड़ जाती है। हैरी का सनकीपन और जोखिम लेने की प्रवृत्ति ग्लोरी के लिए चिंता का कारण बन जाती है, लेकिन वह अपने प्यार के कारण उसे रोकने में असमर्थ होती है। कहानी में कई मोड़ और रहस्य शामिल हैं, जहां ग्लोरी को अपने प्रेम और अपने अतीत के बीच झूलना पड़ता है। उपन्यास में अपराध, धोखा, और प्रेम के जटिल संबंधों को बेहद सजीव तरीके से प्रस्तुत किया गया है, जिससे यह कहानी पाठकों को अंत तक बांधे रखती है।

Sanrakshan Shastra (Karyapustika) class 9 - Maharashtra Board: संरक्षण शास्त्र (कार्यपुस्तिका) ९वीं कक्षा - महाराष्ट्र बोर्ड

by Maharashtra Rajya Pathyapustak Nirmiti Va Abhysakram Sanshodhan Mandal Pune

'संरक्षण शास्त्र' महाराष्ट्र बोर्ड की कक्षा 9 की कार्यपुस्तिका है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, सैन्य बलों, आंतरिक सुरक्षा, और आपदा प्रबंधन पर केंद्रित है। यह पुस्तक भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस संगठनों की संरचना, कार्य और उनकी भूमिका को स्पष्ट करती है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा, बाहरी चुनौतियाँ, भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंध, समुद्री सुरक्षा, और साइबर सुरक्षा जैसे विषयों को शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त, यह कार्यपुस्तिका रक्षा सेवाओं में करियर के अवसरों, सेना में भर्ती प्रक्रिया, और सैन्य बलों में महिलाओं की भागीदारी पर भी प्रकाश डालती है। छात्रों को व्यावहारिक अनुभव देने के लिए चर्चा, क्षेत्रभ्रमण, साक्षात्कार, और भूमिका अभिनय जैसे उपक्रम भी सम्मिलित किए गए हैं। अध्ययन-अध्यापन की दृष्टि से इसमें महत्वपूर्ण विषयों की समीक्षा, परियोजनाएँ, मानचित्र अध्ययन, और सुरक्षा रणनीतियों पर गहन विश्लेषण प्रदान किया गया है। राष्ट्रीय एकता, देशभक्ति, और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने पर बल दिया गया है, जिससे विद्यार्थी देश की सुरक्षा और सामाजिक जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से समझ सकें।

Sansadhan Avam Vikas Class 8 - NCERT - 23: संसाधन एवं विकास ८वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

कक्षा 8 के लिए भूगोल की पाठ्यपुस्तक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् इस पुस्तक की रचना के लिए बनाई गई पाठ्यपुस्तक निर्माण समिति के परिश्रम के लिए कृतज्ञता व्यक्त करती है। परिषद् सामाजिक विज्ञान पाठ्यपुस्तक सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर हरि वासुदेवन और इस पाठ्यपुस्तक समिति की मुख्य सलाहकार विभा पार्थसारथी की विशेष आभारी है। इस पाठ्यपुस्तक के विकास में कई शिक्षकों ने योगदान दिया, इस योगदान को संभव बनाने के लिए हम उनके प्राचार्यों के आभारी हैं। उन सभी संस्थाओं और संगठनों के प्रति कृतज्ञ हैं जिन्होंने अपने संसाधनों, सामग्री और सहयोगियों की मदद लेने में हमें उदारतापूर्वक सहयोग दिया।

Sanshipt Budhcharit class 8 - NCERT - 23: संक्षिप्त बद्धचरित ८वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

संक्षिप्त बुद्धचरित कक्षा 8 के लिए हिंदी की पूरक पाठ्यपुस्तक। यह पुस्तक बुद्धचरित 28 सर्गों में था जिसमें 14 सर्गों तक बुद्ध के जन्म से बुद्धत्व-प्राप्ति तक का वर्णन है। किन्तु बुद्धचरितम् मूल रूप में अपूर्ण ही उपलब्ध है। 28 सर्गों में विरचित इस महाकाव्य के दूसरे सर्ग से लेकर तेरहवें सर्ग तक पूर्ण रूप से तथा पहला एवं चौदहवाँ सर्ग के कुछ अंश ही मिलते हैं।

