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Western Political Thinkers: पाश्चात्य राजनीति विचारक

by O. P. Gauba

‘पाश्चात्य राजनीति-विचारक’ के अंतर्गत मुख्यतः पश्चिमी जगत् के प्राचीन, मध्ययुगीन और आधुनिक राजनीति-दार्शनिकों के चिंतन का तुलनात्मक और आलोचनात्मक विवेचन प्रस्तुत किया गया है। इसके आरंभ में गौरव-ग्रंथों के सामान्य लक्षणों का विवरण देते हुए उनकी उपयोगिता और सार्थकता पर प्रकाश डाला गया है; उनकी व्याख्या की सामान्य समस्याओं की चर्चा करते हुए इस व्याख्या के विभिन्न उपागमों की जांच की गई है। फिर पश्चिमी राजनीति चिंतन के इतिहास से जुड़े प्रत्येक युग की सामान्य विशेषताओं का विवरण देते हुए उनके प्रतिनिधि दार्शनिकों की देन को परखा गया है।

The Winning Manager: Corporate Safalta Ke Liye Samay Ki Kasauti Par Khare Siddhant

by Walter Vieira

This is not a standard book on management. It does not attempt to take the reader through the process of planning, forecasting, organising, delegating, motivating, monitoring, controlling and communicating in a sequential order, as in Fayol′s wheel of managerial functions. Instead, it goes ′beneath the skin′ of management as it were, to discuss issues that are not normally dealt with either in speech or in writing.

Yo Bhi To Dekhiye

by Viyogihari

Sri Viyogihar writes in a particular fashion and forces the reader and different sections of the society to act in the way they are expected to.

Yoddha Sannyasi Vivekanand: योद्धा संन्यासी विवेकानन्द

by Hansraj Rahbar

विवेकानंद कहते है : "मेरे मत में बाह्य जगत की एक सत्ता -हमारे मन के विचार के बाहर भी उसका एक अस्तित्व है । चैतन्य के क्रम विकास रूपी महान विधान का अनुवर्ती होकर यह समग्र विश्व उन्नति के पथ क्रम विकास रूपी महान विधान का अनुवर्ती होकर यह समग्र विश्व उन्नति के पथ पर अग्रसर हो रहा है । चैतन्य का यह क्रम विकास जड़ के क्रमविकास से पृथक है । विवेकानंद ने पहली बार क्रमविकास का सिद्धान्त भारतीय दर्शन पर लागू किया और अद्वैत की धर्म शास्त्र की चरम सीमा बताया । हमारे देश के उभरते हुए पूंजीपति वर्ग को इस विदेशी आक्रमण से अपनी सांस्कृतिक परम्पराओ की रक्षा करनी थी , क्योकि राष्ट्रीयता का विकास उन्हीं के आधार पर संभव था और राजनितिक लड़ाई भी उन्हीं के आधार पड़ लड़ी जा सकती थी । विवेकानंद ने धर्म- सभा में आक्रामक रुख अपनाकर मिशनरियों के इस दावे को झुठलाया कि ईसाई धर्म चूँकि विजेताओं का और समृद्धि का धर्म है, इसलिए यह सच्चा धर्म है और इसी को विश्व धर्म बनना है । विवेकानंद जी ने 1905 में स्वदेशी आंदोलन का राजनितिक रूप धारण किया । इसमें जो राष्ट्रीय एकता का जो प्रदर्शन हुआ उसके कारण ब्रिटिश सरकार को बंग- भंग की योजना रद्द करनी पड़ी । और इसी आंदोलन से स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा तथा स्वराज्य का चारसूत्री कार्यक्रम निर्धारित हुआ । इसके अलावा 1908 से क्रांति के जो गुप्त संगठन बने उनकी मुख्य प्रेणना भी विवेकानंद जी की शिक्षाए थी ।

