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Pratinidhi Kahaniyan-Amarkant
by अमरकांतअमरकांत की कहानियों में मध्यवर्ग, विशेषकर निम्न-मध्यवर्ग के जीवनानुभवों और जिजीविषाओं का बेहद प्रभावशाली और अन्तरंग चित्रण मिलता है ! अक्सर सपाट-से नजर आनेवाले कथ्यों में भी वे अपने जिवंत मानवीय संस्पर्श के कारण अनोखी आभा पैदा कर देते हैं ! सहज-सरल रूपबंधवाली ये कहानियां जिंदगी की जटिलताओं को जिस तरह समेटे रहती हैं, कभी-कभी उससे चकित रह जाना पड़ता है ! लेकिन यह अमरकांत की ख़ास शैली है ! अमरकांत के व्यक्तित्व की तरह उनकी भाषा में भी एक ख़ास किस्म की फक्कड़ता है ! लोक-जीवन के मुहावरों और देशज शब्दों के प्रयोग से उनकी भाषा में माटी का सहज स्पर्श तथा ऐसी सोंधी गंध रच-बस जाती है जो पाठकों को किसी छदम उदात्तता से परे, बहुत ही निजी लोक में, ले जाती है ! उनमे छिपे हुए व्यंग्य से सामान्य स्थितियाँ भी बेहद अर्थव्यंजक हो उठती हैं ! अमरकांत के विभिन्न कहानी-संग्रहों में चरित्रों का विशाल फलक ‘जिन्दगी और जोंक’से लेकर ‘मित्र मिलन’ तक फैला हुआ है ! उन्ही संग्रहों की लगभग सब चर्चित कहानियां एक जगह एकत्र होने के कारण इस संकलन की उपादेयता निश्चित रूप से काफी बढ़ गई है !
Pratinidhi Kahaniyan-Shekhar Joshi
by Shekhar Joshiशेखर जोशी की कहानियों में शिल्प और संवेदना के अंतर्संबंधो की सुरम्य रचना के साथ जीवन और समाज के सहज उन्नयन एवं परिवर्तनकारी दृष्टि के प्रति दायित्वबोध साफ़ दृष्टिगोचर होता है ! कथात्मक गठन में भाषा के सूक्ष्म उपयोग का उन जैसा आधुनिक बोध हिन्दी कहानी में अपरिचित है ! अत्यन्त सहज और ठंडी भाषा के माध्यम से ए कहानियाँ हमारे समक्ष जिस यथार्थ का उद्घाटन करती हैं, उसके पीछे समकालीन जन-जीवन की बहुविध विडम्बनाओं को महसूस किया जा सकता है ! सपनों की वास्तविकता से अपरिचित बच्चों की ख़ुशी हो या बिरादरी की दलदल में फँसे व्यक्ति की मनोदशा-लेखकीय दृष्टि उन्हें एक अर्थ-गाम्भीर्य से भर देती है ! उसके पास आदर्शवादी निर्णय हैं तो उनके सामने खड़ा कठोर और भयावह यथार्थ भी है ! वस्तुतः शेखर जोशी की ये कहानियाँ बिना किसी शोर-शराबे के हमारी सोच के विभिन्न स्तरों को स्पर्श और झंकृत करनेवाले रचनात्मक गुणों से परिपूर्ण हैं !