Sanshipt Budhcharit class 8 - NCERT: संक्षिप्त बुद्धचरित कक्षा 8 - एनसीईआरटी

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

संक्षिप्त बुद्धचरित कक्षा 8 के लिए हिंदी की पूरक पाठ्यपुस्तक। यह पुस्तक विद्यालयी शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा - 2000 और इस रूपरेखा के अनुरूप तैयार किए गए पाठ्यक्रम पर आधारित है। एन.सी.ई.आर.टी. की कार्यकारिणी समिति की दिनांक 19 जुलाई 2004 को आयोजित बैठक में पाठ्यपुस्तकों की गुणवत्ता से संबंधित सभी पहलुओं पर चर्चा की गई और यह निर्णय लिया गया कि सभी विषयों की पाठ्यपुस्तकों की शीघ्र ही समीक्षा की जाए। इस निर्णय का अनुपालन करते हुए एन.सी.ई.आर.टी. ने सभी पाठ्यपुस्तकों के परीक्षण के लिए 23 त्वरित समीक्षा समितियों का गठन किया। इन समितियों ने संकल्पनात्मक, तथ्यात्मक तथा भाषा संबंधी विविध अशुद्धियों की पहचान की। समीक्षा की इस प्रक्रिया में पहले किए गए पाठ्यपुस्तकों के मूल्यांकन को भी ध्यान में रखा गया। यह प्रक्रिया अब पूर्ण हो चुकी है और पाई गई अशुद्धियों का सुधार कर दिया गया है। हमें आशा है कि पुस्तक का यह संशोधित संस्करण शिक्षण व अधिगम का प्रभावी माध्यम सिद्ध होगा। इस पुस्तक की गुणवत्ता में और अधिक सुधार के लिए हमें आपके सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी।

Sanskrit Manorama class 8 - S.C.E.R.T. Raipur - Chhattisgarh Board: संस्कृत मनोरमा कक्षा 8 - एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर - छत्तीसगढ़ बोर्ड

by Raipur C. G. Rajya Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

संस्कृत मनोरमा पाठ्यपुस्तक कक्षा 8वी का राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् छत्तीसगढ़ रायपुर ने संस्कृत भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पाठ्यपुस्तक में गद्य, पद्य, कथा, संवाद, नीति श्लोक, सुभाषित तथा सूक्ति पाठों को समामेलित किया गया है। पाठ्यपुस्तक में बच्चों की रुचि एवं आवश्यकताओं, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय अवधारणाओं के अनुरुप विषय वस्तुओं का समायोजन किया गया है। बच्चों में सत्य, ममता, बड़ों के प्रति आदर, क्षमा, धैर्य, त्याग, परोपकार, स्वावलम्बन, आत्मविश्वास, कर्त्तव्यनिष्ठा, सहिष्णुता, अपरिग्रह, राष्ट्रीय एकता, विश्वबन्धुत्व, सांस्कृतिक-एकता आदि जीवन मूल्यों को विकसित करने की दृष्टि से पाठ्यवस्तु में समाहित किया गया है।

Sanskrit Shiksha Samanya Vigyan class 11 - RBSE Board: संस्कृत शिक्षा सामान्य विज्ञान 11वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड

by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer

संस्कृत शिक्षा सामान्य विज्ञान यह पुस्तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर द्वारा स्वीकृत नए पाठ्यक्रम अनुसार संस्कृत शिक्षा के लिए कक्षा ग्यारह (उपाध्याय) के लिए विज्ञान विषय के लिए सरल भाषा में लिखी गयी है । विषय सामग्री को सुरूचि पूर्ण एवं बोधगम्य बनाने के लिए यथा संभव चित्रों तथा सारिणियों का समायोजन किया गया है l इस पुस्तक में कक्षा के स्तर, विषय की आवश्यकताएँ तथा समान स्तर की प्रतियोगिता परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए विषय सामग्री समायोजित की गई है । यथा संभव तकनीकी शब्दों का अंग्रेजी रूपांतरण भी दिया गया है । जहाँ आवश्यकता हुई संबंधित वैज्ञानिक नाम भी देने का प्रयास किया गया है । विषय जानकारी की दृष्टि से महत्वपूर्ण बिन्दु, वस्तुनिष्ठ, अतिलघूत्तरात्मक, लघूत्तरात्मक एवं निबन्धात्मक प्रश्नों का समावेश अध्यायों के अन्त में किया गया है ।

Sanskritik Rashtravad Ke Agradoot Pt. Deendayal Upadhyaya: सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अग्रदूत पं. दीनदयाल उपाध्याय