Yog Vashishtha: योग वासिष्ठ

by Badrinath Kapoor

भारतीय मनीषा के प्रतीक ग्रंथों में एक ‘योग वासिष्ठ’ की तुलना विद्वत्जन ‘भगवद् गीता’ से करते हैं। गीता में स्वयं भगवान मनुष्य को उपदेश देते हैं जबकि ‘योग वासिष्ठ’ में नर (गुरु वशिष्ठ) नारायण (श्रीराम) को उपदेश देते हैं। विद्वत्जनों के अनुसार सुख और दुख, जरा और मृत्यु, जीवन और जगत, जड़ और चेतन, लोक और परलोक, बंधन और मोक्ष, ब्रह्म और जीव, आत्मा और परमात्मा, आत्मज्ञान और अज्ञान, सत् और असत्, मन और इंद्रियाँ, धारणा और वासना आदि विषयों पर कदाचित् ही कोई ग्रंथ हो जिसमें ‘योग वासिष्ठ’ की अपेक्षा अधिक गंभीर चिंतन तथा सूक्ष्म विश्लेषण हुआ हो। अनेक ऋषि-मुनियों के अनुभवों के साथ-साथ अनगिनत मनोहारी कथाओं के संयोजन से इस ग्रंथ का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। स्वामी वेंकटेसानन्द जी का मत है कि इस ग्रंथ का थोड़ा-थोड़ा नियमित रूप से पाठ करना चाहिए। उन्होंने पाठकों के लिए 365 पाठों की माला बनाई है। प्रतिदिन एक पाठ पढ़ा जाए। पाँच मिनट से अधिक समय नहीं लगेगा। व्यस्तता तथा आपाधापी में उलझा व्यक्ति भी प्रतिदिन पाँच मिनट का समय इसके लिए निकाल सकता है। स्वामी जी का तो यहाँ तक कहना है कि बिना इस ग्रंथ के अभी या कभी कोई आत्मज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता। स्वामी जी ने इस ग्रंथ का सार प्रस्तुत करते हुए कहा है कि बिना अपने को जाने मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता। मोक्ष प्राप्त करने का एक ही मार्ग है आत्मानुसंधान। आत्मानुसंधान में लगे अनेक संतों तथा महापुरुषों के क्रियाकलापों का विलक्षण वर्णन आपको इस ग्रंथ में मिलेगा। प्रस्तुत अनुवाद स्वामी वेंकटेसानन्द द्वारा किए गए ‘योग वासिष्ठ’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘सुप्रीम योग’ का हिन्दी रूपांतरण है जिसे विख्यात भाषाविद् और विद्वान बदरीनाथ कपूर ने किया है। स्वामी जी का अंग्रेजी अनुवाद 1972 में पहली बार छपा था जो निश्चय ही चिंतन, अभिव्यक्ति और प्रस्तुति की दृष्टि से अनुपम है। लेकिन विदेश में छपने के कारण यह भारतीय पाठकों के समीप कम ही पहुँच पाया। आशा है, यह अनुवाद उस दूरी को कम करेगा, और हिन्दी पाठक इस महत्त्वपूर्ण पुस्तक का लाभ उठा पाएँगे।

Yogayog

by Rabindranath Tagore

The novel was published in three parts in Vichitra magazine. In first two parts it was called Teen Peedhiyan (Three Generations) and in the third it was named as Yogayog. One more jewel from one of the greatest writer from India.

