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ANTARAL Bhag 2
by National Council Of Educational Research TrainingThis book prescribed by central board of secondary education, India for the stduents of class 12th subject Hindi, studying through hindi medium. This accessible version of the book doesn’t leave any part of the book. The book is handy companion of the school and university students desiring to read facts in interesting way. NCERT books are must read for aspirants of competitive and job related examinations in India.
Antarrashtriya Sangthan
by Shashi ShuklaMost of the material available on international organisation is in English. This is one of the book written primarily for hindi medium students studying in indian university. To main international organisations, UNO and UN have been extensively discussed. Student will find this as a very useful reading material for studying various parts of these organisation.
Anterdaah
by Ramsagar SharmaThe poet sees a dream about changing earth and sky. Although it has no direct links with the real world, it makes a good attempt to let people know that they are always indebted to their motherland and this debt can't be ever paid.
Antim Aranya: अन्तिम अरण्य
by Nirmal Vermaअन्तिम अरण्य यह जानने के लिए भी पढ़ा जा सकता है कि बाहर से एक कालक्रम में बँधा होने पर भी उपन्यास की अन्दरूनी संरचना उस कालक्रम से निरूपित नहीं है। अन्तिम अरण्य का उपन्यास-रूप न केवल काल से निरूपित है, बल्कि वह स्वयं काल को दिक् में स्पेस में रूपान्तरित करता है। उनका फॉर्म स्मृति में से अपना आकार ग्रहण करता है– उस स्मृति से जो किसी कालक्रम से बँधी नहीं है, जिसमें सभी कुछ एक साथ है– अज्ञेय से शब्द उधार लेकर कहें तो जिसमें सभी चीज़ो का ‘क्रमहीन सहवर्तित्व’ है। यह ‘क्रमहीन सहवर्तित्व’ क्या काल को दिक् में बदल देना नहीं है?… यह प्राचीन भारतीय कथाशैली का एक नया रूपान्तर है। लगभग हर अध्याय अपने में एक स्वतन्त्र कहानी पढ़ने का अनुभव देता है और साथ ही उपन्यास की अन्दरूनी संरचना में वह अपने से पूर्व के अध्याय से निकलता और आगामी अध्याय को अपने में से निकालता दिखाई देता है। एक ऐसी संरचना जहाँ प्रत्येक स्मृति अपने में स्वायत्त भी है और एक स्मृतिलोक का हिस्सा भी। यह रूपान्तर औपचारिक नहीं है और सीधे पहचान में नहीं आता क्योंकि यहाँ किसी प्राचीन युक्ति का दोहराव नहीं है। भारतीय कालबोध-सभी कालों और भुवनों की समवर्तिता के बोध-के पीछे की भावदृष्टि यहाँ सक्रिय है।
Antima: अंतिमा
by Manav Kaulकभी लगता था कि लंबी यात्राओं के लिए मेरे पैरों को अभी कई और साल का संयम चाहिए। वह एक उम्र होगी जिसमें किसी लंबी यात्रा पर निकला जाएगा। इसलिए अब तक मैं छोटी यात्राओँ ही करता रहा था। यूँ किन्हीं छोटी यात्राओं के बीच मैं भटक गया था और मुझे लगने लगा था कि यह छोटी यात्रा मेरे भटकने की वजह से एक लंबी यात्रा में तब्दील हो सकती है। पर इस उत्सुकता के आते ही अगले मोड़ पर ही मुझे उस यात्रा के अंत का रास्ता मिल जाता और मैं फिर उपन्यास के बजाय एक कहानी लेकर घर आ जाता। हर कहानी, उपन्यास हो जाने का सपना अपने भीतर पाले रहती है। तभी इस महामारी ने सारे बाहर को रोक दिया और सारा भीतर बिखरने लगा। हम तैयार नहीं थे और किसी भी तरह की तैयारी काम नहीं आ रही थी। जब हमारे, एक तरीक़े के इंतज़ार ने दम तोड़ दिया और इस महामारी को हमने जीने का हिस्सा मान लिया तब मैंने ख़ुद को संयम के दरवाज़े के सामने खड़ा पाया। इस बार भटकने के सारे रास्ते बंद थे। इस बार छोटी यात्रा में लंबी यात्रा का छलावा भी नहीं था। इस बार भीतर घने जंगल का विस्तार था और उस जंगल में हिरन के दिखते रहने का सुख था। मैंने बिना झिझके संयम का दरवाज़ा खटखटाया और ‘अंतिमा’ ने अपने खंडहर का दरवाज़ा मेरे लिए खोल दिया।
