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Kahani Kahoon Bhaiya

by Gijubhai Badheka

गिजुभाई बधेका दवारा रचित कहानी कहूँ भैया पुस्तक में छोटी-छोटी बाल-कथाएँ है जो समाज-सेवा के ऊँचे आदर्शो की झाँकी प्रस्तुत करती है तथा पाप-और पुण्य का भेद मिटा कर प्रेम की भावना उत्पन्न करती है। The book “Kahani Kahoon Bhaiya” is written by “Gijubhai Badheka”.There are small stories in this book which presents a tableau of social service of high ideals and erase the sin and virtue distinctions and generates a sense of love.

Kahani Sanchay - Bhag 1

by New Saraswati House India Pvt. Ltd.

कहानी संचय पुस्तक में ऐसी कहानियों का समावेश किया गया है, जो रोचकता, बोधगम्यता, कल्पनाशीलता और विविधता के कारण बच्चों को पुस्तक उठाकर स्वयं पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी तथा बच्चों की पढ़ने, सुनने और मौखिक अभिव्यक्ति की क्षमता को भी विकसित करेंगी।

Kahani Sanchay - Bhag 2

by New Saraswati House India Pvt. Ltd.

कहानी संचय पुस्तक में ऐसी कहानियों का समावेश किया गया है, जो रोचकता, बोधगम्यता, कल्पनाशीलता और विविधता के कारण बच्चों को पुस्तक उठाकर स्वयं पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी तथा बच्चों की पढ़ने, सुनने और मौखिक अभिव्यक्ति की क्षमता को भी विकसित करेंगी।

Kahani Sanchay - Bhag 3

by New Saraswati House India Pvt. Ltd.

कहानी संचय पुस्तक में ऐसी कहानियों का समावेश किया गया है, जो रोचकता, बोधगम्यता, कल्पनाशीलता और विविधता के कारण बच्चों को पुस्तक उठाकर स्वयं पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी तथा बच्चों की पढ़ने, सुनने और मौखिक अभिव्यक्ति की क्षमता को भी विकसित करेंगी।

Kahani Sanchay - Bhag 4

by New Saraswati House India Pvt. Ltd.

कहानी संचय। पुस्तक में ऐसी कहानियों का समावेश किया गया है, जो रोचकता, बोधगम्यता, कल्पनाशीलता और विविधता के कारण बच्चों को पुस्तक उठाकर स्वयं पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी तथा बच्चों की पढ़ने, सुनने और मौखिक अभिव्यक्ति की क्षमता को भी विकसित करेंगी।

Kahani Sanchay - Bhag 5

by New Saraswati House India Pvt. Ltd.

कहानी संचय। पुस्तक में ऐसी कहानियों का समावेश किया गया है, जो रोचकता, बोधगम्यता, कल्पनाशीलता और विविधता के कारण बच्चों को पुस्तक उठाकर स्वयं पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी तथा बच्चों की पढ़ने, सुनने और मौखिक अभिव्यक्ति की क्षमता को भी विकसित करेंगी।

Kahani Sanchay - Bhag 6

by New Saraswati House India Pvt. Ltd.

कहानी संचय। पुस्तक में ऐसी कहानियों का समावेश किया गया है, जो रोचकता, बोधगम्यता, कल्पनाशीलता और विविधता के कारण बच्चों को पुस्तक उठाकर स्वयं पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी तथा बच्चों की पढ़ने, सुनने और मौखिक अभिव्यक्ति की क्षमता को भी विकसित करेंगी।

Kahani Sanchay - Bhag 7

by New Saraswati House India Pvt. Ltd.

कहानी संचय। पुस्तक में ऐसी कहानियों का समावेश किया गया है, जो रोचकता, बोधगम्यता, कल्पनाशीलता और विविधता के कारण बच्चों को पुस्तक उठाकर स्वयं पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी तथा बच्चों की पढ़ने, सुनने और मौखिक अभिव्यक्ति की क्षमता को भी विकसित करेंगी।

Kahani Sanchay - Bhag 8

by New Saraswati House India Pvt. Ltd.

कहानी संचय पुस्तक में ऐसी कहानियों का समावेश किया गया है, जो रोचकता, बोधगम्यता, कल्पनाशीलता और विविधता के कारण बच्चों को पुस्तक उठाकर स्वयं पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी तथा बच्चों की पढ़ने, सुनने और मौखिक अभिव्यक्ति की क्षमता को भी विकसित करेंगी।