Vaishnav Ki Phisalan: वैष्णव की फिसलन
by Harishankar Parsaiवैष्णव की फिसलन हरिशंकर परसाई ‘वैष्णव की फिसलन’ प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की श्रेष्ठ रचनाओं का संकलन है। इस संग्रह की व्यंग्य रचनाएँ यह स्थापित करने में कामयाब हैं कि जीवन की श्रेष्ठ आलोचना की संज्ञा व्यंग्य है। सहज ढंग से चुभती हुई भाषा में ये व्यंग्य रचनाएँ अपनी बात कहते हुए गहरी चोट कर जाती हैं। इस व्यंग्य-संग्रह की रचनाओं की सफलता के पीछे जो सबसे बड़ी चीज़ है वह है - लेखक की पैनी दृष्टि, जिससे छुपकर भी कुछ भी छुपा नहीं रह जाता और अव्यक्त भी व्यक्त होने लगता है। यह संग्रह चिन्ताओं का नहीं चिन्तन का संग्रह है, और यह लेखक की कुशलता ही है कि इसे वह विचार और संवेदना के सामंजस्य से कर पाया है। ‘वैष्णव की फिसलन’ में संकलित रचनाएँ हमारे आसपास की ज़िन्दगी को उघाड़कर इस प्रकार सामने रख देती हैं कि ऊपर से सीधी-सादी दिखनेवाली घटनाएँ और स्थितियाँ नए अर्थ देने लगती हैं, उनके अन्तर्निहित आशय उजागर हो उठते हैं। इस संग्रह की रचनाएँ आज के जीवन की विसंगतियों और विरूपताओं, अवरोधों और कुंठाओं पर चोट करती हैं और बताती हैं कि विसंगति के विरुद्ध क़लम कैसे तलवार का काम करती है।
Kabeer (Kabeer Ke Vyaktitva, Sahitya Aur Darshanik Vicharonki Aalochana) – Ranchi University N.P.U: कबीर (कबीर के व्यक्तित्व, साहित्य और दार्शनिक विचारों की आलोचना) - रांची युनिवर्सिटी, एन.पि.यू.
by Hazari Prasad Dwivediकबीर (कबीर के व्यक्तित्व, साहित्य और दार्शनिक विचारों की आलोचना) यह पुस्तक राजकमल प्रकाशन ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में कबीरदास जिस सहज-समाधि की बात कहते हैं वह योगमार्ग से असम्मत नहीं है। यहाँ यह भी कह रखना जरूरी है कि पुस्तक में भिन्न-भिन्न साधन-मार्गों के ऐतिहासिक विकास की ओर ही अधिक ध्यान दिया गया है। पुस्तक के अंत में उपयोगी समझकर ‘कबीर-वाणी’ नाम से कुछ चुने हुए पद्य संग्रह किए गए हैं। उनके शुरू के सौ पद श्री आचार्य क्षितिमोहन सेन के संग्रह के हैं। पुस्तक के इस संस्करण में यथासंभव संशोधन किया गया है। पुस्तक लंबी प्रतीक्षा के उपरांत पाठकों के समक्ष आ रही है।
Maila Aanchal: मैला आँचल
by Phanishwar Nath Renuयह है मैला आँचल, एक आंचलिक उपन्यास। कथानक है पूर्णिया। पूर्णिया बिहार राज्य का एक जिला है; इसके एक ओर है नेपाल, दूसरी ओर पाकिस्तान और पश्चिम बंगाल। विभिन्न सीमा-रेखाओं से इसकी बनावट मुकम्मल हो जाती है, जब हम दक्खिन में सन्थाल परगना और पच्छिम में मिथिला की सीमा रेखाएँ खींच देते हैं। मैंने इसके एक हिस्से के एक ही गाँव को- पिछड़े गाँवों का प्रतीक मानकर इस उपन्यास-कथा का क्षेत्रा बनाया है। इसमें फूल भी हैं शूल भी, धूल भी है, गुलाब भी, कीचड़ भी है, चन्दन भी, सुन्दरता भी है, कुरूपता भी - मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। कथा की सारी अच्छाइयों और बुराइयों के साथ साहित्य की दहलीज पर आ खड़ा हुआ हूँ; पता नहीं अच्छा किया या बुरा। जो भी हो, अपनी निष्ठा में कमी महसूस नहीं करता।
Kasap: कसप
by Manohar Shyam Joshiइस उपन्यास में मध्यवर्गीय जीवन की टीस को अपने पंडिताऊ परिहास में ढालकर एक प्राध्यापक ने मानवीय प्रेम को स्वप्न और स्मृत्याभास के बीचोबीच ‘फ्रीज’ कर दिया है। 1910 के काशी से लेकर 1980 के हॉलीवुड तक की अनुगूँजों से भरा, गँवई, अनाथ, भावुक साहित्य-सिनेमा अनुरागी लड़के और काशी के समृद्ध शास्त्रियों की सिरचढ़ी, खिलन्दड़, दबंग लड़की के संक्षिप्त प्रेम की विस्तृत कहानी सुनानेवाला यह उपन्यास एक विचित्र-सा उदास-उदास, मीठा-मीठा-सा प्रभाव मन पर छोड़ता है। ऐसा प्रभाव जो ठीक कैसा है, यह पूछे जाने पर एक ही उत्तर सूझता है – ‘कसप!… और कुमाऊँनी में ‘कसप’ का मतलब होता है – ‘पता नहीं!’