Antra Bhag 1 class 11 - NCERT: अंतरा भाग 1 कक्षा 11 - एनसीईआरटी
by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishadअंतरा भाग 1 कक्षा 11 वीं का पुस्तक हिंदी भाषा में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने प्रकाशित किया गया है । यह पाठ्यपुस्तक 11वीं कक्षा में ऐच्छिक हिंदी पढ़नेवाले विद्यार्थियों के लिए तैयार की गई है । इसमें साहित्य की विविध विधाओं संबंधी नौ गद्य रचनाएँ तथा दस कवियों की कविताएँ संकलित हैं । पाठों का चयन इस प्रकार किया गया है कि रचनाओं के माध्यम से हिंदी गद्य और कविता का विकास-क्रम रेखांकित किया जा सके। साथ ही बदलते हुए सामाजिक भावबोध को भी इन रचनाओं के माध्यम से देखा जा सकता है ।
Antra Bhag-1 class 11 - NCERT - 23: अंतरा भाग-१ ११वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३
by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishadअंतरा भाग 1 कक्षा 11 वीं का पुस्तक हिंदी भाषा में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने प्रकाशित किया गया है। यह पाठ्यपुस्तक 11वीं कक्षा में ऐच्छिक हिंदी पढ़नेवाले विद्यार्थियों के लिए तैयार की गई है। इसमें साहित्य की विविध विधाओं संबंधी नौ गद्य रचनाएँ तथा दस कवियों की कविताएँ संकलित हैं। पाठों का चयन इस प्रकार किया गया है कि रचनाओं के माध्यम से हिंदी गद्य और कविता का विकास-क्रम रेखांकित किया जा सके। साथ ही बदलते हुए सामाजिक भावबोध को भी इन रचनाओं के माध्यम से देखा जा सकता है।
Antra Bhag 2 class 12 - NCERT: अंतरा भाग 2 12वीं कक्षा
by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishadअंतरा भाग 2 12वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पाठ्यपुस्तक में दो खंडों में विभक्त है (काव्य और गद्य) । कविता खंड में ग्यारह कवियों की रचनाओं को शामिल किया गया है। पाठ्यपुस्तक में कविता खंड विद्यार्थियों में साहित्यिक अभिरुचि, सौंदर्य बोध और सराहना का भाव विकसित हो। पाठ्यपुस्तक में पाठों का क्रम भाषा, शिल्प और शैली के आधार पर सरल से कठिन की ओर निर्धारित किया गया है। गद्यखंड में हिंदी की विभिन्न गद्य विधाओं का प्रतिनिधित्व है, जिनमें निबंध, कहानी तथा आलोचनात्मक निबंध है और प्रमुख गद्य विधाओं के अंतर्गत आत्मकथा, संस्मरण और यात्रावृत्तांत हैं गद्यखंड में कुल दस पाठ रखे गए हैं, जिन्हें हिंदी के मूर्धन्य गद्यकारों ने रचा है। गद्य पाठों का क्रम भी सरल से कठिन की ओर ही रखा गया है।
Antra Bhag-2 class 12 - NCERT - 23: अंतरा भाग-२ १२वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३
by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishadअंतरा भाग 2 12वीं कक्षा के लिए हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पाठ्यपुस्तक में दो खंडों में विभक्त है (काव्य और गद्य)। कविता खंड में ग्यारह कवियों की रचनाओं को शामिल किया गया है। पाठ्यपुस्तक में कविता खंड विद्यार्थियों में साहित्यिक अभिरुचि, सौंदर्य बोध और सराहना का भाव विकसित हो। पाठ्यपुस्तक में पाठों का क्रम भाषा, शिल्प और शैली के आधार पर सरल से कठिन की ओर निर्धारित किया गया है। गद्यखंड में हिंदी की विभिन्न गद्य विधाओं का प्रतिनिधित्व है, जिनमें निबंध, कहानी तथा आलोचनात्मक निबंध है और प्रमुख गद्य विधाओं के अंतर्गत आत्मकथा, संस्मरण और यात्रावृत्तांत हैं गद्यखंड में कुल दस पाठ रखे गए हैं, जिन्हें हिंदी के मूर्धन्य गद्यकारों ने रचा है। गद्य पाठों का क्रम भी सरल से कठिन की ओर ही रखा गया है।