Kahanikar Prasad: कहानीकार प्रसाद

by Dr Ram Avtar Sharma

“कहानीकार प्रसाद” एक साथ ही मौलिक आलोचना ग्रंथ भी है, मानक शोधग्रंथ भी। इस ग्रंथ में प्रसाद की सारी 60 कहानियों का सर्वांगीण अनुशीलन किया गया है। संख्या में अधिक न होने पर भी प्रसाद की कहानियों के आयाम अत्यंत स्फीत हैं: प्रागैतिहातिक कहानी, ऐतिहासिक कहानी, सामाजिक कहानी, मनोवैज्ञानिक कहानी प्रभृति की दृष्टियों से प्रसाद एक महान् कहानीकार सिद्ध होते हैं। उन्होंने विविध युगों एवं विविध वर्गों की मानवता का बहुत ही विदग्धतापूर्ण चित्रण किया है। हर्ष का विषय है कि इस ग्रन्थ में समग्र उपलब्ध सामग्री के प्रयोग के साथ मौलिकता एवं स्थापना-शक्ति के प्रभावी एवं उपयोगी दर्शन हो जाते हैं। निस्संदेह, यह अपने विषय का श्रेष्ठतम ग्रंथ है।

Kahaniyon ka Thela: कहानियों का ठेला

by Deepali Kiran and Payal Dhabalia

सकारात्मक ऊर्जा लिए, गुजरे लम्हों के अनुभवों को, कल्पनाओं को, अंतर्मन के भावों को शब्दो में पिरोकर पाठको के सम्मुख, कहानियो के संग्रह के रूप में प्रेषित करती किताब, ‘कहानियों का ठेला’ जिसमे समाहित है मानवीय जीवन के सभी भाव। प्रेम, पीड़ा, जिज्ञासा, व्यथा, आनंद जैसे सभी भावों की सरल और सहज प्रस्तुति है ‘कहानियों का ठेला’। सभी आयु वर्ग के पाठको के ह्रदय को स्पर्श करने के प्रयास से सृजन की हुई लघुकथाओ का संग्रह।

Kahi Ankahi (Kahani Sangrah): कही अनकही (कहानी-संग्रह)

by Kusumlata Malik

'कही-अनकही' मात्र एक कहानी संग्रह नहीं है। बल्कि एक व्यक्ति, एक समाज, एक जीवन, एक समय के सतत संघर्ष का दस्तावेज भी है। व्यक्ति जो समाज चाहता है किंतु, समाज उसे नहीं चाहता। समाज जो जीवन चाहता है परंतु, अपनी खोह में कैद होने के कारण जीवन से कहीं दूर छिटक गया है। जीवन जो समय में अपनी दखल चाहता है किंतु, विडंबना यह है कि दखल करके भी अपने को दर्ज नहीं करवा पाता। समय जो जीवन की ही तरह, सर्वत्र परिव्याप्त है परंतु, सर्वत्र होकर भी, सभी में एक समान मूर्त तथा गतिशील नहीं हो पाता। जबकि यह भी सच है कि वह सबके योग से ही बनता है। सीधे और साफ शब्दों में प्रस्तुत संग्रह सीलन और अंधकार से परिव्याप्त उन उपेक्षित कोनों के सन्नाटों को वाणी देने की कोशिश भर है जिनकी उपस्थिति हमारे आसपास सब कहीं है किंतु, वह उपस्थिति, अनुपस्थिति के बराबर होती है। इसे उपेक्षा की पराकाष्ठा ही कहा जा सकता है।

Kajaki

by Premchand

प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानियाँ

Kala Kunj class 9 - RBSE Board: कला कुन्ज 9वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड

by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer

कला कुन्ज (चित्रकला की पुस्तक) कक्षा 9वीं यह पुस्तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, प्रस्तुत पुस्तक में अध्यायों में चित्रकला के तत्व माध्यम, तकनीक व राजस्थान की लोक चित्रकलाओं, संगीत के तत्व, वाद्य व वाद्य भेद, राजस्थानी लोक संगीत के गायन, वादन, नृत्य पक्ष तथा नाटक, रंगमंच एवं अभिनय के भेद व लोक नाट्य आदि विषयों को समाहित किया गया है ।

Kala Moti: काला मोती: ब्रह्मकण शक्ति

by Shivendra Suryavanshi

हिमालय की गुफाओं से निकलकर, अटलांटिस की धरती के रहस्यों की परतों को खोलने वाली, देवताओं के द्वारा रची गयी ऐसी महागाथा, जिसे आप बार बार पढना चाहेंगे। यह कहानी है सन राइजिंग नामक एक ऐसे पानी के जहाज की जो किसी कारणवश रास्ता भटक कर बरमूडा ट्रायंगल के खतरनाक क्षेत्र में फंस जाता है। कहानी के कुछ पात्र भयानक मुसीबतों से जूझते हुए अटलांटिस की धरती पर पहुंच जाते हैं जहां पर उनका इंतजार कर रहा होता है इस ब्रम्हांड का सबसे बड़ा तिलिस्म। 28 दरवाजे वाले इस तिलिस्म में मौजूद हैं - सप्ततत्व, 12 राशियां, ग्रीक गॉड, रोमन योद्धा, ब्रह्मांड के सबसे खतरनाक जीव, अनोखे ग्रह, और विज्ञान की अनोखी दुनिया।