Apsara: अप्सरा
by Suryakant Tripathi 'Nirala'अप्सरा 'निराला' की कथा-यात्रा का प्रथम सोपान हैं। अप्सरा-सी सुन्दर और कला-प्रेम में डूबी एक वीरांगना की यह कथा हमारे हृदय पर अमिट प्रभाव छोड़ती है। अपने व्यवसाय से उदासीन होकर वह अपना हृदय एक कलाकार को दे डालती है और नाना दुष्चक्रों का सामना करती हुई अंततः अपनी पावनता को बनाए रख पाने में समर्थ होती है। इस प्रक्रिया में उसकी नारी सुलभ कोमलताएँ तो उजागर होती ही हैं, उसकी चारित्रिक दृढ़ता भी प्रेरणाप्रद हो उठती है। इस उपन्यास में तत्कालीन भारतीय परिवेश और स्वाधीनता-प्रेमी युवा वर्ग की दृढ़ संकल्पित मानसिकता का चित्रण हुआ है, जो कि महाप्राण निराला की सामाजिक प्रतिवद्धता का एक ज्वलंत उदाहरण है।
Rag Darbari
by Srilal ShuklaA great novel by Srilal shukla for which he got the sahitya akademi award in 1970. In rag darbari the valuelessness of moden life is shown while comparing it with the rural life.
Apradh Aur Dand: अपराध और दंड
by Fyodor Dostoyevsky'अपराध और दंड' लेखक के सभी उपन्यासों में सबसे आसानी से पढ़ा जा सकनेवाला उपन्यास है। यद्यपि समझने की दृष्टि से यह एक कठिन और गूढ़ रचना है। इस उपन्यास को लेकर प्रचलित धारणाएँ अपेक्षाकृत सरलीकृत हैं, जिनमें सारा ध्यान उसकी अन्तर्वस्तु के किसी एक पहलू पर केन्द्रित किया जाता है। मसलन, 'अपराध और दंड' को प्राय: एक क़िस्म का 'फ़ौजदारी' उपन्यास माना जाता है अथवा उसे कोरी राजनीतिक कृति समझा जाता है, जो तथाकथित निषेधवादियों अर्थात गत शती के सातवें दशक के विप्लवी और क्रान्तिकारी विचारमना रूसी युवाजन के विरुद्ध लक्षित है। निस्सन्देह, उपन्यास में ये सभी बातें किसी-न-किसी हद तक मौजूद हैं। दोस्तोयेव्स्की ने हत्यारे की मनोदशा का सूक्ष्मतम, बेजोड़ कलात्मक 'विश्लेषण' किया था। इस बात में भी कोई सन्देह नहीं कि उपन्यास रूसी निषेधवाद से गहरे रूप से सम्बन्धित है। इसी तरह इसमें तनावपूर्ण नैतिक-दार्शनिक मर्म भी भरपूर है। लेकिन मूल बात कुछ और ही है। दोस्तोयेव्स्की के उपन्यासों के मूलाधार में विचार-मानव यानी ऐसे चरित्र हैं जो इस या उस विचार के अन्धाधुन्ध समर्थक हैं। 'अपराध और दंड' इसका साकार रूप है; इसमें नायक ने अपने सर्वस्व को एक भ्रामक ही नहीं, वरन् भयावह विचार के लिए अर्पित कर दिया है...।
Banbhatt Ki Aatmakatha: बाणभट्ट की आत्मकथा