Antral Bhag 1 class 11 - NCERT: अंतराल भाग 1 कक्षा 11 - एनसीईआरटी
by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishadअंतराल भाग 1 11वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में कुल तीन पाठ हैं - मोहन राकेश द्वारा रचित एकांकी ‘अंडे के छिलके’, सुविख्यात चित्रकार मकबूल फ़िदा हुसैन की आत्मकथा ‘हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी’ के दो छोटे अंश तथा विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित शरतचंद्र के जीवन पर आधारित जीवनी ‘आवारा मसीहा’ का प्रथम पर्व ‘दिशाहारा’। पुस्तक में पाठ के साथ प्रश्न-अभ्यास दिए गए हैं, जो पाठ को रोचक बनाने, उसे स्पष्ट करने में मदद करेंगे। पुस्तक के अंत में रचनाकारों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है।
Antral Bhag 1 class 11 - NCERT - 23: अंतराल भाग-१ ११वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३
by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishadअंतराल भाग 1 11वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में कुल दो पाठ हैं - सुविख्यात चित्रकार मकबूल फ़िदा हुसैन की आत्मकथा ‘हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी’ के दो छोटे अंश तथा विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित शरतचंद्र के जीवन पर आधारित जीवनी ‘आवारा मसीहा’ का प्रथम पर्व ‘दिशाहारा’। पुस्तक में पाठ के साथ प्रश्न-अभ्यास दिए गए हैं, जो पाठ को रोचक बनाने, उसे स्पष्ट करने में मदद करेंगे। पुस्तक के अंत में रचनाकारों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है।
Antral Bhag 2 class 12 - NCERT: अंतराल भाग 2 12वीं कक्षा
by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishadअंतराल भाग 2 12वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में जो चार पाठ संकलित हैं उन चारों के चयन के पीछे उनकी साहित्यिकता का स्तर तो निर्णायक है ही, यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि इन सब से भारत के अलग-अलग अंचलों की जीवन पद्धति और संबंधित भौगोलिक क्षेत्र की समस्याओं तथा जनजीवन की विशिष्टताओं पर प्रचुर प्रकाश पड़ता है। पाठों के अंत में शब्दार्थ और टिप्पणी के साथ-साथ प्रश्न-अभ्यास एवं योग्यता-विस्तार दिए गए हैं। पुस्तक के अंत में रचनाकारों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है।
Antral Bhag 2 class 12 - NCERT - 23: अंतराल भाग-२ १२वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३
by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishadअंतराल भाग 2 कक्षा 12 के लिए हिंदी (ऐच्छिक) की पूरक पाठ्यपुस्तक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में चार पाठ संकलित हैं उन चारों के चयन के पीछे उनकी साहित्यिकता का स्तर तो निर्णायक है ही, यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि इन सब से भारत के अलग-अलग अंचलों की जीवन पद्धति और संबंधित भौगोलिक क्षेत्र की समस्याओं तथा जनजीवन की विशिष्टताओं पर प्रचुर प्रकाश पड़ता है। पाठों के अंत में शब्दार्थ और टिप्पणी के साथ-साथ प्रश्न-अभ्यास एवं योग्यता-विस्तार दिए गए हैं। पुस्तक के अंत में रचनाकारों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है।
Antrang: अंतरंग