Kala Pani: काला पानी

by Vinayak Damodar Savarkar

काला पानी की भयंकरता का अनुमान इसी एक बात से लगाया जा सकता है कि इसका नाम सुनते ही आदमी सिहर उठता है। काला पानी की विभीषिका, यातना एवं त्रासदी किसी नरक से कम नहीं थी। विनायक दामोदर सावरकर चूँकि वहाँ आजीवन कारावास भोग रहे थे, अत: उनके द्वारा लिखित यह उपन्यास आँखों-देखे वर्णन का-सा पठन-सुख देता है। इस उपन्यास में मुख्य रूप से उन राजबंदियों के जीवन का वर्णन है, जो ब्रिटिश राज में अंडमान अथवा 'काला पानी' में सश्रम कारावास का भयानक दंड भुगत रहे थे। काला पानी के कैदियों पर कैसे-कैसे नृशंस अत्याचार एवं क्रूरतापूर्ण व्यवहार किए जाते थे, उनका तथ वहाँ की नारकीय स्थितियों का इसमें त्रासद वर्णन है। इसमें हत्यारों, लुटेरों, डाकुओं तथा क्रूर, स्वार्थी, व्यसनाधीन अपराधियों का जीवन-चित्र भी उकेरा गया है। उपन्यास में काला पानी के ऐसे-ऐसे सत्यों एवं तथ्यों का उद‍्घाटन हुआ है, जिन्हें पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

Kala Siddhant Evam Bharatiy Murtikala class 11 - RBSE Board: कला सिद्धान्त एवं भारतीय मूर्तिकला 11वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड

by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer

कला सिद्धान्त एवं भारतीय मूर्तिकला कक्षा 11वीं यह पुस्तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर ने संस्कृत भाषा में प्रकाशित किया गया है, प्रस्तुत पुस्तक राजस्थान शिक्षा मण्डल, अजमेर के प्राकृत भाषा एवं साहित्य के 11 वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं के लिए तैयार की गई है। कला कल्याण की जननी है। प्रथम कलाकार सृष्टि का रचियिता ईश्वर है। यही कारण है कि सृष्टि के सभी पदार्थों में कला का वास है। कला शब्द की उत्पति संस्कृत भाषा की 'कल्' धातु से हुई है। जिसका अर्थ है शब्द करना या प्रेरित करना। जिस प्रकार कल् कल् शब्द से एक गतिपूर्ण ध्वनि आती है उसी प्रकार कला भी लयपूर्ण अभिव्यक्ति है। कला का अर्थ मात्र भोग-विलास न होकर सौन्दर्य की अभिव्यक्ति द्वारा सुख या आनन्द प्रदान करना है। भारतीय विद्वानों ने कला को अनेक रूपों में परिभाषित किया है।

Kalihanuvani: कलिहनुवाणी

by Shunya

आठों योग सिद्धियों को प्राप्त करने वाले चिरंजीवी हनुमान जी ने अपना ब्रह्मज्ञान और अनुभव बाँटने के लिए कुछ विशेष आदिवासी शिष्य चुने थे। उन्होंने वचन दिया था कि वे हर 41 वर्ष पश्चात अपने शिष्यों की नई पीढ़ियों से मिलने आएँगे और उन्हें स्वयं ज्ञान प्रदान करेंगे। उसी शाश्वत वचन को निभाते हुए वे इस बार भी आए। घने जंगल से आच्छादित एक पर्वत पर उन्होंने अपने शिष्यों को प्राचीन ज्ञान नवीन ढंग से प्रदान किया। एक दिव्य लीला के अंतर्गत यह ज्ञान जंगल से बाहर 'कलिहनुवाणी' के रूप में पहुँच रहा है...

Kalpana

by Pratima Sharan

The play was written in a time when Bihari theatre didn’t have much of the play to be staged. Kalpana is an attempt to give a realistic play to be staged. Although there are only three or four characters in the play, it brings effectiveness in the play.

Kamayani

by Jayshankar Prasad

Kamayani looks at the Chayawaadi school of Hindi poetry. It plays continuously with the human emotions and takes metaphors from mythologies. The chapters even are named after the emotions. The plot is based on the Vedic story where Manu, the man surviving after the deluge (Pralaya), is emotionless (Bhavanasunya). Anyone having interest in Hindi poetry must read it.

