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Majhi Janmathep FYBA First Semester - RTMNU: माझी जन्मठेप बी.ए. प्रथम सेमिस्टर - राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपूर विद्यापीठ

by Vinayak Damodar Savarkar

माझी जन्मठेप हे आत्मचरित्र स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर यांनी अंदमानात काळ्यापाण्याची शिक्षा भोगत असताना आलेल्या अनुभवांवर लिहिलेले आत्मचरित्रपर पुस्तक आहे. तसेच या आत्मचरित्र्याचे प्रकाशन लाखे प्रकाशन यांनी केले आहे. भारतीय स्वातंत्र्यलढ्यातील योद्धे वीर सावरकर यांना दोन जन्मठेपेची म्हणजे पन्नास वर्षांची शिक्षा झाल्यावर त्यांची रवानगी अंदमानला केली गेली. तेथले त्यांचे जीवन म्हणजे मृत्यूशी झुंज होती पण त्या झुंजीत मृत्यूचा पराभव झाला आणि सावकरांचा जय झाला. सावरकरांच्या वीर रसाने ओथंबलेल्या चरित्रामध्ये अनेक रोमहर्षक पर्वे आहेत. त्यापैकी अंदमान पर्व हे अत्यंत रौद्र आणि भयानक पर्व आहे. त्याची रोमांचकारी कथा 'माझी जन्मठेप' या आत्मकथेत सावरकरांनी सांगितली आहे.

Maine Gandhi Ko Kyon Mara?: मैंने गांधी को क्यों मारा?

by Nathuram Godse

व्यक्तिगत स्तर पर मेरे और गांधीजी के बीच कोई शत्रुता नहीं थी। वे लोग, जो पाकिस्तान-निर्माण में गांधीजी का अच्छा मकसद होने की बात कहते हैं, मुझे उनसे केवल इतना कहना है कि मैंने गांधी के विरुद्ध, जो इतना बड़ा कदम उठाया, उसमें मेरे हृदय में राष्ट्रहित का शुद्ध हेतु था। वे ऐसे व्यक्ति थे, जो बहुत सी भयावह घटनाओं के लिए जिम्मेदार थे, जिनकी परिणति पाकिस्तान निर्मिति में हुई। गांधीजी के विरुद्ध की गई अपनी काररवाई के बाद मैं भविष्य में आने वाले अपने परिणाम को देख सकता था, उन परिणामों की उम्मीद कर सकता था और मुझे एहसास था कि जिस क्षण लोगों को गांधी को मेरे द्वारा गोली मारने की घटना का पता चलेगा, उन सभी का मेरे प्रति दृष्टिकोण बदल जाएगा, फिर चाहे परिस्थितियाँ कोई भी हों। समाज में लोगों का मेरे प्रति जो सम्मान, रुतबा और सहानुभूति है, वह समाह्रश्वत हो जाएगी, नष्ट हो जाएगी और बचा हुआ मान भी कुचल दिया जाएगा। मुझे पूरा एहसास था कि समाज में मुझे सबसे नीच और घृणित व्यक्ति के रूप में देखा जाएगा। अपने समय के सबसे बड़े नेता गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे ने अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए विशेष न्यायालय में बहुत विस्तृत बयान दिया, जिसमें उन्होंने क्रमवार वे कारण बताए, जिन्होंने उन्हें इतनी बड़ी घटना की परिणति करने के लिए बाध्य किया। ये कारण तत्कालीन सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनीतिक परिस्थितियों को भी दर्शाते हैं कि कैसे एक अल्पसंख्यक वर्ग विशेष के दबाव में निर्णय लिये जा रहे थे, जो अंतत: बहुसंख्यकों के उत्पीडऩ और अस्तित्व का कारण बन जाते। इन्हीं से क्षुब्ध होकर नाथूराम गोडसे ने विश्व के सबसे चर्चित कांड को अंजाम दिया। प्रस्तुत पुस्तक गांधी-हत्याकांड में नाथूराम गोडसे का पक्ष प्रबलता से रखती है।