by Dr Guptisagarji Gurudev

पं. दीनदयाल उपाध्याय बीसवीं शताब्दी को अपने विलक्षण व्यक्तित्व, अपरिमेय कर्तृत्व एवं क्रांतिकारी दृष्टिकोण से प्रभावित करनेवाले युगद्रष्टा ऋषि, महर्षि एवं ब्रह्मर्षि थे। उपाध्यायजी के पुरुषार्थी जीवन की सबसे बड़ी पहचान है गत्यात्मकता। वे अपने जीवन में कभी कहीं रुके नहीं, झुके नहीं। यही कारण है कि समस्त प्रतिकूलताओं के बीच भी उन्होंने अपने लक्ष्य के दीप को सुरक्षित रखते हुए उदभासित किया। उन्होंने राष्ट्र-प्रेम को सर्वोच्च स्थान देने के साथ-साथ, शिक्षा, साहित्य, शोध, सेवा, संगठन, संस्कृति, साधना सभी के साथ जीवन-मूल्यों को तलाशा, उन्हें जीवन-शैली से जोड़ा। इस पुस्तक में पंडितजी को एक ऐसे राजनेता के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिन्होंने न केवल स्वयं भारत को भारत के दृष्टिकोण से जानने-समझने-देखने की दृष्टि विकसित की, अपितु दूसरों को भी वैसी ही संदृष्टि प्रदान की। भारत की चिति एवं प्रकृति के मौलिक एवं सूक्ष्म द्रष्टा थे 'पं. दीनदयाल उपाध्यायजी, जिन्होंने सही अर्थों में व्यष्टि एवं समष्टि के चिरंतन सत्य एवं सदियों के अनुभव का साक्षात्कार कर, एक ऐसे उदबोध को प्रवृत्त किया, जिसका स्पंदन भारत की माटी में समाहित है। यह कृति “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अग्रदूत: पं. दीनदयाल उपाध्याय” पंडितजी के विचार पाथेय को जन-जन तक पहुँचाने में निमित्त बनेगी और भारतीय संस्कृति के बिंब, जन-संस्कृति के रूप में वैश्विक धरातल पर नई चेतना को स्फूर्त करेगी; ऐसा दृढ़ विश्वास है।

Santaptbhumi Berunda Rachna - Arnayam Ka Rakshak: संतप्तभूमि बेरुंडा रचना: एर्यनम का रक्षक

by Bhanupratap Yadav 'Shubharambh'

रामायण काल की एक घटना जो इतिहास के पन्नों से मिट चुकी है, जिसने क्रूरता और षड्यंत्र की सारी सीमाएँ लांघकर रच दिया था एक रक्त रंजित इतिहास। यह कहानी है इतिहास के अंधकार में खो चुके एक विशाल साम्राज्य की। एक घटना और जिसके पीछे छिपा हुआ है भयावह रहस्य जो आने वाले समय में शापित भूमि एर्यनम को फिर से पुनर्जीवित कर देने वाला था। इस सन्तप्तभूमि के उद्धार हेतु अवतरित हुआ वह योद्धा, जो कहलाया एर्यनम का रक्षक। जागृत हो चुके हैं ग्यारह हज़ार वर्षों तक मृत पड़े दानवीय योद्धा। तो क्या प्रारंभ हो चुका है एक और विध्वंस? लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न क्या एर्यनम का रक्षक कर पायेगा इन सभी दुष्टों का संहार और बचा पायेगा अपनी मातृभूमि को? एक महागाथा, संतप्तभूमि बेरुंडा रचना (चतुर्थांश) की पहली कड़ी- एर्यनम का रक्षक (विलुप्त एर्यनम साम्राज्य की महागाथा)

Sanvruddhi Aur Vikas Ko Sugam Banana-2 NES-102 - IGNOU

by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalaya

एन ई एस – 102 संवृद्धी एवं विकास को सुगम बनाना खंड 2 इस पाठ्यक्रम में बच्चो के विकास को प्रभावित करने वाली समस्याओं के विषयों पर चर्चा की गई है। इस खंड में शिक्षक एवं माता-पिता के रूप में बच्चो की विशेष क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए बच्चो के विकास में वह किस प्रकार सहायक सिद्ध हो सकते है इस पर प्रभाव डाला गया है। उनकी योग्यताओं के प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन के तरीके और उपाय भी सुझाए गए है। बच्चो के विकास में होने वाले विभिन्न प्रकार के खेलो से संबंधित कार्यकलापों इस खंड में बताया गया है।

Sanyasi Jisne Apni Sampatti Bech Di: संन्यासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी

by Robin Sharma

“अपनी भावनाओं का अनुकरण करने और अपने स्वप्नों के अनुरूप जीने के लिए अर्न्तदृष्टि से परिपूर्ण. एक अच्छी पठनीय पुस्तक.” संन्यासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी रॉबिन शर्मा की एक स्वयं सहायता पुस्तक है, जो एक लेखक और प्रेरक वक्ता हैं। अपने सपनों को पूरा करने और भाग्य का निर्माण करने की कथा। यह पुस्तक 25 साल की उम्र में एक मुकदमेबाजी वकील के रूप में अपना करियर छोड़ने के बाद शर्मा के व्यक्तिगत अनुभवों से ली गई एक व्यावसायिक कहानी है।

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