Yogiraj Shri Krishna: योगिराज श्रीकृष्ण

by Lala Lajpat Rai

परवर्ती काल में कृष्ण के उदात्त तथा महनीय आर्योचित चरित्र को समझने में चाहे लोगों ने अनेक भूलें ही क्यों न की हो, उनके समकालीन तथा अत्यन्त आत्मीय जनों ने उस महाप्राण व्यक्तित्व का सहीं मूल्यांकन किया था । सम्राट युधिष्ठिर उनका सम्मान कस्ते थे तथा उनके परामर्श को सर्वोपरि महत्व देते थे । पितामह भीष्म, आचार्य द्रोण तथा कृपाचार्य जैसे प्रतिपक्ष के लोग भी उन्हें भरपूर आदर देते थे । जिस प्रकार वे नवीन सामाज-निर्माता तथा स्वराज्यस्रष्ठा युगपुरुष के रूप में प्रतिष्ठित हुए, उसी प्रकार अध्यात्म तथा तत्त्व-चिन्तन के क्षेत्र में भी उनकी प्रवृतियाँ चरपोत्कर्ष पर पहुँच चुकी थीं । सुख-दु:ख को समान समझने वाले, लाभ और ह हानि, जय और पराजय जैसे द्वंद्वो को एक-सा मानने वाले, अनुद्विग्न, वीतराग तथा जल में रहने वाले कमल पत्र के समान सर्वथा निर्लेप, स्थितप्रज्ञ व्यक्ति को यदि हम साकार रूप में देखना चाहें तो वह कृष्ण से भिन्न अन्य कौन-सा होगा ? प्रवृत्ति और निवृत्ति, श्रेय और प्रेय, ज्ञान और कर्म, ऐहिक और पारलौकिक जैसी आपातत: विरोधी दीखने वाली प्रवृत्तियों में अपूर्व सामंजस्य स्थापित का उन्हें स्वजीवन में चरितार्थ करना कृष्ण जैसे महामानव के लिए ही सम्भव था । उन्होंने धर्म के दोनों लक्ष्यों अभ्युदय और नि:श्रेयस के उपलब्धि की । अत: यह निरपवाद रूप से कहा जा सकता है कि कृष्ण का जीवन आर्य आदर्शों की चरम परिणति है ।

Yogyata Sanvardhan Pathyacharya B.A., B.COM., B.SC. (Hons) Sem-I Ranchi University, N.P.U

by Niti Sonu Papnejaa

Yogyata Sanvardhan Pathyacharya text book for B.A., B.COM., B.SC. (Hons) Sem-I from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.

Yogyata Sanvardhan Pathyacharya Ranchi University, N.P.U

by Niti Sonu Papnejaa

Yogyata Sanvardhan Pathyacharya text book for B.A., B.COM., B.SC. (Hons) Sem-I from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.

Yojana April 2022: योजना अप्रैल 2022

by Yojana

जना मैगज़ीन अप्रेल 2022 एक मासिक पत्रिका है, जिसमे केंद्र सरकार की योजनाओ के बारे में बताया गया है यह मैगज़ीन हर महीने जारी की जाती है, यह पत्रिका सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत जरूरी है।

Yojana April 2023: योजना अप्रैल २०२३

by Yojana

योजना अप्रैल 2023 पत्रिका का संस्करण स्टार्टअप इंडिया पर केंद्रित है। पत्रिका में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में युवाओं के लिए अवसर, स्टार्टअप इंडिया कार्य योजना भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र की नींव और भारत की जी20 अध्यक्षता में ग्लोबल स्टार्टअप इकोसिस्टम का नया सवेरा जैसे विषयों पर चर्चा की गई है।

Yojana August 2022: योजना अगस्त २०२२

by Yojana

योजना अगस्त 2022 पत्रिका का संस्करण साहित्य और आजादी पर केंद्रित है। पत्रिका में प्रमुख आलेख विभाजन साहित्य, विशेष आलेख प्रतिबंधित प्रकाशन, पूर्वोत्तर से आज़ादी के तराने और काज़ी नजरूल इस्लाम: एक युवा विप्लव जैसे विषयों पर चर्चा की गई है।

Yojana August 2023

by Yojana

योजना अगस्त 2023 पत्रिका का संस्करण आज़ादी का अमृत महोत्सव पर केंद्रित है। पत्रिका में समग्र आरोग्यता के लिए एकीकृत दृष्टिकोण, आज़ादी का अमृत महोत्सव और देश को एकजुट रखने में भारतीय खेलों की भूमिका जैसे विषयों पर चर्चा की गई है।