by Dr Ramavtar Sharmaप्रस्तुत “अंतरंग” कविता संग्रह दाम्पत्य प्रेम पर आधारित है। संग्रह के खण्ड तीन की कवितायें सर्वनिवेदित है। ‘कुछ भी गलत नहीं है’ कविता में कवि का सामाजिक दृष्टिकोण स्पष्ट हुआ है। यह संग्रह पुरुष निष्ठा का द्योतक है। अपनी प्रिया, अपनी पत्नी पर कविताएं लिखना कोई नया प्रचलन नहीं किंतु, दाम्पत्य संबंध की जीवंतता एवं गरिमा को आज के दौर में बनाये रखने में ये कवितायें एक सीख देती हैं। कविताओं की भाषा सहज है, शिल्प सरल है। लिविंग रिलेशनशीप के आज के दौर में संबंधों की संस्कृति के प्राणतत्व को ये कवितायें स्थापित करती हैं।
Anugoonj Class 11 - JK Board: अनुगूँज 11वीं कक्षा - जम्मू कश्मीर बोर्ड
by Jammu and Kashmir State Board of School Education‘अनुगूँज’ एक साहित्यिक पुस्तक है। इस पाठ्यपुस्तक से हमारे विद्यार्थी उदात्त जीवन मूल्यों और परम्पराओं को जानेंगे। ‘अनुगूँज’ दो भागों में विभाजित है पहले भाग में पद्य दूसरे में गद्य संकलित है। ‘अनुगूँज’ के काव्य खण्ड में हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल और रीतिकाल से विभिन्न कवियों को संकलित किया गया है । भक्तिकाल को 'स्वर्ण युग' कहा जाता है। यह एक सांस्कृतिक आन्दोलन था, इसमें भारतीयता के उदात्त जीवन मूल्यों को देखा जा सकता है। कबीर, जायसी, तुलसी, सूर, मीरा और बिहारी की कविताएं हिन्दी भाषा, साहित्य और संस्कृति की व्यापकता दर्शाती हैं। इन्हें पढ़ते हुए भारत के मध्य और उत्तर मध्यकाल के परिवेश को भी समझा जा सकता है। ‘अनुगूँज’ के द्वितीय भाग में गद्य के अंतर्गत छह कहानियाँ, एक निबन्ध और एक व्यंग्य शामिल किया गया है। यह खण्ड जीवन और व्यवस्था का प्रामाणिक चरित्र अंकन करता है।
Apani Aatmashakti Ko Pahchanen: अपनी आत्मशक्ति को पहचानें
by Robin Sharmaयह पुस्तक आपको अपने जीवन के पुनर्सृजन और अपने सर्वोत्तम आत्म से संपर्क स्थापित करने की सशक्त व व्यावहारिक प्रक्रिया से परिचित कराएगी। इसके व्यावहारिक जीवन के सबक अपने भाग्य का निर्धारण करने और अभिलषित चिर-आनंद की खोज में आपके सहायक होंगे।
Apara Class 11 - RBSE Board: अपरा 11वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड
by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmerप्रस्तुत संकलन ‘अपरा’ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान की कक्षा ग्यारहवीं की हिंदी साहित्य विषय के अध्ययन अध्यापन के लिए तैयार की गई है। संकलनकर्ताओं का यह प्रयास रहा है कि पुस्तक छात्रों के स्तरानुकूल रहे; बोर्ड की अपेक्षाओं के अनुसार बने और परिवर्तित परिस्थितियों के अनुरूप यथासंभव सभी विषय, विधाएँ, साहित्यकार आदि को संजोया जा सके। विधाओं के वैविध्य के साथ भाषा-शैली की विविधता, साहित्य में कालगत क्रम विकास का साहित्यिक कृतियों के माध्यम से परिचय, विभिन्न रसों का स्तर व आवश्यकतानुसार प्रस्तुतीकरण का प्रयास इस संकलन में किया गया है।
Apna Ghar
by Kamna Singhकामना सिंह द्वारा रचित यह पुस्तक सनी एक छोटे चूहे की कहानी पर आधारित है। चूहे के शहर छोड़कर जंगल में चले जाने की कहानी को दर्शाया गया है। This book is written by Kamna Singh, and is based on the story of Sunny a little mouse. The story of leaving the city of the rat and moving in the forest has been shown .
Apna Paraya
by Radhika ramaya prasad singhA marvelous play written by Singh. The play is woven around the love story where a boy and a girl of different religions meet. The play shows the existing problem in the Indian society which was quite divided on religious lines. The pathetic condition of women folks is shown very clearly to the readers.
Apne-Apne Iraade
by Krishneshwar DingarKrishneswar Deengar has presented the various character of society in different conditions in a satirical way. He has dealt a sharp blow to the growing corruption in the society.