Kamayani Mulyankan Aur Mulyankan: कामायनी [मूल्यांकन और मूल्यांकन]

by Dr Indranath Madan

प्रसाद सुख और दुख को तात्विक वस्तु मानने के विरोधी हैं । समस्त द्वैतों का परिहार इसी आनन्द के अन्तर्गत किया है। यह आख्यान इतना प्राचीन है कि इतिहास में रूपक का भी अद्भुत मिश्रण हो गया है। इसलिए मनु, श्रद्धा और इड़ा, इत्यादि अपना ऐतिहासिक अस्तित्व रखते हुए, सांकेतिक अर्थ की भी अभिव्यक्ति करें तो कोई आपत्ति नहीं। मनु अर्थात मन के दोनों पक्ष; हृदय और मस्तिष्क का सम्बन्ध क्रमशः श्रद्धा और इड़ा से भी सरलता से लग जाता है। इन्हीं सब के आधार पर कामायनी की कथा-सृष्टि हुई है ।

Kanch Ka Baksa

by Pushpita Awasthi

पुष्पिता अवस्थी दवारा रचित यह पुस्तक कई रोचक और शिक्षाप्रद कहानिया का संग्रह है।This book, written by Pushpita Awasthi, is a collection of interesting and educational stories.

Kara Kunti ke: कारा कुन्ती की

by Kusumlata Malik

'कारा कुन्ती की' यह नाटक को जिन द्वंद्वात्मक मनःस्थितियों एवं विकट परिस्थितियों में लिखा गया, वे वास्तव में आत्यांतिक रूप से अकथनीय हैं। परिणामतः नाटक अनेक विचारधाराओं की टकराहट का कोलाज बन गया है। पूर्वार्द्ध और उत्तरार्द्ध के अंतर्गत कई दृश्यान्तरों में निबद्ध यह नाटक अपनी स्वाभाविक प्रकृति में धीरे-धीरे खुलता है। यह खुलना वैसे ही है जैसे एक बीज का शनै:-शनैः वृक्ष हो जाना। भाव तथा कार्य दोनों एक साथ गति पकड़ते हैं। इस तरह आद्यन्त नाटक अपनी आंतरिक एव बाह्य संचालन प्रक्रिया में सक्रिय बना रहा है। सात्विक अभिनय पर अधिक जोर देते हुए भी अभिनय के अन्य रूपात्मक बाह्य प्रकारों के लिए पर्याप्त स्पेस है। नाटक का आन्तरिक पक्ष उसके बाह्य पक्ष का आधार होता है और नाटक का बाह्य पक्ष आन्तरिक अनुभूति का विस्तार होता है। इस प्रकार नाट्यानुभूति और रंगसज्जा दोनों अन्योन्याश्रित होते हैं। प्रस्तुत नाटक में मैनें इसका समुचित निर्वाह करने का प्रयास किया है।

Karma Ka Siddhant: कर्म का सिद्धांत

by Dada Bhagwan

'मैंने किया' बोला कि कर्मबंध हो जाता है। ये 'मैंने किया' इसमें इगोइज़्म(अहंकार) है और इगोइज़्म से कर्म बंधा जाता है। जिधर इगोइज़्म ही नहीं, मैंने किया ही नहीं है, वहाँ कर्म नहीं होता है ।

Karma Ka Vignan: कर्म का विज्ञान

by Dada Bhagwan

जब भी हमारे साथ कुछ भी अच्छा या बुरा होता है तो हम हमेशा यही कहते हैं कि – यह सब हमारे कर्मो का ही नतीजा है| पर क्या हम जानते है कि कर्म क्या है और कर्म बंधन कैसा होता है? दादाश्री कहते है कि हमारा सारा जीवन हमारे ही पिछले कर्मो का नतीजा है| जो कुछ भी हमारे साथ अच्छा या बुरा हो रहा हैं, इसके ज़िम्मेदार हम खुद ही है| इस जीवन के कर्मो के बीज तो हमारे पिछले जन्मो में ही पड़ गए थे और अभी हम जो कुछ भी कर रहे है वह सब अगले जन्मों में रूपक में आएगा| लोग अक्सर यही सोचते है कि अच्छे कर्म और बुरे कर्म क्या होते है और किस प्रकार हम कर्म बंधन से मुक्त हो सकते है? दादाजी इसका जवाब देते हुए कहते है कि जिस काम से किसी का भला हो उसे अच्छे कर्म कहते है और जिससे किसी का नुक्सान हो, तो, उसे बुरे कर्म कहते है| कर्म बंधन से मुक्त होने का सबसे आसान और सरल उपाय यही है कि हम नए कर्मो के बीज ना डाले और अभी जो कुछ भी हो रहा है उसको समता से और समभाव से पूरा करे| ऐसा करने से नए कर्मो के बीज नहीं पड़ेंगे और हम इस जन्म-मरण के चक्कर से मुक्त हो पाएँगे| कर्म का विज्ञान और उसे चलाने वाली व्यवस्थित शक्ति के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने, ‘कर्म का विज्ञान’, यह किताब ज़रूर पढ़े और अपने जीवन को सुखमय बनाये|

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