Yojana August 2023: योजना अगस्त २०२३

by Yojana

योजना अगस्त 2023 पत्रिका का संस्करण आज़ादी का अमृत महोत्सव पर केंद्रित है। पत्रिका में समग्र आरोग्यता के लिए एकीकृत दृष्टिकोण, आज़ादी का अमृत महोत्सव और देश को एकजुट रखने में भारतीय खेलों की भूमिका जैसे विषयों पर चर्चा की गई है।

Yojana December 2022: योजना दिसम्बर 2022

by Yojana

योजना दिसम्बर 2022 पत्रिका का संस्करण वास्तुकला पर केंद्रित है। पत्रिका में सुव्यवस्थित पर्यावरण अनुकूल छोटे शहर ही बेहतर, सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास, ऐतिहासिक शहरों का विकास, तंजावुर का 'बड़ा मंदिर' - एक अद्भुत संरचना, ब्रूटलिस्ट वास्तुकला जैसे विषयों पर चर्चा की गई है।

Yojana December 2023: योजना दिसम्बर २०२३

by Yojana

योजना दिसम्बर 2023 पत्रिका का संस्करण आज़ादी का अमृत महोत्सव पर केंद्रित है। वर्ष भर का लेखा-जोखा देने वाले योजना के इस अंक का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में भारत की प्रगति के जीवंत सारतत्व को संजोना है और प्रमुख नीतिगत पहलों पर प्रकाश डालते हुए पाठकों को उद्योग, परिवहन, संस्कृति, कृषि और खेल जैसे सॉफ्ट पावर क्षेत्रों में महत्वपूर्ण विकास और उपलब्धियों का व्यावहारिक विश्लेषण और झलक प्रदान करना है। यह अंक अपने पाठकों को गुजरे वर्ष और भावी अवसरों की झलक प्रदान करता है।

Yojana February 2022: योजना फ़रवरी 2022

by Yojana

योजना मैगज़ीन फ़रवरी 2022 इस अंक में आर्थिक विकास से संबंधित मुद्दो और सरकारी नीतियों के व्यापक संदर्भ की बाते बताई गई है।

Yojana February 2023: योजना फरवरी २०२३

by Yojana

योजना फरवरी 2023 पत्रिका का संस्करण युवा एवं खेल पर केंद्रित है। पत्रिका में नए भारत के लिए पहल, हमारी युवा शक्ति के सामर्थ्य का विकास और फिट इंडिया: स्वस्थ भविष्य की ओर जैसे विषयों पर चर्चा की गई है।

Yojana February 2024: योजना फरवरी २०२४

by Yojana

योजना फरवरी २०२४ पत्रिका का संस्करण आज़ादी का अमृत महोत्सव पर केंद्रित है। पत्रिका में प्रमुख बिंदु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जेनरेटिव एआई, उद्योग, साइबर सुरक्षा, गवर्नेस, लोक सेवाएं, मीडिया हैं। योजना के इस संग्रहणीय अंक में, भारत में एआई को अपनाए जाने के गतिशील परिदृश्य को समेटने की कोशिश की है। इसमें एआई से संबंधित विषयों के विशेषज्ञों के महत्वपूर्ण योगदानों के जरिए कृत्रिम मेधा के संभावित लाभों, चुनौतियों तथा एक संतुलित और समावेशी डिजिटल भविष्य को प्रोत्साहित करने की अनिवार्यता को समझने का प्रयास किया गया है।