by Hazari Prasad Dwivediआचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की विपुल रचना-सामर्थ्य का रहस्य उनके विशद शास्त्रीय ज्ञान में नहीं, बल्कि उस पारदर्शी जीवन-दृष्टि में निहित है, जो युग का नहीं युग-युग का सत्य देखती है। उनकी प्रतिभा ने इतिहास का उपयोग ‘तीसरी आँख’ के रूप में किया है और अतीत-कालीन चेतना-प्रवाह को वर्तमान जीवनधारा से जोड़ पाने में वह आश्चर्यजनक रूप से सफल हुई है। बाणभट्ट की आत्मकथा अपनी समस्त औपन्यासिक संरचना और भंगिमा में कथा-कृति होते हुए भी महाकाव्यत्व की गरिमा से पूर्ण है। इसमें द्विवेदी जी ने प्राचीन कवि बाण के बिखरे जीवन-सूत्रों को बड़ी कलात्मकता से गूँथकर एक ऐसी कथाभूमि निर्मित की है जो जीवन-सत्यों से रसमय साक्षात्कार कराती है। इसमें वह वाणी मुखरित है जो सामगान के समान पवित्रा और अर्थपूर्ण है-‘सत्य के लिए किसी से न डरना, गुरु से भी नहीं, मंत्रा से भी नहीं; लोक से भी नहीं, वेद से भी नहीं।’ बाणभट्ट की आत्मकथा का कथानायक कोरा भावुक कवि नहीं वरन कर्मनिरत और संघर्षशील जीवन-योद्धा है। उसके लिए ‘शरीर केवल भार नहीं, मिट्टी का ढेला नहीं’, बल्कि ‘उससे बड़ा’ है और उसके मन में आर्यावर्त्त के उद्धार का निमित्त बनने की तीव्र बेचैनी है। ‘अपने को निःशेष भाव से दे देने’ में जीवन की सार्थकता देखने वाली निउनिया और ‘सबकुछ भूल जाने की साधना’ में लीन महादेवी भट्टिनी के प्रति उसका प्रेम जब उच्चता का वरण कर लेता है तो यही गूँज अंत में रह जाती हैद-‘‘वैराग्य क्या इतनी बड़ी चीज है कि प्रेम देवता को उसकी नयनाग्नि में भस्म कराके ही कवि गौरव का अनुभव करे?’’
Zindaginama: ज़िन्दगीनामा
by Krishna Sobtiलेखन को जीवन का पर्याय माननेवाली कृष्णा सोबती की कलम से उतरा एक ऐसा उपन्यास जो सचमुच ज़िन्दगी का पर्याय है—ज़िन्दगीनामा। ज़िन्दगीनामा—जिसमें न कोई नायक। न कोई खलनायक। सिर्फ लोग और लोग और लोग। ज़िन्दादिल। जाँबाज़। लोग जो हिन्दुस्तान की ड्योढ़ी पंचनद पर जमे, सदियों गाज़ी मरदों के लश्करों से भिड़ते रहे। फिर भी फसलें उगाते रहे। जी लेने की सोंधी ललक पर ज़िन्दगियाँ लुटाते रहे। ज़िन्दगीनामा का कालखंड इस शताब्दी के पहले मोड़ पर खुलता है। पीछे इतिहास की बेहिसाब तहें। बेशुमार ताकतें। ज़मीन जो खेतिहर की है और नहीं है, वही ज़मीन शाहों की नहीं है मगर उनके हाथों में है। ज़मीन की मालिकी किसकी है ? ज़मीन में खेती कौन करता है ? ज़मीन का मामला कौन भरता है ? मुजारे आसामियाँ। इन्हें जकडऩों में जकड़े हुए शोषण के वे कानून जो लोगों को लोगों से अलग करते हैं। लोगों को लोगों में विभाजित करते हैं। ज़िन्दगीनामा का कथानक खेतों की तरह फैला, सीधा-सादा और धरती से जुड़ा हुआ। ज़िन्दगीनामा की मजलिसें भारतीय गाँव की उस जीवन्त परम्परा में हैं जहाँ भारतीय मानस का जीवन-दर्शन अपनी समग्रता में जीता चला जाता है। ज़िन्दगीनामा—कथ्य और शिल्प का नया प्रतिमान, जिसमें कथ्य और शिल्प हथियार डालकर ज़िन्दगी को आँकने की कोशिश करते हैं। ज़िन्दगीनामा के पन्नों में आपको बादशाह और फकीर, शहंशाह, दरवेश और किसान एक साथ खेतों की मुँडेरों पर खड़े मिलेंगे। सर्वसाधारण की वह भीड़ भी जो हर काल में, हर गाँव में, हर पीढ़ी को सजाए रखती है।