Main Samay Hoon: मैं समय हूँ

by Deep Trivedi

‘मैं समय हूँ’ यह पुस्तक बेस्टसेलर्स ‘मैं मन हूँ’, ‘मैं कृष्ण हूँ’ और ‘101 सदाबहार कहानियां’ के लेखक तथा स्पीरिच्युअल सायको-डाइनैमिक्स के पायनियर दीप त्रिवेदी ने लिखी है। मनुष्यजीवन को गहराई से समझने और समझाने वाले दीप त्रिवेदी ने विश्व की अंतिम और निर्णायक सत्ता समय के रहस्यों का अपनी किताब ‘मैं समय हूँ’ में रहस्योद्घाटन किया है। इस किताब में दीप त्रिवेदी ने घड़ी की सूइयों से परे समय के कई स्वरूपों का खुलासा किया है। यही नहीं, उन्होंने न सिर्फ इन सभी स्वरूपों की विस्तार से चर्चा की है, बल्कि उनके प्रभावों को भी समझाया है। इस किताब की सबसे विशेष बात यह कि लेखक ने इसमें इतनी सरल भाषा का उपयोग किया है जिससे कि एक सामान्य मनुष्य भी समय जैसी महासत्ता की पूरी कार्यप्रणाली आसानी से समझ सके। इस किताब में यह स्पष्ट होता है कि एक समय ही है जिस कारण न सिर्फ मनुष्य बल्कि यह पूरा ब्रह्मांड भी चलायमान है तथा मनुष्य के जीवन में घटने वाली तमाम ऊंच-नीच भी समय के ही अधीन है। अतः चाहे मनुष्यजीवन सरल बनाना हो या फिर ब्रह्मांड के गहरे रहस्य समझने हों, समय के गहरे स्वरूपों को समझे बिना इनमें से कुछ भी शक्य नहीं है। इसीलिए इस बात पर विशेष ध्यान देते हुए लेखक ने मनुष्यों को उनका बिगड़ा समय संवारने के कई सरल उपाय भी दिये हैं। यह बात तय है कि जो भी समय की ताल-से-ताल मिला लेगा, एक सुखी और सफल जीवन गुजारना उसका भाग्य हो जाएगा।

Main Mrityu Sikhata Hun: मैं मृत्यु सिखाता हूं

by Osho

ओशो कहते हैं – ‘मैं मृत्‍यु सिखाता हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं जीवन का विरोधी हूं।’ उनके लिए जीवन और मृत्‍यु के भय से त्रस्‍त लोगों ने भाग-भागकर जीवन के पलड़े में घुसना और उसी में सवार हो जाना अपना लक्ष्‍य बना लिया। नतीजा यह हुआ कि जीवन का पल फिर निसर्ग को उस संतुलन को ठीक करने के लिए आगे आना होता है इससे आपको मृत्‍यु और अधिक भयकारी लगने लगती है। मृत्‍यु रहस्‍यमय हो जाती है। मृत्‍यु के इसी रहस्‍य को यदि मनुष्‍य समझ ले तो जीवन सफल हो जाए। जीवन के मोह से चिपटना कम हो जाए तो अपराध कम हों। मृत्‍यु से बचने के लिए मनुष्‍य ने क्‍या-क्‍या अपराध किए है। इसे अगर जान लिया जाए तो जीवन और मृत्‍यु का पलड़ा बराबर लगने लगे। इसलिए जब ओशो कहते हैं कि ‘मैं मृत्‍यु सिखाता हूं’ तो लगता है जीवन का सच्‍चा दर्शन तो इस व्‍यक्ति ने पकड़ रखा है, उसी के नजदीक, उसी के विचारों के करीब आपको यह पुस्‍तक ले जाती है। जीवन को सहज, आनंद, मुक्ति और स्‍वच्‍छंदता के साथ जीना है तो इसके लिए आपको मृत्‍यु को जानकर उसके रहस्‍य को समझकर ही चलना होगा। मृत्‍यु को जानना ही जीवन का मर्म पाना है। मृत्‍यु के घर से होकर ही आप सदैव जीवित रहते हैं। उसका आलिंगन जीवन का चरम लक्ष्‍य बना लेने पर मृत्‍यु हार जाती है। इसी दृष्टि हार जाती है। इसी दृष्टि से ओशो की यह पुस्‍तक अर्थवान है।