Apradh Aur Dand: अपराध और दंड
by Fyodor Dostoyevsky'अपराध और दंड' लेखक के सभी उपन्यासों में सबसे आसानी से पढ़ा जा सकनेवाला उपन्यास है। यद्यपि समझने की दृष्टि से यह एक कठिन और गूढ़ रचना है। इस उपन्यास को लेकर प्रचलित धारणाएँ अपेक्षाकृत सरलीकृत हैं, जिनमें सारा ध्यान उसकी अन्तर्वस्तु के किसी एक पहलू पर केन्द्रित किया जाता है। मसलन, 'अपराध और दंड' को प्राय: एक क़िस्म का 'फ़ौजदारी' उपन्यास माना जाता है अथवा उसे कोरी राजनीतिक कृति समझा जाता है, जो तथाकथित निषेधवादियों अर्थात गत शती के सातवें दशक के विप्लवी और क्रान्तिकारी विचारमना रूसी युवाजन के विरुद्ध लक्षित है। निस्सन्देह, उपन्यास में ये सभी बातें किसी-न-किसी हद तक मौजूद हैं। दोस्तोयेव्स्की ने हत्यारे की मनोदशा का सूक्ष्मतम, बेजोड़ कलात्मक 'विश्लेषण' किया था। इस बात में भी कोई सन्देह नहीं कि उपन्यास रूसी निषेधवाद से गहरे रूप से सम्बन्धित है। इसी तरह इसमें तनावपूर्ण नैतिक-दार्शनिक मर्म भी भरपूर है। लेकिन मूल बात कुछ और ही है। दोस्तोयेव्स्की के उपन्यासों के मूलाधार में विचार-मानव यानी ऐसे चरित्र हैं जो इस या उस विचार के अन्धाधुन्ध समर्थक हैं। 'अपराध और दंड' इसका साकार रूप है; इसमें नायक ने अपने सर्वस्व को एक भ्रामक ही नहीं, वरन् भयावह विचार के लिए अर्पित कर दिया है...।
Apsara: अप्सरा
by Suryakant Tripathi 'Nirala'अप्सरा 'निराला' की कथा-यात्रा का प्रथम सोपान हैं। अप्सरा-सी सुन्दर और कला-प्रेम में डूबी एक वीरांगना की यह कथा हमारे हृदय पर अमिट प्रभाव छोड़ती है। अपने व्यवसाय से उदासीन होकर वह अपना हृदय एक कलाकार को दे डालती है और नाना दुष्चक्रों का सामना करती हुई अंततः अपनी पावनता को बनाए रख पाने में समर्थ होती है। इस प्रक्रिया में उसकी नारी सुलभ कोमलताएँ तो उजागर होती ही हैं, उसकी चारित्रिक दृढ़ता भी प्रेरणाप्रद हो उठती है। इस उपन्यास में तत्कालीन भारतीय परिवेश और स्वाधीनता-प्रेमी युवा वर्ग की दृढ़ संकल्पित मानसिकता का चित्रण हुआ है, जो कि महाप्राण निराला की सामाजिक प्रतिवद्धता का एक ज्वलंत उदाहरण है।
Aptavani Shreni 1: आप्तवाणी श्रेणी १
by Dada Bhagwanयह संसार किसने बनाया? क्या यह संसार आपके लिए परेशानी का कारण है? क्या आपको आश्चर्य होता है कि यहाँ सबकुछ कैसे होता है? कैसे हम अनगिनित जन्मों में भटक रहे हैं। यह सब करनेवाला कौन है? धर्म क्या है? मोक्ष क्या है? आध्यात्मिकता और धर्म में क्या फर्क है? शुद्ध आत्मा क्या है? मन, शरीर और वाणी के क्या कार्य हैं? लौकिक रिश्तों को कैसे निभाएँ? भाग्य और कर्म का अंतर कैसे समझें? अहंकार क्या है? क्रोध-लोभ-मोह, क्या वे अहंकार के कारण हैं? जिन्हें मोक्ष पाने की इच्छा है या जो मोक्ष चाहते हैं, उनकी ज़िंदगी में ऐसे अनेक प्रश्न व समस्याएँ होगीं। ‘स्वयं’का ज्ञान या ‘मैं कौन हूँ’यह सब का अंतिम लक्ष्य है। ‘मैं कौन हूँ’के ज्ञान बगैर मोक्ष नहीं मिल सकता। यह ज्ञान केवल ज्ञानीपुरुष से ही प्राप्त हो सकता है। इस पुस्तक में ज्ञानीपुरुष परम पूज्य दादाश्री द्वारा दिए गए बहुत सी समस्याओं के उत्तर संकलित हैं। इस दिव्य पुस्तक का ज्ञान उन लोगों के लिए हैं जिनकी वैज्ञानिक सोच है, जिन्हें आत्मिक शांति चाहिए और जो संसार की परेशानियों से मुक्त होना चाहते हैं।