Pratinidhi Kahaniyan-Geetanjali Shree
by गीतांजलि श्रीयह गीतांजलि श्री की कहानियों का प्रतिनिधि संचयन है। गीतांजलि की लगभग हर कहानी अपनी टोन की कहानी है और विचलन उनके यहाँ गभग नहीं के बराबर है और यह बात अपने आपमें आश्चर्यजनक है क्योंकि बड़े-से-बड़े लेखक कई बार बाहरी दबावों और वक़्ती ज़रूरतों के चलते अपनी मूल टोन से विचिलत हुए हैं। यह अच्छी बात है कि गीतांजलि श्री ने अपनी लगभग हर कहानी में अपनी सिग्नेचर ट्यून को बरकरार रखा है। लेकिन सवाल यह है कि गीतांजलि कीकहानियों की यह मूल टोन आखिर है क्या? एक अजीब तरह का फक्कड़पन, एक अजीब तरह की दार्शनिकता, एक अजीब तरह की भाषा और एक अजीब तरह की रवानी। लेकिन ये सारी अजीबियतें ही उनके कथाकार को एक व्यक्तित्व प्रदान करती हैं। यहाँ यह कहना ज़रूरी है कि यह सब परम्परा से हटकर है और परम्परा में समाहित भी।
Pattakhor: पत्ताखोर
by Madhu Kankariyaस्वातंत्र्योत्तर भारतीय समाज में हमने जहाँ विकास और प्रगति की कई मंजिले तय की हैं वहीं अनेक व्याधियाँ भी अर्जित की हैं। अनेक समाजार्थिक कारणों से हम ऐसी कुछ बीमारियों से घिरे हैं। जिनका कोई सिरा पकड़ में नहीं आता।
Pratinidhi Kahaniyan-Akhilesh
by Akhileshअखिलेश की कहानियाँ बातूनी कहानियाँ हैं . .गजब का बतरस है उनमें । वे अपने पाठकों से जमकर बातें करती हैं अपने सबसे प्यारे दोस्त की तरह गलबहियाँ लेकर वे आपको आगे और. आगे ले जाती हैं और उनमें उस तरहकी सभी बातें होती हैं जो दो दोस्तों के बीच घट सकती हैं । (कोई चाहे तो इसे कहानीपन भी कह सकता है ।) यही वजह है कि बेहद गम्भीर विषयों पर लिखते हुए भी अखिलेश की कहानियाँ . जबर्दस्ती की गम्भीरता कभी नहीं झड़ती हैं । पढ़ते हुए कई बार एक मुस्कान-सी ओठों पर आने को ही होती है । क्योंकि उनके यहाँ कोई बौद्धिक आतंक, सूचना का कोई घटाटोप या किसी और तरह का बेमतलब का जंजाल चक्कर नहीं काटता कि पाठक कहीं' और ही फँसकर रह जाए. । इन कहानियों की एक और खूबी येह भी है कि ये कहानियाँ पाठक से ही नहीं बात करती चलती बल्कि खुद उनके भीतर भी कई तरह के समानान्तर संवाद चलते रहते हैं 1 वे खुद भी अपने चरित्रों से बतियाते चलते हैं, उनके भीतर चल रही उठा- पटक को .अपने अखिलेशियन अन्दाज में' सामने लाते हुए । क्या है ये अखिलेशियन अन्दाज ! उसकी पहली पहचान यह है कि वह बिना मतलब गम्भीरता का ढोंग नहीं करते बल्कि उनकी कहानियाँ अपने पाठकों को भी थोपी हुई गम्भीरता से दूर ले जानेवाली कहानियाँ हैं. । उनकी कहानियों का गद्य मासूमियत वाले अर्थों में हँसमुख ? नहीं है बल्कि चुहल- भरा, शरारती पर साथ ही बेधनेवाला गद्य है ।
Samay ka Sankshipt Itihas: समय का संक्षिप्त इतिहास