Main Maseeha Nahin: मैं मसीहा नहीं

by Sonu Sood Meena K. Iyer

कभी-कभार ब्रह्मांड का कोई छोटा सा संकेत इंसान को उसके जीवन का उद्देश्य ढूँढ़ने में मदद कर देता है। अगर अभिनेता सोनू सूद एक मशहूर हस्ती के रूप में अपने शानो-शौकत से भरे जीवन को तवज्जो देते रहते और सिर्फ रिमोट कंट्रोल से अपनी उदारता दर्शाते, तो वह कभी भी भारत के प्रवासी मजदूरों के दर्द से रूबरू नहीं होते या कभी यह नहीं समझ पाते कि भोजन का महज़ एक पैकेट कभी भी किसी मजदूर को घर भेजे जाने के इंतज़ाम का विकल्प नहीं हो सकता। कोविड-19 महामारी के समय राष्ट्रव्यापी लॉकडॉन के दौरान जब गरीब मजदूरों के झुंड का झुंड अपने सुदूर गाँवों की तरफ रवाना हुआ, तो उनके माता-पिता का सिखाया हुआ सेवा का संस्कार सोनू सूद के अंदर जाग उठा और वे तुरंत हरकत में आ गए। उन्होंने सामने आकर मोर्चा संभाला और दुखी-पीड़ित लोगों के पास पहुँचे। उन्होंने समर्पित लोगों की टीम बनाई और देश और विदेश से भी लोगों को उनके घर लौटाने का इंतज़ाम किया। ऐसा करके उन्होंने हज़ारों असहाय और ज़रूरतमंद श्रमिकों की मदद की। इस तरह एक मानवतावादी मिशन के तौर पर उनका घर “भेजो अभियान” शुरू हुआ। इसके लिए उन्होंने चार्टर्ड फ्लाइट, बसों और ट्रेनों को सेनिटाइज़ करवाया और उसका ख़र्च वहन किया। दुनिया भर के लोगों से आ रही दुख भरी फोन कॉल्स को सुनने और जवाब देने का उन्होंने इंतज़ाम करवाया। जल्द ही वह अभियान नौकरी दिलवाने, चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने और श्रमिकों को शैक्षणिक सहायता मुहैया करवाने में तब्दील हो गया। फिल्मी पर्दे का वह खलनायक वास्तविक जीवन में लोगों के सामने एक कद्दावर नायक की तरह प्रकट हुआ। अपने संस्मरण मैं मसीहा नहीं (आई एम नो मसीहा का हिंदी अनुवाद) में सोनू सूद मोगा से मुंबई तक की अपनी असाधारण यात्रा अनुभवों को वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका मीना के. अय्यर के शानदार लेखकीय कौशल के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं। यह ईमानदार, प्रेरक और दिल को छूने वाली कहानी सोनू सूद की है और उन लोगों की है जिनके जीवन को वह लगातार परिवर्तित करने के अभियान में जुटे हुए हैं।

Maila Aanchal: मैला आँचल

by Phanishwar Nath Renu

यह है मैला आँचल, एक आंचलिक उपन्यास। कथानक है पूर्णिया। पूर्णिया बिहार राज्य का एक जिला है; इसके एक ओर है नेपाल, दूसरी ओर पाकिस्तान और पश्चिम बंगाल। विभिन्न सीमा-रेखाओं से इसकी बनावट मुकम्मल हो जाती है, जब हम दक्खिन में सन्थाल परगना और पच्छिम में मिथिला की सीमा रेखाएँ खींच देते हैं। मैंने इसके एक हिस्से के एक ही गाँव को- पिछड़े गाँवों का प्रतीक मानकर इस उपन्यास-कथा का क्षेत्रा बनाया है। इसमें फूल भी हैं शूल भी, धूल भी है, गुलाब भी, कीचड़ भी है, चन्दन भी, सुन्दरता भी है, कुरूपता भी - मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। कथा की सारी अच्छाइयों और बुराइयों के साथ साहित्य की दहलीज पर आ खड़ा हुआ हूँ; पता नहीं अच्छा किया या बुरा। जो भी हो, अपनी निष्ठा में कमी महसूस नहीं करता।

Mai to Billi Hoon!

by Rinchin

This book is about a girl Tinti who wants to be a cat and all times says that she is a cat. प्रस्‍तुत पुस्‍तक में एक लड़की टिंटी के बारे में बताया गया है जो बिल्‍ली बनना चाहती है और हर समय यही कहती है कि वह बिल्‍ली है।

Mai Kaun Hu: मैं कौन हूँ?