Yojana January 2022: योजना जनवरी 2022

by Yojana

'योजना' के इस संग्रहणीय अंक में आज़ादी मिलने के बाद के इन 75 वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में कड़े संघर्षो, कठिन चुनौतियों और महान सफलताओं की लंबी यात्रा की संक्षिप्त गाथा संजोने का प्रयास किया गया है । हम अपने लेखकों के प्रति आभारी हैं कि उन्होंने देश की अब तक की उपलब्धियों और भविष्य की उज्ज्वल संभावनाओं को उजागर करने का महत्वपूर्ण प्रयास किया है। अनाज की कमी से जझ रहे देश के असल का निर्यातक बनने, स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव की स्थिति से उबरकर महामारी के दौर में औषधियों और टीकों-वैक्सीन का वैश्विक आपूर्तिकर्ता देश बनने और अनेकानेक अन्य गौरवमयी उपलब्धियां प्राप्त करने की प्रेरणादायक गाथाएं इस अंक में भी समाहित की गई हैं।

Yojana January 2023: योजना जनवरी २०२३

by Yojana

योजना जनवरी 2023 पत्रिका का संस्करण मोटा अनाज (मिलेट्स) पर केंद्रित है। पत्रिका में मोटे अनाजों का अंतरराष्ट्रीय वर्ष-2023, मोटा अनाज: हमारे देश की प्राचीन परम्परा, पूर्वोत्तर में मोटे अनाज की खेती, आहार में मोटा अनाज और मोटा अनाज: सेहत का खज़ाना जैसे विषयों पर चर्चा की गई है।

Yojana January 2024: योजना जनवरी २०२४

by Yojana

योजना जनवरी २०२४ पत्रिका का संस्करण आज़ादी का अमृत महोत्सव पर केंद्रित है। पत्रिका में प्रमुख बिंदु ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (कारोबार करने में सुगमता) हैं। योजना के इस संग्रहणीय अंक में, व्यवसायों पर अनुपालन बोझ को कम करने, अधिक निवेश आकर्षित करने और विश्वास-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने में जन विश्वास प्रावधानों का संशोधन अधिनियम की विशिष्टता का वर्णन किया गया है। उपर्युक्त विधायी प्रयास के माध्यम से, नियामक कठिनाइयों को संबोधित करके, पारदर्शिता को बढ़ावा देकर और डिजिटल परिवर्तन को प्रोत्साहित करके अधिक गतिशील और प्रतिस्पर्धी आर्थिक माहौल की स्थितियां बनाई गई हैं। हमें उम्मीद है कि विषय विशेषज्ञों और हितधारकों की अंतर्दृष्टि 'जन विश्वास' नामक इस अभूतपूर्व पहल के बारे में हमारे पाठकों की समझ को व्यापक बनाएगी, जो व्यापार सुगमता के परिदृश्य और देश की उद्यमशीलता की भावना को नया रूप देने के लिए तैयार है।

Yojana July 2022: योजना जुलाई 2022

by Yojana

योजना जुलाई 2022 पत्रिका का संस्करण भारत में जनजातियाँ पर केंद्रित है। पत्रिका में अनुसूचित जनजातियों की कल्याण-नीति और जनजातियों के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ आदी विषयों पर चर्चा की गई है।

Yojana July 2023: योजना जुलाई २०२३

by Yojana

योजना जुलाई 2023 पत्रिका का संस्करण सहकार से समृद्धि पर केंद्रित है। पत्रिका में सहकार से समृद्धि: योजना से उपलब्धि तक, प्रतिस्पर्धा के लिए सशक्त बनेंगी सहकारी समितियां और कृषि ऋण सहकारी समितियों को डिजिटलीकरण के माध्यम से सशक्त बनाना जैसे विषयों पर चर्चा की गई है।

Yojana June 2022: योजना जून 2022

by Yojana

योजना जून 2022 पत्रिका का संस्करण नए जमाने की तकनीक, नई प्रौद्योगिकियाँ पर केंद्रित है। पत्रिका में जिन विषयों पर चर्चा की गई है उनमें- प्रमुख आलेख, फोकस और विशेष आलेख हैं।

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