by Stephen Hawkingस्टीफेन हॉकिंग की यह पुस्तक विज्ञान-लेखन की दुनिया में अपनी लोकप्रियता के कारण अतिविशिष्ट स्थान रखती है। वर्ष 1988 में अपने प्रकाशन के मात्र दस वर्षों की अवधि में इस पुस्तक की 10 लाख से ज़्यादा प्रतियाँ बिकीं और आज भी जिज्ञासा की दुनिया में यह पुस्तक बदस्तूर अपनी जगह बनाए हुए है।
Pratinidhi Kahaniyan-Hrishikesh Sulabh
by Hrishikesh Sulabh''अपनी कहानियों पर बात करना मेरे लिए कठिन काम है। बहुत हद तक अप्रिय भी। लिखी जा चुकी और प्रकाशित हो चुकी कहानियों से अक्सरहाँ मैं पीछा छुड़ाकर भाग निकलता हूँ, पर मुझे लगता है कि यह मेरा भ्रम ही है। मेरी कहानियों के कुछ पात्र लगातार मेरा पीछा करते हैं और अपनी छवि बदलकर, किसी लिखी जा रही नई कहानी में घुसने की बार-बार कोशिशें करते हैं। कई बार तो घुस भी आते हैं और मैं उन्हें न रोक पाने की अपनी विवशता पर हाथ मलते रह जाता हूँ। जैसे, 'वधस्थल से छलाँगÓ का रामप्रकाश तिवारी, जो 'यह गम विरले बूझे' या 'काबर झील का पाखी' जैसी कहानियों में घुस आया। मैंने अपनी कहानियों में प्रवेश के लिए किसी एक रास्ते का चुनाव नहीं किया। हर कहानी में प्रवेश के लिए मेरी राह बदल जाती है। कभी किसी पात्र की बाँह पकड़कर प्रवेश करता हूँ, तो कभी कोई घटना या व्यवहार या स्मृति या विचार कहानी के भीतर पैठने के लिए मेरी राहों की निर्मिति करते हैं। हमेशा एक अनिश्चय और अनिर्णय की स्थिति बनी रहती है। हर बार नई कहानी शुरू करने से पहले मेरा मन थरथर काँपता है। शायद यही कारण है कि बहुत कम कहानियाँ लिख सका हूँ। मेरे कुछ मित्रों का मानना है कि कहानी और नाटक लिखने के बीच आवाजाही के कारण मेरी कहानियों पर आलोचकों की नज़र नहीं पड़ी। पर यह सच है कि नाटक और कहानी के बीच मेरी यह आवाजाही मुझे बहुत प्रिय है। हर बार नौसिखुए की तरह अथ से आरम्भ करना मुझे पुनर्नवा करता है। मैं यह करते रहना चाहता हूँ।'' —भूमिका से
Fifty Shades Darker: फिफ्टी शेड्स डार्कर
by E. L. Jamesयुवा उद्यमी क्रिस्टियन ग्रे की जिंदगी के काले गहरे रहस्यों से घबरा कर, एना स्टील उससे अपना संबंध तोड़ देती है और एक यू एस प्रकाशन गृह में अपने कॅरियर की शुरुआत करती है। पर उसका दिल, दिन-रात ग्रे के लिए तड़प रहा है और जब वह एक नई व्यवस्था के साथ सामने आता है, तो वह उसे इंकार नहीं कर पाती। जल्द ही वह उसके जीवन के ऐसे पचासों कड़वे रंगों व अतीत के कठोर पलों से रु-ब-रु होती है, जो उसकी कल्पना से भी कहीं परे थे। ऐसे रंग, जिन्होंने ग्रे को बुरी तरह से तोड़ दिया है, उसके बचपन की यादों को नफरत के ज़हर से भर दिया है। पर जब ग्रे अपने भीतर बसे राक्षसों से लड़ने का फैसला ले लेता है, तो एना के सामने एक अहम सवाल आ खड़ा होता है कि वह उसे अपनाए या छोड़ दे?