by Dada Bhagwan

केवल जीवन जी लेना ही जीवन नहीं है। जीवन जीने का कोई ध्येय, कोई लक्ष्य भी तो होगा। जीवन में कोई ऊँचा लक्ष्य प्राप्त करने का ध्येय होना चाहिए। जीवन का असली लक्ष्य ‘मैं कौन हूँ’, इस सवाल का जवाब प्राप्त करना है। पिछले अनंत जन्मों का यह अनुत्तरित प्रश्न है। ज्ञानीपुरुष परम पूज्य दादाश्री ने मूल प्रश्न “मैं कौन हूँ?” का सहजता से हल बता दिया है। मैं कौन हूँ? मैं कौन नहीं हूँ? खुद कौन है? मेरा क्या है? मेरा क्या नहीं है? बंधन क्या है? मोक्ष क्या है? क्या इस जगत् में भगवान हैं? इस जगत् का ‘कर्ता’ कौन है? भगवान ‘कर्ता’ हैं या नहीं? भगवन का सच्चा स्वरूप क्या है? ‘कर्ता’ का सच्चा स्वरूप क्या है? जगत् कौन चलाता है? माया का स्वरूप क्या है? जो हम देखते और जानते हैं, वह भ्रांति है या सत्य है? क्या व्यावहारिक ज्ञान आपको मुक्त कर सकता है? इस संकलन में दादाश्री ने इन सभी प्रश्नों के सटीक उत्तर दिए हैं।

Mai Dilli Hu

by Ramavtar Tyagi

The history of Delhi is presented in the form of poetry. The book tries to put both the story and poem together. The history of Delhi has been put in the chronological way.

Mai Bhee...

by V. Suteyev

इस पुस्‍तक में एक चित्रकथा है जिसमें एक चूजा और एक बत्‍तख के बच्‍चे की कहानी है। चूजा बत्‍तख की तरह बनने की कोशिश करता है। लेखक ने इस कथा को चित्रों के माध्‍यम से प्रस्‍तुत किया है। In this book is a comic story in which a chick and a child duck. chick tries to be like child Duck. The author presented this story through images.

Mai Aur Mera Vyaakaran Uttar Pustika - 8

by New Saraswati House India Pvt. Ltd.

हिन्दी व्याकरण उत्तर-पुस्तिका

Mai Aur Mera Vyaakaran Uttar Pustika - 7

by New Saraswati House India Pvt. Ltd.

हिन्दी व्याकरण उत्तर-पुस्तिका

Mahanta Ka Margdarshak: महानता का मार्गदर्शक

by Robin Sharma

महानता का मार्गदर्शक एक बहुत शक्तिशाली और बहुत ही व्यावहारिक पुस्तक है, जो आपको अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में विश्व स्तर तक पहुंचने के लिए प्रेरित करती है। यह ग्रह पर शीर्ष सफल गुरुओं में से एक रॉबिन शर्मा द्वारा लिखी गई द गाइड टू ग्रेटनेस की एक सिद्ध प्रति है और जिनके विचारों को सेलिब्रिटी सीईओ, प्रमुख उद्यमियों, रॉक स्टार और रॉयल्टी के साथ-साथ कई फॉर्च्यून 500 कंपनियों द्वारा सराहा गया है। इससे आपको अपनी उच्चतम क्षमता तक पहुँचने और असाधारण बनने में मदद मिलेगी।

Mahanayak: महानायक

by Vishwas Patil

यह उपन्यास एक 'महान कलाकृति' है मात्र इतना कह देने से इसका उचित मूल्यांकन नहीं होता! मै निःसंदेह रूप से कहना चाहता हूँ कि इस शताब्दी की यह सर्वश्रेष्ठ है - वसंत कानेटकर सुभाषचंद्र बोस के जीवन और कर्म पर केन्द्रित 'महानायक' एक श्रेष्ठ भारतीय उपन्यास है! इसमें विश्वास पाटिल ने भारत के एक ऐसे श्रेष्ठ व्यक्तित्व को नायक के रूप में चुना है जो किसी भी महाकाव्य का महानायक बन सकता है सुभाषचन्द्र बाबु उन महामनवों में से एक थे जिन्हें तीव्र बुद्धि, भावनाओं ऊर्जा, प्रखर चिंतनक्षमता जन्म से प्राप्त थी और अपनी पराधीन भारतमाता को स्वतंत्र करने के भव्य स्वप्न से जिनके व्यक्तित्व का अणु-अणु उत्तेजित रहता था! उन्होंने पश्चिमी ज्ञान और विधा को आत्मसात किया था, साथ ही भारत की उर्जस्वनी अध्यात्मिक परम्परा जो रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद से छनकर आयी थी, उनके व्यक्तित्व एवं क्रतित्व का मूल स्त्रोत थी! सुभाष का ऐसा व्यक्तित्व था जिसकी जबरदस्त कशिश ने हिटलर से लेकर जापान के प्रधानमंत्री तोजो तक को प्रभावित किया था और जिसके भय ने चर्चिल जैसे नेताओं की नींद हराम कर दी थी!