Aptavani Shreni 12 (Purvadh): आप्तवाणी श्रेणी १२ (पूर्वार्ध)
by Dada Bhagwanअक्रम विज्ञानी परम पूज्य दादाश्री ने जगह-जगह महात्माओं की व्यवहारिक उलझनें, आज्ञा में रहने में आने वाली मुश्किलें और सूक्ष्म जागृति में कैसे रहें, इनके खुलासे किए हैं। जागृति में ‘मैं चंदूलाल हूँ’ (वाचक को अपना नाम समझना है) की मान्यता में से इस मान्यता में आना है कि ‘मैं शुद्धात्मा ही हूँ’, ‘अकर्ता ही हूँ’, ‘केवल ज्ञाता-दृष्टा ही हूँ’, बाकी सब पिछले जन्म में किए गए ‘चार्ज’ का ‘डिस्चार्ज’ ही है, भरा हुआ माल ही निकलता है, किसी भी संयोग में उसमें से नये ‘कॉज़ेज़’ (कारण) उत्पन्न ही नहीं होते, आप सिर्फ ‘इफेक्ट’ को ही ‘देखते’ हो वगैरह। आत्मजागृति ही मोक्ष की ओर ले जाती है। इस पुस्तक में दादाश्री की हृदयस्पर्शी वाणी संकलित हुई है, जिसमें उन्होंने जागृति में रहने के अलग-अलग तरीकों का वर्णन किया है, जो आत्मकल्याण के लिए सब से महत्वपूर्ण हैं। जागृति प्राप्त करने के लिए और उसे बढ़ाने के लिए परम पूज्य दादाश्री अपने आप से जुदापन, अपने आप से बातचीत के प्रयोग द्वारा ‘ज्ञाता-दृष्टा’ पद में रहना, कर्म के चार्ज और डिस्चार्ज के सिद्धांत को समझकर उनका उपयोग करना वगैरह का दर्शन स्पष्ट किया है। महात्माओं की आत्मजागृति को बढ़ाने में यह पुस्तक बहुत सहायक होगी।
Aptavani Shreni 13 (Purvadh): आप्तवाणी श्रेणी १३ (पूर्वार्ध)
by Dada Bhagwanआत्मार्थियों ने आत्मा से संबंधित अनेक बातें अनेक बार सुनी होंगी, पढ़ी भी होंगी लेकिन उसकी अनुभूति, वह तो एक गुह्यत्तम चीज़ है! आत्मानुभूति के साथ-साथ पूर्णाहुति की प्राप्ति के लिए अनेक चीज़ों को जानना ज़रूरी है, जैसे कि प्रकृति का साइन्स, पुद्गल (जो पूरण और गलन होता है) को देखना-जानना, कर्मों का विज्ञान, प्रज्ञा का कार्य, राग-द्वेष, कषाय, आत्मा की निरालंब दशा, केवलज्ञान की दशा और आत्मा व इस स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर के तमाम रहस्यों का खुलासा, जो मूल दशा तक पहुँचने के लिए माइल स्टोन के रूप में काम आते हैं। जब तक ये संपूर्ण रूप से, सर्वांग रूप से दृष्टि में, अनुभव में नहीं आ जाते, तब तक आत्मविज्ञान की पूर्णाहुति की प्राप्ति नहीं हो सकती। और इन तमाम रहस्यों का खुलासा संपूर्ण अनुभवी आत्म विज्ञानी के अलावा और कौन कर सकता है? पूर्वकाल के ज्ञानी जो कह गए हैं, वह शब्दों में रहा है, शास्त्रों में रहा है और उन्होंने उनके देशकाल के अधीन कहा था, जो आज के देशकाल के अधीन काफी कुछ समझ में और अनुभव में फिट नहीं हो पाता। इसलिए कुदरत के अद्भुत नज़राने के रूप में इस काल में आत्म विज्ञानी अक्रम ज्ञानी परम पूज्य दादाश्री में पूर्णरूप से प्रकट हुए ‘दादा भगवान’को स्पर्श करके पूर्ण अनुभव सिद्ध वाणी का फायदा हम सभी को मिला है।