Chanakya Niti: चाणक्य नीति
by Dr Ashwini Parasharआचार्य विष्णुगुप्त (चाणक्य) द्वारा प्रणीत चाणक्य नीति का मुख्य विषय मानव मात्र को जीवन के प्रत्येक पहलू की व्यावहारिक शिक्षा देना है। इसमें मुख्य रूप से धर्म, संस्कृति, न्याय, शांति, सुशिक्षा एवं सर्वतोमुखी मानव-जीवन की प्रगति की झांकियां प्रस्तुत की गई हैं। आचार्य चाणक्य के नीतिपरक इस महत्वपूर्ण ग्रंथ में जीवन-सिद्धान्त और जीवन व्यवहार तथा आदर्श यथार्थ का बड़ा सुन्दर समन्वय देखने को मिलता है। जीवन की रीति-नीति सम्बन्धी बातों का जैसा अद्भुत और व्यावहारिक चित्रण यहां मिलता है अन्यत्र दुर्लभ है। इसी लिए यह ग्रन्थ पुरे विश्व में समादृत है।
One Indian Girl: वन इंडियन गर्ल
by Chetan Bhagatहाय, मैं राधिका मेहता हूँ और इसी हफ्ते मेरी शादी होने जा रही है। मैं एक इंवेस्टमेंट बैंक गोल्डमान साक्स के लिए काम करती हूँ। मेरी कहानी पढ़ने के लिए शुक्रिया। बहरहाल, मैं आपको एक बात बता देना चाहती हूँ। शायद आप मुझे बहुत ज़्यादा पसंद ना करें। क्योंकि: एक, मैं बहुत पैसा कमाती हूँ। दो, दुनिया की हर चीज़ को लेकर मेरे अपने विचार हैं। और तीन, इससे पहले मेरा एक बॉयफ्रेंड रह चुका है। ओके, एक नहीं शायद दो! अगर मैं लड़का होती तो आपको इन तमाम बातों से कोई तकलीफ नहीं होती। लेकिन चूँकि मैं लड़की हूँ, इसलिए ये तमाम बातें मुझे बहुत हरदिल अज़ीज़ तो नहीं ही बनाती होंगी, है ना? चेतन भगत लेखक की कलम से निकली एक शानदार कहानी, जो आधुनिक भारत की एक लड़की के नज़रिये से हमें बताती है कि आज प्यार, सपनों, कैरियर और फेमिनिज्म के क्या मायने हैं।
Chanda Mama Ki Kahaniyan
by Shyam DuaChandamama presents the stories of the book is the collection of such stories, some enlightening children will provide healthy entertainment. These stories will not only provide moral lessons to children, but also will be instrumental in making them good citizens.
Nani Ki Rochak Kahaniyan
by Yamini PrashantYamini Prashant is the author of the interesting story of the 'Nani Ki Rochak Kahaniyan'. The book about Lewis and Emily's grandmother stories. She tells them interesting stories when they went her home in vacation.
Alif Laila
by Kumar PurnenduAlif Laila, a popular folk tale is the story of the Arab countries around the world over the centuries has been heard and learned. It's a beautifull stories in which each story is like a flower. These stories of love, sorrow, pleasure, pain, infidelity, honesty, duty, is a perfect balance of emotions, such as feelings, which readers and listeners are always tempted.