Mahadevi Rachna Sanchayan

by Vishwanath Prasad Tiwari

Mahadevi Rachna Sanchayan is the collection of the stories and poems taken from Verma's personal and social life. It describes the pathetic condition of the neglected, depressed and humiliated society.

Mahabharat Ka Rahasya: महाभारत का रहस्य

by Christopher C. Doyle

224 ईसापूर्व महान सम्राट अशोक को एक प्राचीन और भयावह रहस्य का पता चलता है - एक ऐसा रहस्य जो महाभारत की गहराईयों मैं समाया था; ऐसा रहस्य जो दुनिया को नष्ट कर सकता है; ऐसा जो 2300 वर्षों से छुपा हुआ था| वर्तमान काल - एक सेवानिवृत परमाणु वैज्ञानिक की हत्या हो जाती है| वः कुछ सुरागों से भरे ईमेल सन्देश अपने भतीजे के लिए छोड़ जाता है| वह और उसके दोस्त गूढ़ संकेतों के सहारे सुरागों का और 2000 साल पुराने खण्डरों का पीछा करते है| ज़बरदस्त विनाशकारी ताकतें उनके पीछे लगी हुई हैं और वे अतीत के रहस्यों तथा वर्त्तमान की कुटिल चालों के बीच फँसे हुए हैं| ऐसे में, इसके पहले कि दुनिया अवर्णनीय आतंक की शिकार हो, क्या वे उस रहस्य को सुलझा पाएंगे| व्यंग्य और गंभीर संवेदना के संतुलन को साधने की अपनी चिर-परिचित शैली में नीलोत्पल मृणाल ने इस उपन्यास को लिखते हुए हिंदी साहित्य की चलती आ रही सामाजिक सरोकार वाली लेखन को थोड़ा और आगे बढ़ाया है।.

Mahabharat

by Gunvant Shah

महाभारत एक विशाल ग्रंथ है तथा इसमें मानवजीवन का सर्वोत्तम इतिहास उपलब्ध है| व्यास ने इसमें मानवस्वभाव के वैविध्यपूर्ण प्रकारों के विषय में अपना दर्शन प्रस्तुत किया है| यह जीवन का इतिहास है, अमर इतिहास है| महाभारत के रूप में यह एक बहुत विशाल विश्वकोश है, जिसकी रचना का श्रेय हमारे देश को है तथा इसमें मुख्य कथा के आधार पर बीच-बीच में अनेक स्थलों पर भूगोल, इतिहास, राजनीति इत्यादि विषयक कई बातों को गूँथ लिया गया है| ज्ञान की विविधता के साथ-साथ व्यापकता में महाभारत बेजोड़ है| जीवन की ऐसी कोई शाखा नहीं बची होगी, जिस पर महाभारत में प्रकाश न डाला गया हो| यह हमारे समाज का `एन्साइक्लोपीडिया' है, विश्वकोश है| विनोबा भावे

Madhyakalin Bharat Rajniti, Samaj Aur Sanskriti - Ranchi University, N.P.U: मध्यकालीन भारत राजनीति, समाज और संस्कृति - राँची यूनिवर्सिटी, एन.पी.यू.