Sherlock Homes ki Sansanikhej Kahaniyan
by Author Connan DoyleSir Author Connan Doyle created Sherlock Holmes, a fictional detective, known for his ability to crack the most difficult cases. Holmes first featured in Doyle's works in 1887 and now there are four novels and 56 short stories that revolve around his case-solving abilities. Dr. John H. Watson is a good friend of the London-based detective and narrates nearly all stories about Holmes. Holmes's popularity began to increase greatly with the publishing of the first batch of short stories in the Strand Magazine.
Vishwa Bhugol - Ranchi University, N.P.U: विश्व भूगोल - राँची यूनिवर्सिटी, एन.पी.यू.
by Majid Husainविश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) द्वारा तैयार किये गये स्नातक (graduate) तथा स्नात्कोत्तर (post-graduate) पाठ्यक्रमों (syllabus) में भी संसार के महाद्वीपों तथा देशों के भूगोल को कोई स्थान नहीं दिया गया है। इसके विपरीत, संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) की प्रारंभिक (prelims) परीक्षा के पाठ्यक्रम में संसार तथा प्रत्येक महाद्वीप के मुख्य देशों के भूगोल का विशेष स्थान है जिसके लिये लगभग 30 प्रतिशत अंक रखे गये हैं। भारत के विभिन्न राज्यों की प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षाओं में भी कुछ ऐसी ही स्थिति हैं। इन प्रारंभिक परीक्षाओं में उम्मीदवारों (candidates) की सामर्थ्यता की बारीकी के साथ परीक्षण के लिये प्रायोगिक (application), विश्लेषणात्मक (analytical), संलिष्ठ (synthetic) तथा तुलनात्मक (comparison) प्रकार के प्रश्न भूगोल के विद्वानों द्वारा तैयार किये जाते हैं। इस प्रकार के जटिल प्रश्नों का सविश्वास क्रमबद्ध सही उत्तर देने के लिये संसार के विभिन्न देशों के भूगोल का गहन अध्ययन अत्यावश्यक है। यह केवल एक संयोग है कि संसार के भूगोल पर अभी तक एक भी पुस्तक ऐसी नहीं लिखी गई जिसमें संसार के सभी महाद्वीपों, प्रदेशों तथा देशों की भौतिक तथा सांस्कृतिक विशेषताओं पर क्रमबद्ध तथा सुव्यवस्थित चर्चा की गई हो, जिससे कि विद्यार्थियों तथा प्रशासनिक परीक्षा के उम्मीदवारों की समस्याओं का समाधान निकल सके। इस पृष्ठभूमि में प्रस्तुत पुस्तक की योजना 1999 में तैयार की गई थी ताकि प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले विद्यार्थियों की समस्याओं का किसी सीमा तक निवारण हो सके।
Manav Bhugol - Ranchi University, N.P.U: मानव भूगोल - राँची यूनिवर्सिटी, एन.पी.यू.
by Majid Husainमानव भूगोल यह पुस्तक मेरी चर्चित पुस्तक Human Geography का हिन्दी रूपान्तरण है। इस पुस्तक को देश-विदेश में प्रबुद्ध पाठकों द्वारा सराहे जाने के कारण ही इसका हिन्दी रूपान्तरण कराने की प्रेरणा मिली जिससे कि देश के हिन्दीभाषी पाठकों द्वारा इसका समुचित लाभ उठाया जा सके। इसकी एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें मानव भूगोल के सभी पहलुओं की सरल तथा विश्वसनीय जानकारी प्रदान की गई है। साथ ही, विभिन्न मानचित्रों तथा रेखाचित्रों की सहायता से इसे अधिक रुचिकर बनाया गया है। संक्षेप में, यह पुस्तक मानव भूगोल को एक सामाजिक विज्ञान के रूप में चित्रित करती है। मुख्य रूप से यह पुस्तक तीन भागों में विभक्त की गई है। प्रथम भाग में जहां मानव भूगोल के मूल सिद्धान्तों का वर्णन किया गया है, वहीं द्वितीय भाग में विकास तथा मानवीय अधिवास के विभिन्न प्रतिमानों का विश्लेषण किया गया है। तृतीय भाग में विभिन्न आदिवासियों तथा देशज आबादियों का संक्षिप्त लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया है।