by Satish Chandra

मध्यकालीन भारत राजनीति, समाज और संस्कृति यह पुस्तक इतिहास के काल का वर्णन प्रस्तुत करती है, प्रस्तुत पुस्तक में विस्तार से इन अंतरों का पता लगाने की कोशिश किए बगैर आठवीं सदी से सत्रहवीं सदी की समाप्ति तक भारत के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रवृत्तियों के अभ्युदय के अध्ययन का प्रयास किया गया है । इन सभी पहलुओं को एक खंड में समायोजित करना कठिन काम था । इस कार्य के पीछे ध्येय यह रहा है कि पिछले चार दशकों में इतिहासकारों द्वारा मध्यकालीन भारतीय इतिहास को एक नई दिशा देने के प्रयासों को एक जगह लाने से इसके प्रति आम लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी । साथ ही, मध्यकालीन भारत में राज्य की प्रकृति, लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता और उस अवधि में आर्थिक विकास की प्रवृत्ति को लेकर हाल में उठे विवादों को सही परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकेगा । इस पुस्तक में यह दर्शाया गया है कि बड़े साम्राज्यों के अभ्युदय और फिर छोटे खंडों में विभाजन और एकीकरण का मतलब हमेशा आर्थिक निष्क्रियता और सांस्कृतिक ह्रास ही नहीं रहा है, भारतीय इतिहास के मध्यकाल की तुलना अकसर तुर्क और मुगल शासनकाल से की जाती है जिसका अर्थ है सामाजिक कारकों की जगह राजनीतिक कारकों को प्राथमिकता देना । यह अवधारणा इस मान्यता पर भी आधारित है कि पिछली कई सदियों के दौरान भारतीय समाज में बहुत थोड़ा बदलाव आया है । इतिहासकारों ने भारत में जनजातीय समाज के क्षेत्रीय राज्यों में तब्दील होने का मूल्यांकन किया है ।

Madhyakalin Bharat me Itihas lekhan, Dharm aur rajya ka Swaroop

by Satish Chandra

In this book, essays on medieval Indian society, culture, including articles on the state have been selected. In places blocks where history writing and culture has been discussed, they display the changes which came in historical thinking in India after Independence.

Madhuban Sabda Sampada: Hindi Dictionary

by Vikas Publishing House Pvt. Ltd.

सभी शब्दों के विभिन्न अर्थ, वर्ण-विच्छेद, व्याकरणिक-कोटि, अनेकार्थक शब्द, ऊनार्थक शब्द, एकार्थक शब्द, पुनरुक्त शब्द, वाक्यांश के लिए एक शब्द, विपरीतार्थक शब्द, श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द, समानार्थक शब्द, समूहार्थक शब्द और अर्थ सहित मुहावरे व लोकोक्तियाँ

Machhuarey

by Takashi Shivshankar Pillai

Story of a simple romance woven around the blind faith of the fishermen in coastal area of Kerala. Awarded by Sahitya Akademi in 1957, it presents the real picture of fishermens' lives.

Maan: माँ

by Maxim Gorky

एक बार जब हम इस विचार को स्वीकार कर लेते हैं कि कला जनता को एकजुट करने का एक साधन है, तो फिर हम गोर्की के सम्पूर्ण कृतित्व की, और ख़ास तौर पर उनके 'माँ' उपन्यास की महत्ता स्वीकार किये बिना नहीं रह सकते। 'माँ' मज़दूर वर्ग के बारे में है, मानव-सम्बन्धों को सुधारने में मज़दूर वर्ग की भूमिका के बारे में है। इसका मतलब यह है कि यह पुस्तक सिर्फ मज़दूर वर्ग के लिए ही नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया की समूची जनता के लिए है।

Maalgudi ki Kahaniyan

by R. K. Narayan

Indian short stories offer readers an authentic peek into the various aspects of Indian life. The ones that have been written by R.K. Narayan stand out in the large collections of Indian short tales available for reading. Malgudi Ki Kahaniyan (Hindi) is a set of stories that are based in the fictional town of Malgudi. The town of Malgudi is a South Indian village created by the author and offers a valuable peek into the quality of rural life during the pre-independence era. The characters in these stories come from different walks of life and each has a unique tale to tell.

Maa Jaya Bhai

by Gijjubhai Badheka

गिजुभाई बधेका दवारा रचित कहानी “माँ-जाया भाई” में छोटी-छोटी बाल-कथाएँ है जो समाज-सेवा के ऊँचे आदर्शो की झाँकी प्रस्तुत करती है तथा पाप-और पुण्य का भेद मिटा कर प्रेम की भावना उत्पन्न करती है। The book “Maa-Jaya Bhai” is written by “Gijubhai Badheka” . There are small stories in this book which presents a tableau of social service of high ideals and erase the sin and virtue distinctions and generates a sense of love.

Maa

by Maxim Gorki

Initially published in English, this book displays the power of the common man. The book is based on some of the real incidents with Powel Blasov and his mother Nilovena. Written during the years 1905-07 this book is still popular with the readers all over the world

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